Vikrant Massey; Gujarat Riots (The Sabarmati Report) Movie | Bollywood | ‘गोधरा कांड की आग में रोटियां सेंकीं गईं’: इसपर बनी फिल्म करने पर धमकियां; विक्रांत बोले- विरोधी मेरे नवजात बच्चे को भी नहीं छोड़ रहे

मुंबई3 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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विक्रांत मैसी की अपकमिंग फिल्म द साबरमती रिपोर्ट पर विवाद है। - Dainik Bhaskar

विक्रांत मैसी की अपकमिंग फिल्म द साबरमती रिपोर्ट पर विवाद है।

15 नवंबर को फिल्म रिलीज हो रही है- द साबरमती रिपोर्ट। यह फिल्म गोधरा कांड और उसके बाद हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। ट्रेलर रिलीज के बाद फिल्म विवादों में भी है। फिल्म के लीड एक्टर विक्रांत मैसी को धमकियां मिल रही हैं। यहां तक कि विरोधी उनके 9 महीने के बच्चे को भी नहीं छोड़ रहे। उसके बारे में भी अनाप-शनाप बोल रहे हैं।

इस बात का खुलासा खुद विक्रांत मैसी ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में किया है। विक्रांत ने कहा कि गोधरा कांड की आग में कइयों ने रोटियां सेंकीं हैं, लेकिन जो मारे गए, वे सिर्फ आंकड़े बनकर रह गए।

गुजरात दंगों को 22 साल हुए, लेकिन सच्चाई अभी भी नहीं पता विक्रांत मैसी ने कहा कि उन्हें पता था कि फिल्म का मुद्दा सेंसिटिव है। उन्हें महसूस भी हुआ कि इसे लेकर पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरीके से बात हो सकती है। हालांकि फिल्म की प्रोड्यूसर एकता कपूर को अपनी स्क्रिप्ट पर पूरा भरोसा था।

विक्रांत ने कहा, ‘मुझे एकता ने एक लंबा-चौड़ा रिसर्च पेपर दिया। मुझे समझ में आ गया कि रिसर्च इतनी पक्की है तो विवाद होने का कोई चांस ही नहीं है। शुरुआत में मुझे जरूर लगा कि कहीं यह फिल्म किसी खास धर्म, वर्ग या व्यक्ति के खिलाफ तो नहीं है। बाद में स्क्रिप्ट पढ़कर समझ में आ गया कि यह फिल्म सिर्फ सच्चाई पर बात करती है। अफसोस है कि 22 साल हो गए, लेकिन इस मुद्दे पर ज्यादा बात नहीं हुई।’

मेरे 9 महीने के बच्चे को भी नहीं छोड़ा विक्रांत ने बताया कि गुजरात दंगों पर बनी फिल्म में काम करने की वजह से उन्हें धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरे वॉट्सएप पर धमकी भरे मैसेज आ रहे हैं। मैं अभी 9 महीने पहले एक बेटे का बाप बना हूं। वह अभी चलना भी नहीं सीख पाया है। उसके बारे में भी उल्टा-सीधा बोला जा रहा है। समझ नहीं आता कि हम किस युग में जी रहे हैं। क्या आर्ट को दबाना सही है?

जर्मनी की नाजी आर्मी ने हजारों यहूदियों का नरसंहार किया। उस पर बहुत सारी फिल्में बनीं और उन्हें अवॉर्ड भी मिले। ठीक ऐसे ही अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराए, इस पर कई अवॉर्ड विनिंग फिल्में बनीं। फिर हम अपने यहां की घटनाओं पर फिल्म बनाने के लिए इतना क्यों सोचते हैं?’

फिल्म साइन करते वक्त डर लगा, लेकिन आज नहीं तो कब? फिल्म की एक्ट्रेस राशि खन्ना ने कहा कि जब उनके पास इस फिल्म का ऑफर आया तो डर जरूर लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ भी होता है, तो सबसे पहले बम एक्टर्स पर ही फूटता है।

राशि ने कहा, ‘एक कहावत है, हम नहीं तो कौन और आज नहीं तो कब? किसी को तो ऐसी फिल्में करनी पड़ेंगी। गोधरा कांड की असल सच्चाई अभी किसी को पता नहीं है। इस घटना की आग कहां से उठी और कैसे शुरुआत हुई, हमने फिल्म के जरिए ये सारी बातें दिखाई हैं। जब हमारे पास फिल्म का ऑफर आया तो डर जरूर लगा। डर था कि कहीं कुछ ऊंच-नीच न हो जाए। फिल्म चाहे कोई बनाए, लेकिन इसका चेहरा तो हम एक्टर ही होते हैं। इसी वजह से ट्रोलिंग भी हमारी ही सबसे ज्यादा होती है।’

राशि मूल रूप से तमिल और तेलुगु फिल्मों में ज्यादा काम करती हैं।

राशि मूल रूप से तमिल और तेलुगु फिल्मों में ज्यादा काम करती हैं।

आज पत्रकारिता की स्थिति दयनीय, भरोसा ढूंढने कहां जाऊं? यह पूरी फिल्म जर्नलिज्म के एंगल से बनाई गई है। गोधरा कांड को उस वक्त के पत्रकारों ने कैसे पेश किया, फिल्म की कहानी इसी पर बेस्ड है।

रिद्धि डोगरा कहती हैं, ‘आज के वक्त में जर्नलिस्ट खबरों को बहुत कैजुअली बताते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि भरोसा ढूंढने कहां जाऊं। सभी मीडिया हाउसेस खुद को आगे दिखाने में लगे हैं। खबर दिखाने पर तो उनका ध्यान ही नहीं है। दर्शकों को इसी स्थिति के बारे में जागरूक करने के लिए मैं इस फिल्म के साथ जुड़ी।’

रिद्धि डोगरा ने करियर की शुरुआत टीवी एक्ट्रेस के तौर पर किया था।

रिद्धि डोगरा ने करियर की शुरुआत टीवी एक्ट्रेस के तौर पर किया था।

इंग्लिश एक ग्लोबल लैंग्वेज, लेकिन हिंदी बोलने में शर्मिंदगी क्यों? फिल्म के ट्रेलर में बताया गया कि कैसे अंग्रेजी पत्रकार हिंदी वालों को कमतर आंकते हैं। विक्रांत कहते हैं, ‘भाषा के आधार पर लोगों से भेदभाव तो होता ही है। एक बार नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा था कि अंग्रेजी न आने की वजह से उन्हें अलग निगाह से देखा जाता था। मैं तो हमेशा से कहता हूं कि भाषा सिर्फ एक माध्यम है। मैं मानता हूं कि इंग्लिश एक ग्लोबल लैंग्वेज है। इससे मुझे कोई आपत्ति भी नहीं है। दिक्कत तब है कि जब आप अपनी भाषा बोलने में शर्म महसूस करने लगते हैं।’

साउथ के लोग अपनी भाषा पर गर्व करते हैं, नॉर्थ इंडिया में ऐसा नहीं राशि खन्ना ने भी लैंग्वेज बैरियर पर बात की। उन्होंने कहा, ‘मैंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ इंडस्ट्री में भी काम किया है। वहां के लोग अपनी लैंग्वेज पर काफी ज्यादा प्राउड फील करते हैं। अंग्रेजी न आना वहां कोई बड़ा टास्क नहीं है।

वहीं यहां नॉर्थ इंडिया में हिंग्लिश (हिंदी-अंग्रेजी मिक्स) का यूज ज्यादा किया जाता है। यहां जिसे इंग्लिश नहीं आती, उसे कम भाव दिया जाता है। मैं सोचती हूं कि जैसे साउथ के लोग अपनी भाषा को सम्मान देते हैं, हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते?’

गुजरात दंगे से जुड़ी ये जानकारी पढ़ें..

  • गुजरात में इस घटना के समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। मार्च 2002 में उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने।
  • आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 में पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई।
  • 2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और तब आयोग का नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया।
  • आयोग ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई बात दोहराई गई।

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‘द साबरमती रिपोर्ट’ का ट्रेलर रिलीज:गोधरा कांड पर आधारित फिल्म

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