आईआईटी बीएचयू में एक अनूठा आयोजन हुआ। जिसमें 70 साल पुराने स्टूडेंट्स शामिल हुए। आईआईटी बीएचयू में चार दिनों तक रहे साथी उन्होंने विभिन्न विभागों का भी भ्रमण किया। सभी की आंखों पर चश्मे और कुछ के हाथों में छड़ी भी दिखी। मगर सभी के चेहरों पर खुशी, मुस
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पूर्व छात्रों का नए अवसर सृजन में रहेगा योगदान
आईआईटी के डायरेक्टर ने बताया कि – आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र-छात्राएं मौजूदा छात्रों के लिए नए अवसरों का सृजन करेंगे। इसमें स्टार्टअप, रोजगार, पार्टनरशिप और मार्गदर्शन भी शामिल होंगे। परिसर में मौजूद 1974 बैच के पूर्व छात्र-छात्राओं ने आपसी चर्चा के बाद यह संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि आईआईटी बीएचयू के विकास को लेकर हम सभी पूर्व छात्रों से नवीन छात्रों का मेल कराएंगे जिससे उन्हें नया अनुभव को जानने का मौका मिलेगा।
आइए अब जानते हैं पूर्व छात्रों ने क्या बताया
- साइमन-टेक के मैनेजिंग डायरेक्टर एएन सिंह ने ठिठोली भरे अंदाज में बताया कि वह सबसे पुराने एलुमनी हैं क्योंकि उनका जन्म ही सर सुंदरलाल अस्पताल में हुआ। उन्होंने बताया कि उनका पैतृक आवास कमच्छा स्थित बैजनत्था में है। उन्होंने 1967 में सेंट्रल हिंदू स्कूल से पढ़ाई पूरी की। एएन सिंह की कंपनी ने ही खिड़किया घाट पर गेल के लिए फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन तैयार किया था। उन्होंने बताया कि बीएचयू वीटी को भी उन्होंने बनते हुए देखा है।
पूर्व छात्रों ने साझा किया अनुभव।
- पुराछात्र सम्मेलन में पहुंचे मैकमिलन इंडिया के पूर्व सीईओ राजीव कुमार सेठ ने बताया कि 1974 में पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पहली बार बनारस लौटे हैं। उन्होंने कहा कि आईटी पहले से काफी बदल गया है मगर आज भी यहां की हवा में वही सुगंध है। अपने परिसर में लौटकर लगा जैसे बचपन लौट आया हो। उन्होंने बताया कि मैं आईआईटी की पढ़ाई की उसके बाद जब मैं नौकरी के लिए गया तो मुझे सही से इंग्लिश भी बोलते नहीं आती थी लेकिन मेरे अंदर काम करने की क्षमता थी और मैं अपने काम के बदौलत मैकमिलन इंडिया के पूर्व सीईओ बना।
पूर्व छात्रों ने डायरेक्टर के सामने साझा किया प्लानिंग।
पूर्व छात्रों ने गिव बैंक का उठाया बीड़ा
आईआईटी बीएचयू में पूर्व छात्रों को एक साथ एकत्र करने वाले एएन सिंह ने बताया कि पूर्व छात्रों ने संस्थान को ‘गिव बैक’ का बीड़ा उठाया है। इसके तहत आर्थिक धनराशि जुटाने के साथ ही वर्तमान छात्रों को हर तरह से मदद की जाएगी। 1974 बैच के यह पूर्व छात्र-छात्राएं देश के कोने-कोने से लेकर विदेशों तक से आए हैं। इनमें कई बड़ी कंपनियों के सीईओ, एमडी हैं तो कई ने अपनी यूनीकॉर्न कंपनियां भी शुरू की हैं।