Yami Gautam said – sensitive stories connect with me | यामी गौतम बोलीं- संवेदनशील कहानियां मुझसे जुड़ती हैं: ‘हक’ में सिर्फ शाजिया नहीं, हर उस औरत की आवाज हूं जो न्याय चाहती है

27 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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एक्ट्रेस यानी गौतम ने अपनी नई फिल्म ‘हक’ में शाजिया का मजबूत किरदार निभाया है। एक ऐसी महिला जो समाज और सिस्टम से अपने अधिकार और सच्चाई के लिए लड़ती है। सुपर्ण वर्मा के निर्देशन में बनी यह फिल्म शाह बानो केस से प्रेरित है, जिसने मुस्लिम पर्सनल लॉ, यूनिफॉर्म सिविल कोड और महिलाओं के अधिकारों पर देशभर में बड़ी बहस शुरू की थी।

फिल्म में यामी सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि एक सोच और आवाज के रूप में नजर आती हैं। यह फिल्म 7 नवंबर को रिलीज होने जा रही है। हाल ही में इस फिल्म को लेकर यामी गौतम ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पेश है कुछ प्रमुख अंश..

सवाल: जब आपके पास इतनी संवेदनशील कहानी पहली बार आई, तो आपके मन में क्या चल रहा था?

जवाब: मैं हाईस्कूल में थी जब मैंने पहली बार अखबार में शाह बानो केस के बारे में पढ़ा था। उनका चेहरा और उनकी आंखों में दिखने वाला दर्द आज तक याद है। जब ये फिल्म मेरे पास आई, तो मैं उसी समय में लौट गई। स्क्रिप्ट पढ़ते ही लगा कि कहानी में गहराई और सच्चाई है।

भले ही यह बायोपिक नहीं है, लेकिन किरदार की गरिमा बनाए रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। हमने कोशिश की है कि यह फिल्म डॉक्यूमेंट्री जैसी न लगे, बल्कि एक ऐसी कमर्शियल फिल्म बने जो लोगों को सोचने पर मजबूर करे और उन्हें जोड़ भी सके।

सवाल: आपकी फिल्मों में एक पैटर्न नजर आता है। ‘उरी’, ‘आर्टिकल 370’ और अब ‘हक’। हर बार आप एक ऐसी औरत बनती हैं जो देश या समाज की आवाज बन जाती है। ये हिम्मत आपको कहां से मिलती है?

जवाब: ये हिम्मत मेरे घर से आती है। मैं ऐसे परिवार से हूं जहां औरतें बहुत मजबूत हैं। मेरी मां और बहन से लेकर मेरे पिता और पति तक, सबने हमेशा मेरा साथ दिया है। कई बार हमें जोर से नहीं, बल्कि चुप रहकर लड़ना पड़ता है। अगर आप सच्चे हैं, तो लोग खुद-ब-खुद आपके साथ खड़े हो जाते हैं।

सवाल: जब इस तरह के संवेदनशील विषयों पर फिल्में बनती हैं, तो इंडस्ट्री के कई लोग बचकर निकल जाते हैं। आप बार-बार ऐसे ही विषय क्यों चुनती हैं?

जवाब: मैं जानबूझकर कोई विषय नहीं चुनती। जब कोई कहानी दिल को छूती है, तो मैं उसे मना नहीं कर पाती। दर्शकों से जो प्यार और हिम्मत मिलती है, वही मेरा सबसे बड़ा सहारा है। मेरे लिए फिल्म अच्छी या बुरी नहीं होती — बस सच्चे दिल से कही गई होनी चाहिए।

सवाल: आपकी फिल्म ‘हक’ शाह बानो केस से प्रेरित है। क्या आपको लगता है कि आज भी महिलाओं को उनका पूरा हक नहीं मिला है?

जवाब: कई जगहों पर आज भी नहीं। हर बात कोर्ट तक नहीं जाती, बहुत से दर्द सिर्फ आंखों में नजर आते हैं। देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी जागरूकता की बहुत जरूरत है। फिल्म का संदेश यही है — अगर औरत की आवाज सच्ची है, तो उसे कोई दबा नहीं सकता।

सवाल: फिल्म में शाजिया बानो का किरदार काफी भावनात्मक है। कोई ऐसा सीन जो आपको सबसे ज्यादा छू गया हो?

जवाब: हां, फिल्म के अंत में करीब नौ-दस मिनट लंबा एक मोनोलॉग है। वह सीन मेरे लिए बहुत खास था, क्योंकि उस पल मैं सिर्फ शाजिया नहीं थी, बल्कि उन तमाम औरतों की आवाज बन गई थी जिन्होंने कभी न कभी अन्याय झेला है। मैंने वह सीन एक ही टेक में किया था, और आज भी उसे याद करके दिल भर आता है।

सवाल: फिल्म में यूनिफॉर्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर बहस हो सकती है। आप इसे कैसे देखती हैं?

जवाब: हमारा मकसद विवाद नहीं, बल्कि बातचीत शुरू करना है। अगर कोई फिल्म लोगों को सोचने और चर्चा करने पर मजबूर करे, तो वही सिनेमा का असली उद्देश्य है। हम चाहते हैं कि लोग फिल्म देखें, महसूस करें और उस पर खुलकर बात करें।

सवाल: फिल्म में आपके साथ इमरान हाशमी और अन्य कलाकार भी हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

जवाब: बहुत अच्छा अनुभव रहा। सभी कलाकार अपने काम के प्रति ईमानदार हैं। अच्छे कलाकारों के साथ काम करने से फिल्म और मजबूत बनती है। कहानी तभी असरदार लगती है जब हर किरदार सच्चाई से निभाया गया हो।

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