मुंबई2 घंटे पहले
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 8 का मार्केट कैप बीते हफ्ते के कारोबार में 1.66 लाख करोड़ रुपए कम हुआ है। इस दौरान देश की दूसरी सबसे वैल्यूएबल कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) टॉप लूजर रही। कंपनी का मार्केट कैप 53,186 करोड़ रुपए गिरकर 13.70 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है।
इसके अलावा भारती एयरटेल, ICICI बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), इंफोसिस, ITC, HDFC बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की वैल्यू गिरी है।
जबकि, मार्केट वैल्यू के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 14,547 करोड़ रुपए बढ़कर 16.61 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। टॉप-10 में हाल ही में शामिल हुई कंपनी बजाज फाइनेंस की वैल्यू 384 करोड़ रुपए बढ़कर 5.20 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है।
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पिछले हफ्ते सेंसेक्स में 628 अंक की गिरावट रही
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार (21 फरवरी) को सेंसेक्स 424 अंक की गिरावट के साथ 75,311 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 117 अंक की गिरावट रही, ये 22,795 के स्तर पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 22 में गिरावट और 8 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 37 में गिरावट और 13 में तेजी रही। NSE सेक्टोरल इंडेक्स के ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा 2.58% की गिरावट रही। हफ्तेभर की बात करें तो सेंसेक्स में टोटल 628 अंक की गिरावट रही। वहीं, निफ्टी 133 अंक गिरा।
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मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।