YouTube rolls out new ‘timer’ feature for Shorts | शॉर्ट्स के लिए यूट्यूब का नया ‘टाइमर’ फीचर रोलआउट: यूजर्स को अनलिमिटेड स्क्रॉलिंग रोकने में मदद मिलेगी, जानें एक्टिव करने की प्रोसेस


नई दिल्ली36 मिनट पहले

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अगर यूट्यूब पर शॉर्ट्स देखते-देखते आपको भी समय का पता नहीं चलता और स्क्रॉलिंग में घंटों बर्बाद कर देते हैं, तो वीडियो प्लेटफॉर्म ने मोबाइल एप में नया ‘टाइमर’ फीचर रोलआउट किया है।

ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने यह फीचर शॉर्ट्स की अनलिमिटेड स्क्रॉलिंग रोकने के लिए लॉन्च किया है, ताकि यूजर्स का दिमाग ‘डूमस्क्रॉलिंग’ (बेकार स्क्रॉलिंग) की गिरफ्त में न फंसे। आइए जानते हैं ये फीचर कैसे काम करेगा।

नया टाइमर फीचर क्या है और कैसे काम करेगा?

  • अवेलेबलिटी: ये फीचर सिर्फ मोबाइल एप पर है, अभी डेस्कटॉप या वेब वर्जन पर अवेलेबल नहीं है।
  • टाइम लिमिट सेट करना: यूजर्स एप में डेली टाइम लिमिट सेट कर सकेंगे, जैसे 30 मिनट या 1 घंटा।
  • सेटिंग्स में चेक करें: अगर एप अपडेटेड है, तो सेटिंग्स में ‘शॉर्ट्स टाइमर’ सर्च करके लिमिट सेट करें।
  • टाइम खत्म होने पर: लिमिट पूरी होते ही पॉप-अप आएगा, जो कहेगा- ‘आपका टाइम खत्म हो गया, अब ब्रेक लो’ और शॉर्ट्स फीड पॉज हो जाएगी।
  • प्रॉम्प्ट हटाना: अभी इस प्रॉम्प्ट को यूजर हटा भी कर सकते हैं और फिर से स्क्रॉलिंग शुरू कर सकते हैं।
  • कंट्रोल: अभी यूजर्स खुद कंट्रोल कर सकेंगे। बाद में इसे और सख्त बनाया जाएगा, ताकि यूजर्स आसानी से स्क्रॉलिंग न कर सकें।
  • पैरेंटल कंट्रोल: इसमें पैरेंटल कंट्रोल्स भी जोड़ा जाएगा, जिससे पैरेंट्स बच्चों के लिए लिमिट सेट कर सकेंगे और बच्चे प्रॉम्प्ट डिसमिस नहीं कर पाएंगे।

ये फीचर क्यों जरूरी और किसे फायदा मिलेगा?

लोग लत के कारण घंटों शॉर्ट्स स्क्रॉल करते हैं और समय का पता नहीं चलता। रिसर्च के मुताबिक ‘एंडलेस स्क्रॉलिंग’ से ध्यान भटकता है, पढ़ाई-लिखाई में दिक्कत होती है और दिमाग का रिवॉर्ड सिस्टम खराब होता है। स्क्रॉलिंग से इंपल्स कंट्रोल कमजोर पड़ता है और चिंता (एंग्जायटी) बढ़ जाती है।

प्लेटफॉर्म में ‘टेक ए ब्रेक’ (15, 30, 60, 90 मिनिट का रिमाइंडर) और ‘बेड टाइम रिमाइंडर’ पहले से हैं। अब टाइमर फीचर के साथ नया फोकस शॉर्ट्स पर है, जो लोगों का सबसे ज्यादा समय लेता है।

इस नए फीचर से समय बचेगा, प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी और फोन की लत कम होगी। इसका फायदा स्टूडेंट्स, प्रोफेशनल्स और बच्चों के माता-पिता को मिलेगा।

कैसे शुरू हुआ यूट्यूब?

2004 में ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम- Paypal (अमेरिकन मल्टीनेशनल फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनी) में काम कर चुके तीन दोस्तों चैड हर्ली, स्टीव चेन, जावेद करीम सैन फ्रांसिस्को में हुई एक डिनर पार्टी में मिले। तीनों ने एक ऑनलाइन डेटिंग सर्विस शुरू करने का प्लान बनाया। 2005 में वैलेंटाइन्स डे पर 14 फरवरी को डोमेन Youtube.com लॉन्च किया गया। इसका पहला ऑफिस एक गैरेज में बनाया गया।

डेटिंग सर्विस फेल हुई तो बन गया वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म

समय गुजरा लेकिन इसमें कोई वीडियो अपलोड नहीं हुआ। आइडिया फेल होने के बाद तीन फाउंडर में से एक जावेद करीम ने 23 अप्रैल 2005 को इसमें पहला वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो का टाइटल ‘मी एट द जू’ था। 19 सेकेंड के इस वीडियो में जावेद करीम खुद सैन डिएगो जू में हाथियों पर बात करते दिखे थे।

सितंबर 2005 तक यूट्यूब के पहले वीडियो को 10 लाख से ज्यादा व्यूज मिले थे। आज उस वीडियो पर 26 करोड़ व्यूज और 1.3 करोड़ लाइक्स हैं। जावेद ने ट्रायल के लिए चैनल बनाया था, जिसमें मी एट द जू 18 सालों में अपलोड हुआ इकलौता वीडियो है। बस यहीं से यूट्यूब डेटिंग साइट से वीडियो प्लेटफॉर्म बना।

एक साल में फास्टेस्ट ग्रोइंस साइट बनी

शुरुआती ग्रोथ देखते हुए Paypal के CFO रोएलोफ बोथा ने भी इसमें पैसे लगाए और यूट्यूब को लगातार इन्वेस्टर्स मिलने लगे। लॉन्च होने के महज एक महीने बाद मई 2005 तक Youtube.com में हर दिन 30 हजार से ज्यादा यूजर्स आने लगे, 6 महीने में ही ये संख्या 20 लाख यूजर तक पहुंच गई। 2006 में यूट्यूब फास्टेस्ट ग्रोइंग साइट थी।

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