एक दिन, कुश्ती के 3 मुकाबले, तीनों में ऐसी जीत कि दुनिया हैरत करने लगी। सोचने लगी कि ये वही विनेश फोगाट है, जो 2016 रियो ओलिंपिक में रोते हुए मैच से बाहर निकली थीं। ये वही विनेश है, जिसे 2020 टोक्यो ओलिंपिक में हार के बाद खोटा सिक्का कहा गया। क्या ये
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विनेश पेरिस ओलिंपिक में अब गोल्ड के लिए दांव लगाएंगी। दुनिया ने एक दिन में 3 मैच जीतने वाली विनेश की लड़ाई देखी, लेकिन ये एक जंग है, जो 8 साल पहले शुरू हुई। भास्कर रिपोर्टर चरखी दादरी में विनेश फोगाट के घर पहुंचा। उनके भाई हरविंदर मिले। कहने लगे, “विनेश बचपन से ही लड़ रही है पर कभी हार नहीं मानी। 2016 में चोट लगने के बावजूद एक पल नहीं रुकी।लड़ती ही रही।” विनेश के घर से ग्राउंड रिपोर्ट में 8 साल की जंग की कहानी…
पेरिस में एक दिन की लड़ाई
1. गोल्ड मेडलिस्ट को पटका
प्री-क्वार्टर फाइनल राउंड में विनेश के सामने दुनिया के नंबर-1 रेसलर युई सुसाकी की चुनौती थी। सुसाकी चार बार की वर्ल्ड चैंपियन हैं और टोक्यो ओलिंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट हैं। सबसे अहम बात सुसाकी ने कोई इंटरनेशनल मैच नहीं गंवाया था। उन्होंने अपने सभी 82 इंटरनेशनल मुकाबले जीते थे।
उनसे पार-पाना कठिन था। ऐसे में विनेश ने सुसाकी को उन्हें के पैंतरे से मात दे दी। सुसाकी रेसलिंग के टेक-डाउन पैंतरे की स्पेशलिस्ट हैं। सुसाकी ने विनेश के खिलाफ भी इसी का इस्तेमाल किया। लेकिन उनका दांव उल्टा पड़ गया, क्योंकि विनेश ने भी इसी पैंतरे का इस्तेमाल कर लीड ले ली और 3-2 से जीत हासिल की।
विनेश ने नंबर-1 रेसलर युई सुसाकी को 3-2 से हराया।
2. युक्रेन की पहलवान को संभलने नहीं दिया
दोपहर में विनेश का क्वार्टर फाइनल मैच यूक्रेन की ओकसाना लिवाच से था। इसे भारतीय पहलवान ने 7-5 से जीता। विनेश पहली बाउट से आक्रामक रुख अपनाया और लिवाच पर लेट अटैक किया।
इस बाउट में स्कोर 2-0 रहा। उसके बाद दूसरी बाउट में विनेश ने फिर लेग अटैक किया। ऐसे में यूक्रेनी पहलवान डिफेंसिव हो गई। आखिर में विनेश ने दो टेक डाउन के साथ बढ़त बरकरार रखी और मुकाबला 7-5 से अपने नाम किया।
विनेश ने क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की ओकसाना लिवाच को 7-5 से हराया।
3. एकतरफा सेमीफाइनल
विनेश ने सेमीफाइनल मुकाबला एकतरफा अंदाज में जीता। उनका सामना क्यूबा की पहलवान गुजमान लोपेजी से था। इस मुकाबले को विनेश ने 5-0 से जीता। विनेश को पहला अंक तब मिला, जब रेफरी ने लोपेजी को वार्निंग दी और वे एक मिनट में अंक नहीं ले सकीं।
फिर दूसरे राउंड में विनेश ने 4 अंक और बटोरते हुए सेमीफाइनल जीत लिया। अब विनेश का गोल्ड मेडल मैच अमेरिका की सारा एन हिल्डरब्रांट से होगा।
लोपेजी से फाइट के दौरान भारत की विनेश फोगाट।
अब 8 साल की जंग…
1. 2016 ओलिंपिक में पैर टूटा
2016 के रियो ओलिंपिक से पहले विनेश अच्छे फॉर्म में थीं और उनसे सब पदक की आस लगाए बैठे थे। पहली बाउट में विनेश 1-0 से आगे थी, लेकिन एक दांव के बचाव में उनके दाएं घुटने पर चोट लग गई। यहां दर्द से कराहती विनेश को स्ट्रेचर पर उठाकर ले जाना पड़ा। पर कैरीओका एरीना की मैट पर लेटी विनेश किसी तरह उठकर लड़ना चाह रही थीं।
विनेश ने कहा था- ‘मुझे अभी भी पता नहीं है कि क्या हुआ था। मैं बस उठकर जारी रखना चाहती थी, लेकिन मेरे पैर काम नहीं कर रहे थे। मैं चाह रही थी कि कोई मुझे कुछ दर्द निवारक दवा दे दे। मैं फिर से वहां जाना चाहती थी। मैंने अभी हार नहीं मानी थी। मैं हार मानने वालों मे से नहीं हूं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैं सब कुछ देख सकती थी और मैं असहाय पड़ी थी।’
रियो ओलिंपिक के बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में ढ़ोल-नगाड़ों के साथ मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु और साक्षी मलिक का स्वागत हो रहा था। वहीं, दूसरे गेट से रुआंसी विनेश फोगाट व्हीलचेहर से बाहर आ रही थीं।
विनेश रियो ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल मैच में चोटिल हो गईं।
चोट लगने के बाद विनेश को स्ट्रेचर में ले जाना पड़ा था।
2. चोट के बाद दमदार वापसी, एशियाड का गोल्ड जीता
रियो में मेडल का सपना टूटने के बाद विनेश ने हार नहीं मानी। 2017 एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप से वापसी की, लेकिन इस बार वेट कैटेगरी नई थी। अब विनेश 50 kg में खेलने लगी थीं। 2018 के सीजन में विनेश का दबदबा रहा। उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीते। वे एशियाड में कुश्ती का गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
विनेश ने 2019 में भी फॉर्म बरकरार रखी। अब विनेश ने 53 किलोग्राम में खेलने का फैसला किया, ताकि चोट के जोखिम को कम हो और करियर लम्बा हो। विनेश ने कजाकिस्तान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में मुश्किल ड्रॉ के बीच ब्रॉन्ज जीता और टोक्यो ओलिंपिक का टिकट हासिल किया।
विनेश (50kg) ने एशियन गेम्स-2018 में जापान की यूकी इरी को 6-2 से हराकर गोल्ड जीता।
विनेश एशियाड का गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं थी।
3. टोक्यो में हारीं तो फेडरेशन ने खोटा सिक्का कहा, बैन हुईं
कोटा हासिल करने के बाद विनेश टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुट गईं, लेकिन कोरोना महामारी ने बाधा डाल दी। महामारी के कारण ओलिंपिक गेम्स 2021 में आयोजित हुए। 53 kg में खेल रही विनेश फोगाट को बेलारूस की वेनेसा कालादजिन्सकाया ने 9-3 से हराया और उनकी गोल्ड की उम्मीदें तोड़ दी। यहीं से शुरू हुआ परेशानियों का दौर।
इस हार पर विनेश के भाई हरविंदर भास्कर से कहते हैं, ‘टोक्यो ओलिंपिक 2020 में विनेश ने चोट से उबरकर कमबैक किया। उनके फिजियो को टोक्यो जाने का वीजा नहीं दिया गया। रेसलिंग फेडरेशन जो किट दी थी, उसमें विनेश कम्फर्टेबल नहीं थी। उसने अपने स्पॉन्सर की किट पहनी, लेकिन उसे ऐसा करने से रोका गया।
गेम्स के मुश्किल रेसलिंग मैचों के बीच उन्हें अपना सारा सामान खुद ही उठाकर ले जाना पड़ रहा था। उसने ज्यादा मेहनत और किट के कारण क्वार्टर फाइनल से ठीक पहले बीमार हो गई। प्रैक्टिस के दौरान उसकी पुरानी चोट भी उभर आई, लेकिन डॉक्टर तक नहीं दिया गया। जिस कारण वो हार गई।’
हरविंदर ने कहा, ‘टोक्यो से लौटी तो फेडरेशन अध्यक्ष ने विनेश को खोटा सिक्का कहा, बोले- लंगड़े घोड़े पर दांव नहीं लगाना था। फेडरेशन अध्यक्ष के शब्दों ने विनेश को तोड़ दिया।’ जर्सी नहीं पहनने के कारण विनेश को बैन भी कर दिया गया था।’
टोक्यो ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल में विनेश (53 kg) को बेलारूस की वेनेसा कालादजिन्सकाया ने 9-3 से हराया।
4. टोक्यो के बाद डिप्रेशन में गईं, डॉक्टर बोले- कुश्ती छोड़ दो
हरविंदर ने कहा, ‘एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली रेसलर को खोटा सिक्का कहना सही नहीं था।देश के लिए खेलने पर भी मिले दिल तोड़ने वाले शब्दों ने उसे डिप्रेशन में डाल दिया।’ उन्होंने बताया, ‘डिप्रेशन से उबरने के लिए विनेश जब डॉक्टर के पास गईं, तब हमें पता चला कि 2018 में प्रैक्टिस के दौरान उसे सिर पर गहरी चोट लगी थी। तब ज्यादा परेशानी नहीं हुई, इसलिए हमने उसे गंभीरता से नहीं लिया। डॉक्टर ने कहा कि ज्यादा टेंशन लेने के कारण विनेश की चोट उभर आई।
विनेश की चोट को देखते हुए डॉक्टर ने उसे कुश्ती से दूर रहने और परिवार के साथ समय बिताने की सलाह दी। फैमिली सपोर्ट से विनेश रिकवर हुईं, उसने रेसलिंग में वापसी की और कॉमनवेल्थ गोल्ड भी जीत लिया। इतना ही नहीं, टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया।
विनेश फोगाट को चोट और डिप्रेशन से उबरने में 9 महीने लग गए। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम
5. प्रैक्टिस जारी रखी और ओलिंपिक क्वालिफाई किया
डिप्रेशन और प्रतिबंध के बाद भी विनेश ने हार नहीं मानी। पहलवानों के धरने के बीच प्रैक्टिस करती रहीं और 20 अप्रैल को पेरिस ओलिंपिक के क्वालिफिकेशन इवेंट में 50 किग्रा कैटेगरी में कोटा हासिल किया।
हरविंदर कहते हैं, ‘विनेश ने पिछले दिनों जब साक्षी और अन्य पहलवानों के साथ फेडरेशन के जुर्म का विरोध किया। तब झूठ फैलाया गया कि विनेश ट्रायल नहीं देना चाहती। ऐसा नहीं था वो ट्रायल की तैयारी के लिए थोड़ा समय मांग रही थी। पर एडहॉक कमेटी ने उसे बिना ट्रायल के भेजने का फैसला किया। भगवान की कृपा रही कि विनेश इंजरी का शिकार हुई और वह एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले सकी। अगर विनेश इंजर्ड नहीं होती तो उस पर बगैर ट्रायल्स के एशियन गेम्स खेलने का दाग लग जाता।
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के खिलाफ धरने के दौरान विनेश फोगाट।
विनेश जीत के बाद मां से बोलीं- गोल्ड लाना लाना है
विनेश फोगाट ने सेमीफाइनल जीतने के बाद घर में मां से बात की। विनेश ने मां से हाथ उठाकर खुशी जाहिर की और कहा- गोल्ड लाना है। इस वीडियो में मां भी उनका उत्साह बढ़ाती नजर आईं।