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- Vasant Panchami 2025, Prayagraj Maha Kumbh 2025, Vasant Panchami Significance, Sarawati Puja Vidhi, How To Celebrate Vasant Panchami
13 घंटे पहले
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आज (3 फरवरी) वसंत पंचमी (देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव) है। इस तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। यानी आज बिना मुहूर्त देखे ही विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ, नए काम की शुरुआत, भूमि पूजन जैसे मांगलिक काम किए जा सकते हैं। प्रयागराज के महाकुंभ में 3 फरवरी को वसंत पंचमी का अमृत स्नान किया जा रहा है।
वसंत पंचमी के लिए कई लोग मानते हैं कि इस पर्व से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। ज्योतिषीय ग्रंथ सूर्य सिद्धांत के मुताबिक, जिस समय सूर्य मीन और मेष राशि में रहता है, उस समय वसंत ऋतु रहती है। इस साल वसंत ऋतु 15 मार्च से 14 मई तक रहेगी।
इस साल वसंत पंचमी की तिथि को लेकर पंचांग भेद हैं। कुछ पंचांग में 2 फरवरी को और कुछ में 3 फरवरी को वसंत पंचमी बताई गई है, क्योंकि पंचमी तिथि इन दोनों दिन है। पंचमी 2 फरवरी की दोपहर करीब 12.10 बजे शुरू हो गई है, ये तिथि आज सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी।
बीएचयू के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय और प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के मुताबिक, जिस दिन सूर्योदय के समय माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हो और ये पूर्वाह्न व्यापिनी हो तब वसंत पंचमी पर्व मनाया जाना चाहिए। 3 फरवरी को सूर्योदय पंचमी तिथि हुआ है और करीब तीन मुहूर्त यानी छह घटी से ज्यादा समय तक ये तिथि रहेगी, इसलिए आज ही वसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ है।
जानिए देवी सरस्वती के प्रकट होने का किस्सा, देवी सरस्वती की पूजा विधि और वसंत पंचमी से जुड़ी मान्यताएं…
वसंत पंचमी से जुड़ी मान्यताएं
फसल पकने की शुरुआत – इस समय सरसों के खेत फसल के पीले फूलों की वजह से पीले दिखाई दे रहे हैं। इन्हीं पीले फूलों की वजह से वसंत पंचमी पर पीले का महत्व है। ये पर्व किसानों के लिए महापर्व की तरह है। इस पर्व के बाद से ही गेहूं, चना की फसल पकना शुरू हो जाती है।
वसंत राग के गायन की शुरुआत – संगीत दामोदर ग्रंथ के मुताबिक, वसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहते हैं। पुराने समय में इस तिथि से वसंत राग के गायन की शुरुआत होती थी। इस कारण धीरे-धीरे ये तिथि वसंत पंचमी के नाम से प्रचलित हो गई।
शिक्षा और कला से जुड़े लोगों के लिए महापर्व है वसंत पंचमी – देवी सरस्वती विद्या, बुद्धि, संगीत और कला की देवी हैं। इस दिन विद्यार्थी, कलाकार, लेखक, संत-महात्मा और विद्वान लोग सरस्वती का विशेष पूजन करते हैं। नई विद्या सीखने की शुरुआत भी इस दिन से की जाती है।
वसंत पंचमी और पीले रंग का कनेक्शन
- वसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व है। इस दिन देवी पूजा में पीले कपड़े पहने जाते हैं, देवी को केसरिया भात का भोग लगाते हैं। पीले फूल चढ़ाए जाते हैं।
- माना जाता है कि पीला रंग सरस्वती को विशेष प्रिय है। इस समय सरसों के पीले फूल खिल जाते हैं, जिनकी वजह से खेत पीले दिखाई देने लगते हैं।
- वसंत पंचमी पर पीले कपड़े पहनकर नए काम की शुरुआत करने का संदेश ये है कि हमें हर स्थिति में उत्साह और आशावादिता बनाए रखनी चाहिए, तभी सफलता मिलती है।
पीला रंग उत्साह, उत्सव और आशावादिता का प्रतीक माना जाता है। कलर साइकोलॉजी के मुताबिक, पीला रंग दिमाग को नई बातें सीखने के लिए प्रेरित करता है। पीला रंग डोपामाइन और सेरोटोनिन हार्मोन का लेवल संतुलित रहता है, जिससे हमारी सीखने की क्षमता और रचनात्मकता बढ़ती है।
– डॉ. प्रीतेश गौतम, (एमडी) साइकेट्रिस्ट, जेके हॉस्पिटल, भोपाल
वसंत पंचमी पढ़ाई या नया सीखने के लिए खास क्यों?
वसंत पंचमी का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। ये पर्व नया सीखने और शिक्षा की शुरुआत करने के लिए शुभ माना जाता है, क्योंकि ये ऋतु परिवर्तन का समय है।
अभी शीत ऋतु खत्म हो रही है और कुछ दिनों के बाद वसंत ऋतु शुरू होगी। अभी मौसम न अधिक ठंडा है, न ही अधिक गर्म है। मौसम हर काम की शुरुआत के लिए अनुकूल है।
जब मौसम अनुकूल होता है तो हमारा दिमाग और शरीर ज्यादा सक्रिय रहते हैं। हमारी कार्यक्षमता बढ़ जाती है। नई बातें सीखने की क्षमता भी बढ़ती है, मन एकाग्र रहता है और इस समय पढ़ा हुआ लंबे समय तक याद रहता है।
अनुकूल मौसम की वजह से हमारे शरीर में डोपामाइन और सेरोटोनिन हार्मोन का लेवल संतुलित रहता है, जिससे हमारी सीखने की क्षमता और रचनात्मकता बढ़ती है।
वसंत पंचमी के बाद से दिन लंबे होने लगते हैं, जिससे पढ़ाई के लिए समय ज्यादा मिलने लगता है।
दिन बड़े होंगे तो सूर्य का प्रकाश भी ज्यादा रहेगा, हमें सूर्य की रोशनी से ज्यादा विटामिन डी मिलेगा। विटामिन डी शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है, जिससे मौसमी बीमारियां हमसे दूर रहती हैं। शरीर स्वस्थ रहेगा तो हमारा मन पढ़ाई में लगेगा, एकाग्रता बनी रहेगी। याददाश्त तेज होगी।
वसंत पंचमी पर वसंत राग गाने की परंपरा है। इस समय संगीत सुनने से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं, सीखने की क्षमता और स्मरण शक्ति बढ़ती है। इस समय गायन करने से हमारी वाणी मधुर होती है।