Varanasi Presentation of the worshippers of Nadabrahma in the court of Maa Kushmanda | मां कुष्मांडा के दरबार में नादब्रह्म के उपासकों की प्रस्तुति: राजेंद्र प्रसन्ना की बाँसुरी..संजू सहाय के तबले से गूँजा माता का दरबार – Varanasi News

माँ कुष्मांडा के दरबार में संगीत समारोह के दूसरे दिन नादब्रह्म के उपासकों ने अपनी कला के माध्यम से आदिशक्ति जगतजननी की उपासना की। दुर्गाकुण्ड स्थित माँ कुष्मांडा दुर्गा मंदिर का प्रांगण उदयीमान कलाकारो के साथ ख्यातिलब्ध कलाकारों की प्रस्तुतियों से दे

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मां कुष्मांडा का भव्य श्रृंगार किया गया।

मां कुष्मांडा का भव्य श्रृंगार किया गया।

संगीतमय कार्यक्रम की हुई प्रस्तुतियां….

विशाल कृष्ण एवं संस्कृति शर्मा ने सबसे पहले देवी स्तुति ‘ जय जय जगत जननी देवी से कथक का शुभारंभ किया, उसके उपरांत पारंपरिक कथक तीन ताल में तोड़े, टुकड़े, तिहाई, परन आदि प्रस्तुत किया।

संस्कृति शर्मा ने पण्डित बिरजू महाराज की रचना ठुमरी ‘लपक झपक’ प्रस्तुत किया। अंत में दोनों कलाकारों ने मीराबाई का प्रसिद्ध भजन ‘बदरिया सावन की’ प्रस्तुत कर समापन किया।

कथक प्रस्तुत करते विशाल कृष्ण एवं संस्कृति शर्मा।

कथक प्रस्तुत करते विशाल कृष्ण एवं संस्कृति शर्मा।

पांचवी प्रस्तुति विश्व विख्यात बांसुरी वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना एवं तबला वादक संजू सहाय की रही। माँ कुष्मांडा के मंच पर राजेन्द्र प्रसन्ना ने तीन पीढ़ियों के साथ प्रस्तुति दी तो समूचा प्रांगण तालियों से गूँजता रहा। उन्होंने सबसे पहले राग सरस्वती में विलंबित ताल की धुन प्रस्तुत की। अंत मे कजरी की धुन सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ सह बाँसुरी पर उनके पुत्र राजेश प्रसन्ना एवं पौत्र विशाल प्रसन्ना रहें।

गायन प्रस्तुत करती चंदारानी।

गायन प्रस्तुत करती चंदारानी।

छठी प्रस्तुति बंगलुरू से आई शास्त्रीय गायिका संगीता कुलकर्णी की रही, उन्होंने सबसे पहले राग यमन में बड़ा ख्याल विलंबित तीन ताल में बन्दिश ‘मो मन लगन लागी’ प्रस्तुत किया, उसके बाद द्रुत तीन ताल में ‘ए री आली पिया बिन’ प्रस्तुत किया।

अंत मे पण्डित भीमसेन जोशी द्वारा रचित भगवती पर आधारित कन्नड़ भजन ‘भाग्यदा लक्ष्मी बारम्बार’ प्रस्तुत कर समापन किया। उनके साथ तबले पर पण्डित नंद किशोर मिश्रा एवं हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय रहे।

बाँसुरी एवं तबले पर जुगलबंदी करते पण्डित राजेन्द्र प्रसन्ना एवं पण्डित संजू सहाय।

बाँसुरी एवं तबले पर जुगलबंदी करते पण्डित राजेन्द्र प्रसन्ना एवं पण्डित संजू सहाय।

श्रृंगार महोत्सव के दूसरे दिन मोतियों से सजी माँ कुष्मांडा

श्रृंगार महोत्सव के दूसरे दिन माँ का सफेद मोतियों से दिव्य श्रृंगार किया गया। सोने में पिरोई सफेद मोतियों की माला से सुसज्जित माँ की मनोहारी छवि देख भक्त निहाल होते रहे। माँ दुर्गा की इस अलौकिक छवि के दर्शन करने भक्तों की अटूट कतार मंदिर के मुख्य द्वार से लगायत कुण्ड तक लगी रही।

दुर्गाकुंड स्थित माता का मंदिर भव्य रूप से सजाया गया हैं।

दुर्गाकुंड स्थित माता का मंदिर भव्य रूप से सजाया गया हैं।

भक्तों में प्रसाद स्वरूप 5 कुंतल हलवा बाँटा गया। इससे पहले सायं 4 बजे मंदिर का पट बंद कर माँ का स्नान एवं श्रृंगार किया गया। पंचामृत स्नान के बाद स्वर्णमयी प्रतिमा को कोलकाता से मंगाए गए विशेष मंदाकिनी के फूलों से सजाया गया। उसके साथ जूही, गुलाब, रजनीगंधा, कमल पुष्पों से माँ का श्रृंगार किया गया।

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