योगी सरकार में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक स्वास्थ्य मंत्रालय की कमान भी संभाल रहे हैं। सरकार उनके नेतृत्व में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रदेश में सुदृण कर रही है। और जिला और मंडलीय अस्पतालों में नई सुविधाएं ला रही हैं।
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इसी क्रम में प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर 17 सितंबर को वाराणसी के जिला चिकित्सालय में पीडियाट्रिक क्रिटिकल यूनिट का शुभारंभ हुआ। लेकिन यह क्रिटिकल यूनिट आज तक फंक्शनल नहीं हो पाई है।
दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल की। हमारी पड़ताल में पता चला वाराणसी के जिला अस्पताल में 12 बेड की पीडियाट्रिक क्रिटिकल यूनिट का उद्घाटन सितंबर 2024 में हुआ। इस क्रिटिकल यूनिट में 4 बेड आईसीयू और 8 बेड एचडीयू के हैं।
सितंबर से आज तक इसे फंक्शनल नहीं किया जा सका है। 27 नवंबर को दिमागी बुखार से पीड़ित एक 13 साल की बच्ची को यहां एडमिट किया गया है। उसका इलाज जारी है और वह रिकवर कर रही है। लेकिन कई सारी कमियों की वजह से यहां के एक्यूपमेंट धूल खा रहे हैं।
इस यूनिट के नोडल अधिकारी पीडियाट्रिक डॉ राजेश सिंह ने बताया- हमने अगस्त में ही अपनी डिमांड भेजी थी पर आज तक वो डिमांड नहीं पूरी हुई। उसके बावजूद हमने नवंबर 27 को पहला पेशेंट इसमें एडमिट किया है।
इस मुद्दे पर सबसे पहले दैनिक भास्कर ने सीएमएस डॉ दिग्विजय सिंह से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया। उन्होंने का नोडल राजेश सिंह हैं। उन्ही से बात कर लीजिए।
आखिर किन वजहों से अटका काम…पढ़िए दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट…
दवाओं से लेकर उपकरण तक की चाहिए व्यवस्था पंडित दीन दयाल उपाध्याय जिला चिकित्सालय में करोड़ों की लागत से 12 बीएड का पड़ियाट्रिक क्रिटिकल केयर यूनिट बनाया गया है। यहां 4 आईसीयू बीएड और 8 HDU बेड हैं। पर इनका संचालन आज तक नहीं हो पा रहा है।
इसकी वजह जानने के लिए हमने नोडल अधिकारी डॉ राजेश सिंह से बात की। उन्होंने बताया – आईसीयू में कोई भी मरीज आएगा वो क्रिटिकल होगा। ऐसे में इस वार्ड के लिए कई सारे आवश्यक उपकरण और जीवन रक्षक दवाएं हर वाट वार्ड में ही चाहिए।
ABG मशीन के बिना क्रिटिकल यूनिट का फायदा नहीं डॉ राजेश सिंह ने बताया- आईसीयू में सबसे पहले आर्टिरीअल ब्लड गैस एनालाइसिस मशीन (ABG मशीन) हर हाल में जरूरी है। यह मशीन मरीज के ब्लड में कार्बन डाईआक्साइड, ऑक्सीजन, बाइकार्बोनेट आयन, पीएच लेवल की सटीक जांच करती है।
जिसके बाद इसी हिसाब से डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं। इसके अलावा मशीन के जरिए रक्त का मिनरल टेस्ट भी होता है। इसमें सोडियम, पोटैशियम, हीमोग्लोबिन के लेवल का पता लगाया जा सकता है। यह महसीन यहां नहीं है। ऐसे में हमें क्रिटिकल मरीज की स्थिति पता नहीं चलेगी और हम उसका इलाज नहीं कर पाएंगे।
24 घंटे एक्टिव पैथोलॉजी और एक्सरे मशीन उन्होंने आगे बताया- क्रिटिकल यूनिट के लिए 24 घंटे चलने वाली एक पैथोलॉजी चाहिए। ताकि जैसे ही कोई मरीज एडमिट हो या उसकी तबियत बिगड़े तो उसका तुरंत उसका ब्लड और यूरिन की जांच की जा सके और उसका इलाज उसी आधार पर किया जा सके। इसकी भी डिमांड भेजी गयी है। साथ में एक्सरे मशीन भी चाहिए ताकि मरीज का तुरंत एक्सरे हो सके।
डॉक्टर, वार्ड बॉय, स्टाफ नर्स और सफाई कर्मी भी जरूरी डॉ राजेश ने बताया- इसके फंक्शन के लिए 24 घंटे 8-8 घंटे की शिफ्ट में डॉक्टर्स, स्टाफ नर्स, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी की ड्यूटी लगनी चाहिए। ताकि मरीजों के साथ ही साथ स्टाफ को भी कोई असुविधा न होने पाए। साथ ही जीवन रक्षक दवाएं भी चाहिए जो मरीज के लिए सख्त जरूरी है।
अगस्त में ही भेज दिया था लेटर डॉ राजेश ने बताया- इस यूनिट को संचालित करने के लिए उद्घाटन के पहले अगस्त माह में ही डिमांड लेटर सीएमएस डॉ दिग्विजय सिंह को भेजा था पर अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली है। वहीं इस सबंध में जब सीएमएस से बात करनी चाही तो उन्होंने मना कर दिया और कहा नोडल अधिकारी से बात कीजिये मै क्या बात करूंगा।