Wikipedia also described Jaisalmer as a part of the Maratha Empire | ‘मराठाओं के स्वर्णिम काल में भी जैसलमेर आजाद था’: पूर्व राजपरिवार के सदस्य बोले- आक्रमण हुए पर कोई जीता नहीं, इतिहास के शुद्धिकरण की आवश्यकता – Jaisalmer News

जैसलमेर पूर्व राजपरिवार के सदस्य विक्रम सिंह नाचना ने भी सरकार से NCRT की किताब में दिए गए तथ्यों को ठीक करने की गुजारिश की है।

जैसलमेर, मेवाड़ और बूंदी को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने को लेकर पूर्व राज घरानों के सदस्यों ने विरोध जताया है।

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इसी बीच जैसलमेर पूर्व राजपरिवार के सदस्य विक्रम सिंह नाचना ने बयान दिया है। उन्होंने कहा- मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं पश्चिमी राजस्थान कभी मराठा एम्पायर का हिस्सा नहीं रहा। मराठों को लेकर हमारे दिल में सम्मान है लेकिन, किताब में छपे नक्शे को लेकर हमारी नाराजगी है।

मराठों के साथ ना कभी युद्ध हुआ, ना उनका कभी जैसलमेर स्टेट में आगमन हुआ। इतिहास के शुद्धिकरण की आवश्यकता है। सरकार को जल्द से जल्द इस पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा- जैसलमेर पर मुगलों, तुर्कों के आक्रमण हुए, लेकिन कोई जैसलमेर नहीं जीत पाया।

उन्होंने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में जैसलमेर के स्वर्णिम इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने इस दौरान विकिपीडिया पर भी नाराजगी जताई। कहा- विकिपीडिया पर भी जैसलमेर को मराठा एम्पायर का हिस्सा बताया है। यह तथ्यहीन और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है।

दैनिक भास्कर में पढ़िए जैसलमेर के पूर्व राजघराने के प्रमुख चैतन्य राज सिंह भाटी के भाई (कजिन) विक्रम सिंह नाचना ने इस मामले पर क्या कहा-

पहले पढ़िए क्या है विवाद:

  • NCERT की किताब में छपे मैप में मराठा साम्राज्य को कोल्हापुर से लेकर कटक और उत्तर में पेशावर तक फैला हुआ दिखाया गया है।
  • इसमें जैसलमेर, मेवाड़, बूंदी, पंजाब सहित भारत के बड़े हिस्सों को मराठा अधीन बताया गया है।
  • विरोध करने वालों का कहना है कि ऐतिहासिक प्रमाणों में कहीं भी इन रियासतों पर मराठा प्रभुत्व, कराधान या प्रशासनिक नियंत्रण का कोई प्रमाण नहीं है।
नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की आठवीं की सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) में छपा ये नक्शा विवाद का कारण है।

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की आठवीं की सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) में छपा ये नक्शा विवाद का कारण है।

जैसलमेर कभी मराठों के अधीन नहीं रहा विक्रम सिंह ने कहा- शिवाजी के समय जब मराठों का स्वर्णिम काल (16वीं-17वीं शताब्दी) कहा जाता है, तब यहां (जैसलमेर) रावल अमर सिंह का राज था। उन्होंने अमर सागर बनाया, किले में निर्माण करवाए। उन्हें महारावल की उपाधि भी मिली। इसके बाद महारावल मूलराज जी हुए। वह हमारा भी गोल्डन पीरियड था और हमारी हिस्ट्री को अच्छे से दिखाना चाहिए।

उन्होंने कहा- सभी राज्यों की अच्छी खासी हिस्ट्री रही है, उसे अच्छे से दिखाना चाहिए।

जैसलमेर के बारे में मैं कह सकता हूं कि जैसलमेर कभी भी मराठाओं के अधीन नहीं रहा। उनके यहां तक आने और जैसलमेर तक पहुंचने का कोई उल्लेख नहीं है।

जैसलमेर ने तो 1965-71 की लड़ाई में भी देश के लिए लड़ाई लड़ी है। अभी इंडो-पाक वॉर में भी यहां के लोगों ने मोर्चा खोल दिया था।

तस्वीर, विक्रम सिंह नाचना की है। उन्होंने भास्कर को फोन में नक्शा दिखाते हुए बताया कि विकिपीडिया को इसे सही करने की जरूरत है।

तस्वीर, विक्रम सिंह नाचना की है। उन्होंने भास्कर को फोन में नक्शा दिखाते हुए बताया कि विकिपीडिया को इसे सही करने की जरूरत है।

विकिपीडिया पर जताई नाराजगी विकिपीडिया पर भी छपे नक्शे को लेकर विक्रम सिंह ने आपत्ति जताई। उन्होंने दावा करते हुए कहा- विकिपीडिया में मराठा साम्राज्य को लेकर जानकारी दी गई। इसमें भी एक मैप दिया गया है।

इसमें ‘1760 में मराठा साम्राज्य (पीले रंग में) एवं अन्य राज्य’ के नाम से नक्शा लगाया गया है। इस नक्शे में जैसलमेर स्टेट को मराठा साम्राज्य के अंतर्गत दिखाया गया है। इसे भी ठीक किया जाना चाहिए।

आक्रमण हुए, लेकिन कोई जैसलमेर नहीं जीत पाया विक्रम सिंह नाचना ने बताया- मराठा जब अपने स्वर्णिम काल में था, तब भी जैसलमेर स्वाधीन स्टेट था। जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में साल 1178 के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल ने की थी। रावल जैसल के वंशजों ने यहां भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए 770 साल तक सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। जैसलमेर शहर पर खिलजी, राठौर, मुगल, तुगलक आदि ने कई बार आक्रमण किया था। लेकिन वे कभी इसे जीत नहीं पाए। भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा।

तस्वीर उस नक्शे की है, जिसे विकिपीडिया पर दर्शाया गया है। दावा है कि पीले रंग तक जैसलमेर को भी मराठा एम्पायर के अंतर्गत दिखाया गया है।

तस्वीर उस नक्शे की है, जिसे विकिपीडिया पर दर्शाया गया है। दावा है कि पीले रंग तक जैसलमेर को भी मराठा एम्पायर के अंतर्गत दिखाया गया है।

इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का सिलसिला जैसलमेर राजपरिवार सदस्य विक्रम सिंह नाचना ने बताया कि इस तरह से इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना का सिलसिला पिछली सरकारों के समय से रहा है। अब बीजेपी सरकार धीरे-धीरे इनको बदल रही है और असलियत इतिहास से रूबरू करवा रही है। उनकी मांग है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सरकार जल्द से जल्द इतिहास का शुद्धिकरण करवाए।

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जैसलमेर, मेवाड़ और बूंदी को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने को लेकर राजस्थान में विवाद गहराता जा रहा है। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की आठवीं की सामजिक विज्ञान (सोशल साइंस) की किताब को लेकर अब राजस्थान के चार बड़े पूर्व राजघरानों और भाजपा सांसद ने मोर्चा खोल दिया है। (पढ़ें पूरी खबर)

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