Worship Lord Ganesha as well as Shanidev on ganesh chaturthi vrat, significance of chaturthi vrat in hindi, , chant Shani mantras and donate mustard oil. | गणेश चतुर्थी व्रत आज: भगवान गणेश के साथ ही शनिदेव की भी करें पूजा, शनि मंत्र जपें और सरसों के तेल का करें दान

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26 मिनट पहले

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आज (8 नवंबर) सुबह करीब 7.30 बजे तक मार्गशीर्ष तृतीया है, इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू होगी। रात में चतुर्थी तिथि रहेगी और कल यानी 9 नवंबर की सुबह चतुर्थी तिथि खत्म हो जाएगी। इसलिए आज गणेश चतुर्थी व्रत किया जाएगा, ये व्रत में रात को चंद्र दर्शन और पूजन के बाद पूरा होता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गणेश चतुर्थी व्रत और पूजा से भक्त के जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। अगर चतुर्थी शनिवार के दिन पड़े, तो इसका महत्त्व और बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन शनिदेव की भी विशेष पूजा करने की परंपरा है। ज्योतिष में शनि को कर्मफल और नौ ग्रहों में न्यायाधीश माना जाता है। शनिवार का कारक ग्रह शनि है। जिन लोगों की कुंडली में शनि से संबंधित दोष हैं, उन्हें शनिवार को इस ग्रह पूजा करने की सलाह दी जाती है।

शास्त्रों में लिखा है कि – गणेशं यः स्मरेन्नित्यं आयुः कामार्थसिद्धये।

विघ्नं न तस्य तत्रैव सर्वत्र सुखमेधते।।

इसका अर्थ ये है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से गणेश जी का पूजन करता है, उसके सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और उसके सभी कार्य सफल होते हैं।

ऐसे कर सकते हैं गणेश जी की पूजा

गणेश चतुर्थी पर स्नान के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके गणेश प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी की हो सकती है। गणेश जी को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र, चावल और दूर्वा अर्पित करें। अगर ज्यादा पूजन सामग्री नहीं है तो कम से कम दूर्वा जरूर चढ़ाएं। दूर्वा गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। इसके बाद गणेश जी के इन 12 नाम मंत्रों का जप करना चाहिए।

  1. ॐ गणाधिपतये नमः।
  2. ॐ उमापुत्राय नमः।
  3. ॐ विघ्ननाशनाय नमः।
  4. ॐ विनायकाय नमः।
  5. ॐ ईशपुत्राय नमः।
  6. ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।
  7. ॐ एकदन्ताय नमः।
  8. ॐ इभवक्त्राय नमः।
  9. ॐ मूषकवाहनाय नमः।
  10. ॐ कुमारगुरवे नमः।
  11. ॐ गजवक्त्राय नमः।
  12. ॐ हरसूनवे नमः।

भगवान को भोग में मोदक और लड्डू चढ़ाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें। पूजन के बाद प्रसाद वितरित करें। गणेश पूजन के बाद दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए।

ये है शनि देव की सरल पूजा विधि

शनिदेव की प्रतिमा का तिल या सरसों के तेल से अभिषेक करें। इसके बाद नीले फूल, काले तिल, काला वस्त्र अर्पित करें। शनिदेव के मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का जप 108 बार करें। भोग में काले तिल से बनी चीजें चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को तिल या तेल का दान करें। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ और ॐ रामदूताय नमः मंत्र का जप करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

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