सावन के पहले सोमवार को यादव बंधु करते हैं जलाभिषेक (फाइल फोटो)
महादेव की नगरी काशी में सावन के पहले सोमवार को यादव समाज के लिए दो घंटे 10 मिनट तक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में समय आरक्षित करने का मामला सुलझ गया है। प्रशासन ने निर्णय लेते हुए 21 लोगों को ही विश्वनाथ मंदिर के गर्भ गृह में जलाभिषेक करने क
.
21 यदुवंशी करेंगे बाबा के गर्भगृह में जलाभिषेक
चंद्रवंशी गोप समिति के साथ तीन दौर की वार्ता के बाद पुलिस और मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। समिति के अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया कि वर्षों से चली आ रही परंपरा को यादव समाज निभाएगा। पहले सोमवार पर इस बार भक्तों की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन व मंदिर प्रशासन ने 21 यदुवंशी समाज के लोगों को गर्भगृह में जलाभिषेक की अनुमति दी है।
इन मार्गों से गुजरेगी जलाभिषेक यात्रा
वाराणसी के केदारघाट से इस जलाभिषेक यात्रा की शुरुआत होती है। सबसे पहले यादव बंधु गौरी केदारेश्वर का जलाभिषेक करते हैं। उसके बाद तिलभांडेश्वर और फिर दशाश्वमेध घाट से जल लेकर बाबा विश्वानथ को जल अर्पण करते हैं। बाबा विश्वनाथ के दरबार के बाद मृत्युंजय महादेव और त्रिलोचन महादेव के दर्शन कर काल भैरव को जल अर्पण के बाद ये यात्रा पूरी होती है।
18 राज्यों के 50 हजार यादव बंधु करेंगे जलाभिषेक
इस बार जलाभिषेक के लिए 18 राज्यों से 50 हजार से ज्यादा यादव बंधु काशी आ रहे हैं। हमारी शोभायात्रा गौरी केदारेश्वर मंदिर से आरंभ होगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत नौ शिवालयों में जलाभिषेक होगा। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में यादव समाज सिंहद्वार, ढुंढिराज गणेश के रास्ते मंदिर में प्रवेश करेगा।
1932 से चली आ रही है परम्परा
चंद्रवंशी गौ सेवा समिति के अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया कि 1932 में पूरे देश में जबरदस्त सूखा और अकाल पड़ा था। उस वक्त एक साधु के द्वारा यह बताया गया कि काशी में बाबा विश्वनाथ और अन्य शिवालयों में यादव समुदाय की तरफ से जलाभिषेक किया जाए तो इस सूखे से निजात मिल सकती है। जिसके बाद पूरे काशी समेत आसपास के यादव बंधुओं ने इकट्ठा होकर सावन के प्रथम सोमवार पर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था। इसके बाद अकाल से मुक्ति मिली थी तभी से यह परंपरा चली आ रही है और हर साल सावन के पावन मौके पर प्रथम सोमवार के दिन सारे यादव बंधु एकजुट होकर हाथों में बड़े-बड़े कलश लेकर भोलेनाथ के जलाभिषेक करने के लिए निकलते हैं।