वोकल फॉर लोकल अभियान के तहत हेरिटेज निगम महापौर और हरे कृष्ण मूवमेंट ने पहल की है। रवि फाउंडेशन की आदिवासियों महिलाओं को आर्थिक संबल और उनके हुनर को पहचान दिलाने के लिए मुहिम में महापौर कुसुम यादव और हरे कृष्ण मूवमेंट ने हाथ बढ़ाया है। आदिवासी महिलाओ
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फाउंडेशन के अध्यक्ष पुलकित भारद्वाज ने बताया कि लक्ष्मीजी के साथ लाभ-शुभ, सुख और समृद्धि के आगमन के लिए घर के मुख्य दरवाजे व आंगन में धान की बंदनवार और शुभ-लाभ बांधने की प्राचीन परंपरा है। आदिवासियों ने धान से ये बंदनवार और लाभ-शुभ प्रतिक चिह्न बनाए हैं।
उनका कहना है कि जब आदिवासियों से इस बार व्यापारियों ने चावल नहीं खरीदा तो आदिवासी महिलाओं ने परिवार चलाने के लिए धान की बालियों से बंदनवार आदि बनाए। रवि फाउंडेशन ने उनको आर्थिक संबल और उनके इस हुनर को पहचान दिलाने की मुहिम शुरू की। फाउंडेशन की इस मुहिम में महापौर और हरे कृष्ण मूवमेंट ने सहयोग किया है।
हरे कृष्ण मूवमेंट के रघुपति दास ने बताया कि सर्वप्रथम जगतपुरा स्थित कृष्ण-बलराम मंदिर में ठाकुरजी को धान बंदनवार अर्पित की। आदिवासी महिलाओं की सहायतार्थ शहर के गणमान्यजन को उनके घरों पर बांधने के लिए शुभ-लाभ भेंट किए। मेयर यादव ने बताया कि हेरिटेज मुख्यालय में अपने कमरे के द्वार पर बंदनवार बांधी और शुभ-लाभ लगाकर इसकी शुरुआत की।
इको फ्रेंडली और स्वच्छता का संदेश, पक्षियों को मिलेगा दाना
फाउंडेशन की मोनिका गुप्ता ने बताया कि प्राकृतिक रूप से इको फ्रेंडली होने के साथ ही इन धान की बंदनवारों व शुभ-लाभ का एक फायदा यह भी है कि त्योहार के बाद इसे पक्षियों को खिलाने के लिए छत, आंगन में बिखेर सकते हैं। इससे यह धान उत्पाद व्यर्थ नहीं जाते।
इनसे सड़कों पर किसी प्रकार का कचरा भी नहीं फैलेगा और स्वच्छता भी बनी रहेगी जो लक्ष्मी जी को प्रिय हैं। क्योंकि सड़क पर न तो इनसे किसी प्रकार का कचरा फैलेगा और न ही गंदगी। अशोक के पत्ते सूखने के बाद सड़क पर फेंक दिए जाते हैं, जबकि इनका दाना चिड़िया व अन्य पक्षी चुग लेंगे। इनमें लगी पराली गोमाता सूखे चारे के तौर पर खा लेंगी। साथ ही पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से भी निजात मिल सकेगी।
मुख्य द्वारों पर धान की बालियां लगाने से आती है सुख-समृद्धि
पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि धन-धान की देवी माता लक्ष्मी को धान विशेष रूप से पसंद होने के कारण उनकी पूजा में धान का विशेष महत्व है। इसी कारण दीपावली के शुभ अवसर पर हम घरों के मुख्य द्वारों पर इन धान से निर्मित उत्पादों को लगा कर, अपनी सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं।
अनेक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि माता लक्ष्मी को यह आमंत्रण उन चिड़ियों के माध्यम से देवी लक्ष्मी मां तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने दरवाजे और घर आंगन पर उतरती हैं। लक्ष्मी जी के स्वागत और उनके आगमन के लिए इन्हें दरवाजे पर लगाते हैं जिसे कि धन-धान के शुभागमन का प्रतीक माना जाता है।
आदिवासी महिलाओं से जुड़ी निवेदिता पाठक कहती हैं कि यह सुंदर दिखने के साथ ही अन्नदेवता का प्रतीक है। धनतेरस और दीपावली पर धान की बाली लगाने को लेकर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें मुख्यद्वार पर सुशोभित करने से घर हमेशा धनधान्य से भरा रहता है। मां लक्ष्मी की पूजा में फल, मिठाई के साथ धान रखना शुभदायी माना गया है।