vinod khanna his first film Insaaf after returning from Osho ashram People stood in 1 km long queues to buy tickets | अनंत महादेवन ने सुनाया विनोद खन्ना की ‘इंसाफ’ का किस्सा: बोले- टिकट के लिए 1 किलोमीटर लंबी लाइन लगती थी; 1987 में रिलीज हुई थी फिल्म

8 मिनट पहले

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एक्टर और डायरेक्टर अनंत महादेवन ने हाल ही में विनोद खन्ना के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि भले ही विनोद खन्ना अमेरिका में ओशो आश्रम में चले गए थे, लेकिन उनकी पॉपुलैरिटी इतनी जबरदस्त थी कि जब फिल्म इंसाफ रिलीज हुई, तब सिनेमाघरों के बाहर टिकट के लिए घंटों तक लोगों की लंबी लाइनें लगी थीं।

सिद्धार्थ कन्नन के साथ एक इंटरव्यू में अनंत महादेवन ने विनोद खन्ना के साथ काम करने के अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा विनोद खन्ना जैसे बड़े कलाकार के साथ काम करना चाहता था। जब आप दिल से कुछ चाहते हैं, तो वह सच भी हो जाता है। जब मैंने रेड अलर्ट फिल्म बनाई, जो नक्सलियों पर थी, तो उसमें आशीष विद्यार्थी, समीर रेडी और सुनील शेट्टी जैसे स्टार्स थे। हालांकि, उस फिल्म में विनोद खन्ना ने एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुझे उनके साथ काम करने का मौका भी मिल गया।’

अनंत महादेवन ने कहा, ‘एक वक्त ऐसा था जब विनोद खन्ना का स्टारडम अमिताभ बच्चन के लिए चुनौती बन गया था। लेकिन सब कुछ तब बदल गया जब वह अपना फिल्मी करियर छोड़कर अमेरिका में ओशो आश्रम चले गए। हालांकि, जब वह पांच साल बाद वापस आए और फिल्म इंसाफ से फिर अपना करियर शुरू किया तो उनकी पॉपुलैरिटी इतनी जबरदस्त थी कि लोग अप्सरा थिएटर से लेकर मराठा मंदिर तक, जो एक किलोमीटर से भी ज्यादा दूर था। वहां टिकट खरीदने के लिए लाइन पर लगे थे।’

अनंत ने कहा, ‘इंसाफ फिल्म की शुरुआत तो काफी अच्छी हुई थी। लेकिन फिल्म ज्यादा सफल नहीं हो पाई। हालांकि, फिर भी विनोद खन्ना ऐसे इंसान थे जो हर समय, हर स्थिति में खुद को साबित करते थे, चाहे वह फिल्म हो या राजनीति।’

अनंत ने आगे कहा, ‘विनोद खन्ना बहुत ही खुशमिजाज और अच्छे इंसान थे। हर बार जब मैं उनके पास किसी रोल के लिए जाता, तो वे कहते थे अनंत, तुम मुझे जानते हो, मेरा एक रेट है। मैं 35 लाख ही लेता हूं। चाहे एक दिन शूट कराओ या 20 दिन, मेरी फीस वही रहती है।’

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