अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान होने वाला सप्तऋषि मंडल जयपुर में तैयार हो रहा है। इसके लिए ऋषि वशिष्ठ, ऋषि पुलस्त्य, मरीिच, अत्रि, अंगिरा, पुलह व क्रतु की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। भगवान रामलला की बाल रूपी प्रतिमा भी यहीं के हस्तशिल्प कलाकार ने बन
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राम मंदिर में यह सप्तऋषि मंडल उसी क्रम में विराजमान होगा जैसा ब्रह्मांड में नजर आता है। आकाश में यह सप्तऋषि मंडल एक पतंग के आकार में दिखाई देता है, जो डोर के साथ उड़ रही है। अयोध्या के राम मंदिर के परकोटे में यह दिशाओं के हिसाब से ऋषि प्रतिमाओं के रूप में विराजमान किया जाएगा। फ्रांस के पेरिस में एनसबा आर्ट कॉलेज से मूर्ति कला सिख कर आए जयपुर के युवा हस्तशिल्पी प्रशांत पाण्डे इसे तैयार करने में जुटे हुए हैं।
गौरतलब है कि रामलला की 5 फीट की बाल रूपी प्रतिमा बनाने का जिम्मा भी जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पाण्डे व युवा हस्तशिल्पी प्रशांत पाण्डे को मिला था। पाण्डे मूर्ति भंडार द्वारा पाकिस्तान, लंदन व अमेरिका के इस्कॉन मंदिर के लिए भी प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं। पूर्व में स्वामी नारायण मंदिर, बिड़ला मंदिर के लक्ष्मी-नारायण, इस्कॉन के कृष्ण-बलराम समेत 1.10 लाख प्रतिमाएं पाण्डे मूर्ति भंडार द्वारा बनाई जा चुकी हैं।
हाथ में टोकरी लिए शबरी माता
जयपुर से अयोध्या राम मंदिर के लिए करीब 20 प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं। इनमें माता शबरी को हाथ में बेर की टोकरी लिए और भगवान राम के लिए बेर चखते हुए दर्शाया जाएगा। इसके अलावा निषादराज की प्रतिमा बनाई जा रही हैं। उन्होंने ही वनवासकाल में राम, सीता तथा लक्ष्मण को गंगा पार करवाई थी। वे उसी मुद्रा में नजर आएंगे।
मंदिर के द्वारपाल से लेकर गरुड़ देव तक जयपुर में तैयार किए
राम मंदिर का मुख्यद्वार गणेश पोल के नाम से जाना जाता है। उस के ऊपर जो गणपति विराजमान हैं, वे भी जयपुर से ही गए हैं। यह गणपति 11 इंच के हैं। गर्भ गृह के बाहर दीवार पर 8-8 फीट के जय और विजय हैं। कोलीगोख पर 33-33 इंच के हनुमानजी और गणेशजी विराजमान किए गए