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आज कार्तिक पूर्णिमा है। काशी में देव दीपावली मनाई जाएगी। लेकिन, देव दीपावली काशी में ही क्यों मनाई जाती है और कैसे ये देवताओं के दीपों का द्वार बनी। इसको लेकर कुछ मान्यताएं हैं। देव दीवाली की कहानी त्रिपुरासुर के संहार से जुड़ी है। कहा जाता है तरकाक्ष
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ब्रह्मा के आशीर्वाद से त्रिपुरासुर इतने शक्तिशाली हो गए कि उनके अत्याचार से देवी-देवताओं ने परेशान होकर भगवान शिव से प्रार्थना की और कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिवजी ने त्रिपुरासुर का वध कर उनके अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। कहा जाता है, तब से ही देवता काशी में उतरकर दीप जलाने वालों को आशीर्वाद देते हैं।
वहीं, घाटों पर दीप प्रज्वलित होने की कथा पंचगंगा घाट से जुड़ी है। जहां 1785 में काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराने वाली महारानी अहिल्याबाई होलकर ने दीप जलाकर देव दीपावली उत्सव की शुरुआत की थी और इसे भव्य बनाने में काशी नरेश महाराज विभूति नारायण सिंह ने मदद की। देव दीपावली से जुड़ी इन मान्यताओं को ऊपर क्लिक करके वीडियो में देखिए…
