What is being taught does not match the industry, students face difficulties | अग्रवाल ने कहा-: जो पढ़ा रहे हैं वह इंडस्ट्री से मैच नहीं करता, छात्रों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है – Bhopal News

भोपाल एक ऐसा शहर है जहां तीन डिजाइन संस्थान एनआईडी, एसपीए और निफ्ट हैं। यह बहुत बड़ी बात है। लेकिन, एक मुख्य बात यह भी है कि जो उच्च शिक्षण संस्थान पढ़ा रहे हैं वह इंडस्ट्री से मैच नहीं करता। जब टेक्सटाइल के छात्र पास होते हैं तो उन्हें इंडस्ट्री में

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हायर एजुकेशन में अब भी कमी है, लेकिन जब सब मिलकर काम करेंगे तो रास्ता जरूर बनेगा। यह बात निफ्ट के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट कर्नल आशीष अग्रवाल ने कही। वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईसर) में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों के ब्रेन स्टॉर्मिंग सेशन में बोल रहे थे। आईआईआईटी के डायरेक्टर प्रो. आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कई ऐसे संस्थान हैं, जहां लैब तो है पर उपकरण के एक्सपर्ट नहीं हैं। यहां कोई प्रोडक्टिव वर्क नहीं हो रहा है।

एक्सपर्ट हमें तैयार करना है आईसर के डायरेक्टर डॉ. गोबर्धनदास ने काउंटर करते हुए कहा कि हमारे पास आज एक्सपर्ट नहीं हैं तो क्या कल भी नहीं होंगे। हमें रिसर्च पार्क बनाना है ,एक्सपर्ट तो हमें खड़े करने होंगे। जब रास्ते बनेंगे तो सब संभव होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि टेक्नोलॉजी को लेकर कुछ किया नहीं जाए।

हमारे आइडिया पर रिस्क नहीं लेते : प्रो. शुक्ला मैनिट के डायरेक्टर प्रो. करुणेश कुमार शुक्ला ने कहा कि मैनिट और एम्स मिलकर ज्वाइंट पीएचडी करवा रहे हैं। लेकिन इंडस्ट्रीज को भी आगे आना होगा। उन्होंने कहा हमारे पर आइडिया तो है पर रिस्क लेने की क्षमता की कमी है। अगर शिक्षण संस्थान एक दूसरे के साथ मिलकर कोर्स डिजाइन करेंगे और काम करेंगे तो रिजल्ट बेहतर आएंगे।

पानी के भीतर स्मगलिंग हो रही : सतीश नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी भोपाल के डायरेक्टर डॉ. सतीश कुमार ने कहा कि फारेंसिक साइंस में बेसिक साइंस, एप्लाइड साइसं, लॉ जैसे कई तत्व शामिल हैं। भोपाल में इनसे जुड़े संस्थान भी हैं। अब पानी के अंदर से स्मगलिंग हो रही है। अंडर वॉटर ड्रोन फारेंसिक का एनालिसिस किया जा रहा है। इसमें एआई की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

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