मुंबई19 मिनट पहले
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सेबी ने हाल ही में निवेशकों को डिजिटल गोल्ड से दूर रहने की सलाह दी है। ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे पेटीएम, गूगल पे, फोन पे पर बिकता है।
इन्हें न तो इन्हें सिक्योरिटी माना जाता है, न ही कमोडिटी डेरिवेटिव। यानी, अगर प्लेटफॉर्म डिफॉल्ट करे तो सेबी कोई प्रोटेक्शन नहीं दे पाएगी।
ऐसे में सवाल है कि जिनका पहले से डिजिटल गोल्ड में निवेश है, उन्हें अब क्या करना चाहिए। डिजिटल गोल्ड के अलावा सोने में निवेश के और क्या ऑप्शन्स है। इस स्टोरी में जानते हैं…

डिजिटल गोल्ड क्या है और कैसे शुरू हुआ
डिजिटल गोल्ड सोने का डिजिटल रूप है। इसे आप एप्स के जरिए खरीद सकते हैं और कंपनी वॉल्ट में उतना ही फिजिकल गोल्ड रखती है। SIP की तरह इंस्टॉलमेंट में भी खरीद सकते हैं।
भारत में ये 2012 में ऑगमॉन्ट ने इसे शुरू किया था। कंपनी ने देखा कि लोग सोना तो पसंद करते हैं, लेकिन छोटे अमाउंट में खरीदना मुश्किल है। तो उन्होंने 1 रुपए से फ्रैक्शनल खरीदारी लॉन्च की। थर्ड-पार्टी वॉल्ट में सोना रखा जाता है और डिलीवरी ऑप्शन भी है।
ऑगमेंट के बाद MMTC-PAMP आया, जो गवर्नमेंट की MMTC और स्विस MKS PAMP का जॉइंट वेंचर है। ये भारत का सबसे बड़ा गोल्ड रिफाइनर और कस्टोडियन है। पोटीएम, फोनपे, मोतीलाल ओसवाल जैसी कंपनियों के साथ इसने पार्टनरशिप की, जिससे ये पॉपुलर हो गया।
सेबी और RBI इसे रेगुलेट नहीं कर सकते
SEBI इसे सिक्योरिटी या कमोडिटी डेरिवेटिव नहीं मानता। वहीं RBI भी इसे बैंकिंग या डिपॉजिट प्रोडक्ट नहीं मानता। इसलिए इसे रेगुलेट करना मुश्किल है।
ये बिजनेस अभी प्लेटफॉर्म के ट्रस्ट पर चल रहा है। 2021 में डिजिटल गोल्ड का मार्केट 5,000 करोड़ का था, जो 13,800 करोड़ रुपए का हो चुका है।
सेबी की चेतावनी के बाद निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अगर आपके पास पहले से डिजिटल गोल्ड है तो घबराने की जरूरत नहीं है। अभी सेबी ने केवल चेतावनी दी है। आप अभी भी अपने गोलेड की डिलीवरी ले सकते हैं।
या फिर इसे बेचकर रेगुलेटेड प्रोडक्ट में शिफ्ट हो सकते हैं। अगर प्लेटफॉर्म पर ट्रस्ट हो तो रख सकते हैं, लेकिन रिस्क आपका ही होगा।
डिजिटल गोल्ड की जगह अब कहां निवेश किया जा सकता है?
अगर आप सेफ तरीके से गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो तीन सेफ तरीके हैं…
1. फिजिकल गोल्ड: बिस्किट-सिक्के चुनें, ज्वेलरी से बचें
फिजिकल गोल्ड मतलब सोने के बिस्किट, सिक्के या ज्वेलरी खरीदना। लेकिन ज्वेलरी खरीदने पर 10-20% मेकिंग चार्ज लग जाता है। ज्वेलरी में 24 कैरेट प्योर गोल्ड भी नहीं आता। इसलिए अगर गोल्ड में निवेश करना है तो बिस्किट या सिक्के खरीदना चाहिए।
2. गोल्ड ETF: शेयर बाजार जैसे आसान ट्रेडिंग
गोल्ड ETF में सोने को शेयर्स की तरह खरीद-बेच सकते हैं। ये NSE/BSE पर ट्रेड होते हैं। इसमें दाम मार्केट में चल रही सोने की कीमत के हिसाब से घटती-बढ़ती हैं। इसे खरीदने के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है। इसमें चोरी या शुद्धता की कोई चिंता नहीं करनी पड़ती।
3. गोल्ड म्यूचुअल फंड्स: SIP या लम्पसम में निवेश
इसमें फंड मैनेजर्स गोल्ड ETFs और गोल्ड से जुड़े स्टॉक्स में पैसा लगाते हैं। ये ETFs की तरह NSE या BSE पर ट्रेड नहीं होते। इसके लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती। अन्य म्युचुअल फंड्स की तरह SIP या लम्पसम दोनों तरह से इसमें निवेश किया जा सकता है।
डिजिटल गोल्ड के मुकाबले ज्यादा कॉस्ट एफिशिएंट भी
ये तीन ऑप्शन ज्यादा कॉस्ट-एफिशिएंट भी हैं। क्योंकि डिजिटल गोल्ड में स्टोरेज, इंश्योरेंस, प्लेटफॉर्म मार्जिन कवर करने के लिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं। ऊपर से खरीद पर 3% GST भी लगता है। हालांकि फिजिकल गोल्ड को रखने में आपको सेफ्टी का भी ध्यान रखना होगा। वहीं ETF में निवेश के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी।
