Vamana avatar, vaman prakat utsav, vaman dwadashi, story of vaman dev in hindi | वामन अवतार का प्रकट उत्सव आज: वामन देव के साथ करें विष्णु जी और श्रीकृष्ण की पूजा, जानिए भगवान विष्णु के पांचवे अवतार से जुड़ी खास बातें

2 मिनट पहले

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आज (15 सितंबर) भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन देव का प्रकट उत्सव है। पौराणिक मान्यता है कि पुराने समय में विष्णु ने भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर वामन अवतार लिया था। जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक भगवान विष्णु धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। शास्त्रों में विष्णु जी के दस अवतार बताए गए हैं। इनमें से नौ अवतार हो चुके हैं और दसवां यानी कल्कि अवतार होना बाकी है। विष्णु जी ने अब तक मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध के रूप में अवतार लिए हैं।

ये है वामन द्वादशी मनाने की विधि

  • इस दिन भगवान वामन के लिए व्रत-उपवास करना चाहिए। सुबह स्नान के बाद गणेश जी, वामन देव, भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की भी पूजा करें। जो लोग व्रत करना चाहते हैं, वे भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें।
  • पूजा के बाद धन, अनाज, खाना, चावल, दही, वस्त्र जूते-चप्पल का दान करें।
  • शाम को व्रत करने वाले व्यक्ति को फिर से स्नान करके बाद भगवान वामन का पूजन करना चाहिए। पूजा में वामन अवतार की कथा पढ़नी-सुननी चाहिए।
  • इसके बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाएं और खुद फलाहार करें। अगले दिन सुबह फिर भगवान विष्णु और वामन देव की पूजा करें, दान-पुण्य करें। इसके बाद खाना खाएं। इस तरह वामन द्वादशी का व्रत पूरा होता है।

अब जानिए वामन देव से जुड़ी खास बातें

वामन देव विष्णु जी के पांचवें अवतार हैं। वामन उस समय प्रकट हुए थे, तब दैत्यराज बलि का आतंक फैला हुआ था। बलि ने देवताओं को पराजित कर दिया था और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था।

देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन देव के रूप में जन्म लिया था। उस दिन भाद्रपद शुक्ल द्वादशी थी।

कुछ समय बाद राजा बलि एक यज्ञ कर रहा था, तब भगवान वामन बलि के पास पहुंचे और दान में तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि ने वामन देव को देखा तो उसने सोचा कि ये तो छोटा सा ब्राह्मण है, तीन पग में कितनी भूमि ले लेगा।

राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य वामन के रूप में विष्णु जी को पहचान गए थे। उन्होंने बलि को दान न देने के लिए कहा, लेकिन बलि नहीं माना और तीन पग भूमि दान देने का संकल्प ले लिया।

इसके बाद वामन देव ने विशाल रूप धारण किया। भगवान ने एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। अब तीसरा पैर रखने के लिए कोई जगह नहीं बची थी। तब बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पैर रखने के लिए कहा।

जैसे ही वामन देव ने बलि के सिर पर पैर रखा, वह पाताल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे पाताल का राजा बना दिया और देवताओं को उनका स्वर्ग लौटा दिया।

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