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- Why Is Mahalakshmi Seen Sitting Near The Feet Of Lord Vishnu? Learn The Lesson From This Picture., Diwali 2025, Deepawali 2025, Mahalaxmi Puja Tips
5 घंटे पहले
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20 अक्टूबर को दीपावली है, इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। महालक्ष्मी धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं और भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता है। ग्रंथों, चित्रों और मंदिरों में एक तस्वीर और मूर्ति अक्सर दिखाई देती है, जिसमें महालक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणों के पास बैठी हुई हैं। लक्ष्मी-विष्णु की इस मुद्रा में जीवन प्रबंधन के महत्वपूर्ण सूत्र छिपे हैं। इन सूत्रों को अपनाने से धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
धर्म के मार्ग पर चलना ही है सच्चा पुरुषार्थ
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, भगवान विष्णु सृष्टि के रक्षक हैं, वे कर्म और पुरुषार्थ के प्रतीक भी हैं। श्रीहरि ने अपने अवतारों से संदेश दिया है कि धर्म के मार्ग पर चलना ही सच्चा पुरुषार्थ है।
देवी लक्ष्मी का स्थान भगवान विष्णु के चरणों के पास दिखाया जाना महज एक पारंपरिक चित्रण नहीं है, बल्कि ये मुद्रा हमें संदेश देती है कि धन उसी के पास आता है जो धर्म और कर्म के मार्ग पर चलता है, जो पुरुषार्थी है। जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से कर्म करता है, उसके पीछे महालक्ष्मी स्वयं चलकर आती हैं।
विष्णु जी निर्मोही माने जाते हैं, उन्हें किसी चीज से मोह नहीं है। वे अपने कार्य में निष्ठा रखते हैं और सृष्टि की भलाई के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसी तरह, मनुष्य को भी धन का दास बनने के बजाय, धन को साधन के रूप में अपनाना चाहिए।
इस चित्र का ये अर्थ भी है कि धन को हमेशा चरणों में स्थान देना चाहिए, इसे हमें अपने सिर पर जगह नहीं देनी चाहिए। जब कोई व्यक्ति धन को ही सबकुछ मान लेता है, उसकी बुद्धि में धन जगह बना लेता है, तो वह घमंडी हो जाता है। अहंकारी व्यक्ति विनाश की ओर बढ़ता है। इसलिए धन को अपने दिमाग में जगह नहीं देनी चाहिए, दिमाग में सत्कर्म, विनम्रता और धर्म को जगह देनी चाहिए। जब धन को विनम्रता से स्वीकार किया जाता है, उसका उपयोग धर्म, सेवा और सत्कर्मों में किया जाता है, तब वह हमारे पास लंबे समय तक टिका रहता है।
केवल भाग्य नहीं, कर्म भी जरूरी है
ये चित्र जीवन की एक और अहम सीख देता है, कर्म करो, फल की चिंता मत करो। अगर कोई व्यक्ति केवल भाग्य के भरोसे बैठा रहेगा और कर्म नहीं करेगा, तो लक्ष्मी उसके पास नहीं आ सकती। लक्ष्मी वहां वास करती हैं, जहां श्रम, निष्ठा और धर्म के साथ कार्य किया जाता है।
भगवान विष्णु के चरणों में बैठी लक्ष्मी की यह तस्वीर केवल धार्मिक भावना का प्रतीक नहीं, बल्कि एक सीख देती है। ये हमें सिखाती है कि जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, निस्वार्थ सेवा करते हैं और धर्म के पथ पर चलते रहते हैं, तभी लक्ष्मी – यानी धन, वैभव और समृद्धि, हमारे जीवन में स्थायी रूप से आते हैं। इसलिए अगली बार जब आप ये तस्वीर देखें, तो केवल इसे पूजें नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे संदेश को समझें और अपने जीवन में उतारें, तभी जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।