33 मिनट पहले
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आज (24 अप्रैल) वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे वरुथिनी एकादशी कहते हैं। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया है। वरुथिनि एकादशी व्रत घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से किया जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत करने की परंपरा है। सुबह विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक करें और शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। इस दिन बाल गोपाल को भी माखन-मिश्री का भोग लगाना चाहिए। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप भी करें।
तुलसी के पास दीपक जलाकर करें मंत्र जप
वरुथिनि एकादशी की शाम तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करनी चाहिए। शाम को तुलसी पूजा करते समय तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। पूजा में शालिग्राम की प्रतिमा भी रखनी चाहिए। तुलसी और शालिग्राम को फूल, वस्त्र अर्पित करें। फलों का भोग लगाएं। तुलसी के सामने बैठकर तुलसी की माला से मंत्र जप करें। मंत्र जप की संख्या 108 होनी चाहिए। तुलसी पूजा मंत्र- ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
अब जानिए वरुथिनि एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं…
- भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा के साथ ही शिवलिंग का भी अभिषेक करना चाहिए। पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से करें। इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, घी, शहद और मिश्री को मिलाएं और शिवलिंग पर अर्पित करें। दीपक जलाकर ऊँ नम शिवाय मंत्र का जप 108 बार करें। एकादशी पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करना चाहिए।
- गुरुवार और एकादशी के योग में गुरु ग्रह की भी विशेष पूजा जरूर करें। नौ ग्रहों में गुरु धनु और मीन राशि का स्वामी है। कुंडली में इस ग्रह की स्थिति का सीधा असर व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और भाग्य पर होता है। जिन लोगों की कुंडली में इस ग्रह की स्थिति सही नहीं है, उन लोगों को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है और छोटे-छोटे कामों में कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता मिलती है। इस ग्रह के दोष दूर करने के लिए हर गुरुवार शिव जी की खास पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है। शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। शिवलिंग का पीले फूलों से श्रृंगार करें। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। गुरु ग्रह के लिए चने की दाल का दान करना चाहिए।
- एकादशी पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना दान करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। किसी तालाब में मछिलयों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।
- जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें दिनभर निराहार रहना चाहिए। जिन लोगों के लिए भूखे रहना संभव नहीं है, वे फलाहार कर सकते हैं, फलों का और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। सुबह-शाम भगवान विष्णु की पूजा करें। मंत्रों का जप करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद फिर से विष्णु पूजा करें। इसके बाद जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं और फिर खुद भोजन करें। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।