बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग से किसने की छेड़छाड़
विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योर्तिलिंग बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग और अरघा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने अपने सोशल मीडिया X पर तस्वीर साझा की है। इसमें नजर आ रहा है कि शिवलिंग और अरघा के आसपास सीमेंट का लेप जैसा कुछ लगा है।
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इस तस्वीर के बाद चर्चा का बाजार गर्म है। सवाल उठ रहा है कि आखिर बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग से किसने छेड़छाड़ की है। इस बात का संज्ञान लेते हुए देवघर कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
सांसद ने लिखा है- द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ तथा 51 शक्तिपीठों में से एक ह्रदय पीठ देवघर में झारखंड सरकार का यह अनर्थ, शिवलिंग पर सीमेंट धार्मिक आस्था पर कांग्रेस सरकार का सीधा प्रहार है।
शिवलिंग और अरघा की इसी तस्वीर से हुआ बवाल
कलेक्टर ने कि सोशल मीडिया के माध्यम से बाबा मंदिर के गर्भगृह में किए गए कार्यों से जुड़े मामले को संज्ञान लेते हुए मंदिर प्रभारी को जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया है। साथ ही अपने कार्य के प्रति लापरवाही बरतने वाले कर्मियों पर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अब जानिए क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, शनिवार को बाबा मंदिर के गर्भ गृह में विशेष सफाई की बात कहकर परिसर में सूचना फैलाकर दोपहर तीन बजे ही मंदिर का पट बंद कर दिया गया। उसके बाद मंदिर का पट श्रृंगार पूजा के दौरान खोला गया और पूजा की गई।
जब दोबारा रविवार को मंदिर का पट खोला गया तो शिवलिंग का रूप बदला हुआ था। इसके ऊपर सीमेंट जैसी चीज लगी थी। आरोप है कि बाबा मंदिर को बंद कर सफाई के नाम पर शिवलिंग पर किसी चीज का लेप लगाया गया तथा गर्भगृह में टूटे हुए कुछ टाइल्स बदले गए।
पुरोहितों का कहना है कि कोर्ट के निर्देश के अनुसार मंदिरों के गर्भगृह में किसी तरह का काम करने से पहले मंदिर प्रशासन को पुरोहित समाज तथा सरदार पंडा की स्वीकृति लेना अनिवार्य है।
देवघर डीसी ने जांच के आदेश दिए हैं।
पौराणिकता और धार्मिक मान्यताओं के विपरीत
इस बावत पंडा धर्मरक्षिणी सभा के उपाध्यक्ष चंद्रशेखर खवाड़े ने बताया- मंदिर में प्रशासन धार्मिक भावनाओं को हताहत करते हुए आम जनमानस को बिना कुछ बताएं पौराणिकता और धार्मिक मान्यताओं के विपरीत काम कर रही है। सभा इसका विरोध करती है। ऐसे कुकृत्यों की निंदा करती है। बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग के अगल-बगल में छेड़छाड़ किया गया, जिसे बिना किसी सूचना के चोरी छुपे किया गया। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण और धर्म विरोधी कृत्य है।
मरम्मत की जरूरत तो चांदी या पारा का हो इस्तेमाल
पंडा धर्मरक्षिणी सभा के पूर्व महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर ने बताया- अरघा के चारों ओर की मरम्मत सीमेंट या एमसील से नहीं होना चाहिए। इसमें चांदी या पारा प्रयोग होना चाहिए, जो शास्त्र सम्मत है। सीमेंट और एमसील के लगाने के बाद बाबा का श्रृंगार करने से पहले फुलेल ( फूल से बने तेल) लगाया जाता है तो वह काला हो जाता है। हम लोग बाबा बैद्यनाथ को जीवंत मानते हैं।
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देवघर मंदिर की पूरी व्यवस्था डीसी के हाथ में होती है। देवघर के डीसी ही मंदिर के प्रशासक होते हैं। मंदिर के सिस्टम को चलाने के लिए मुख्य प्रबंधक की नियुक्ति होती है। मंदिर के चढ़ावा और दर्शन पूजन की व्यवस्था मंदिर प्रबंधन की होती है, जिसपर डीसी का कंट्रोल होता है।
मौजूदा समय में देवघर के डीसी विशाल सागर मंदिर के प्रशासक और रमेश परिहस्त मुख्य प्रबंधक हैं। बात मंदिर में दर्शन की व्यवस्था की करें तो यहां दो सिस्टम है। एक जनरल लाइन की व्यवस्था है, जिसमें 4 से 6 घंटे लंबी लाइन में चलकर दर्शन होता है। दूसरी व्यवस्था शीघ्र दर्शन की है, यह पेड व्यवस्था है। पूरी खबर पढ़ें…