vaishakh month purnima significance in hindi, old traditions about vaishakh month, how to Worship the Peepal tree, Tulsi puja, | वैशाख पूर्णिमा आज: सुबह करें पीपल की पूजा और शाम को तुलसी के पास जलाएं दीपक, दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान

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6 मिनट पहले

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आज (गुरुवार, 23 मई) वैशाख पूर्णिमा है, आज वैशाख खत्म होगा और कल यानी 24 मई से ज्येष्ठ मास शुरू हो जाएगा। वैशाख पूर्णिमा पर पीपल की विशेष पूजा करने की परंपरा है। जानिए आज कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

वैशाख पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं

इस पूर्णिमा का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इस तिथि पर भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। इस तिथि भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। आज वैशाख मास के स्नान का आखिरी दिन है।

  • उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस पूर्णिमा पर पीपल की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं की पूजा करने का पुण्य मिल जाता है। पीपल को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। श्रीमद् भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने भी पीपल को अपना ही स्वरूप बताया है।
  • वैशाख पूर्णिमा की सुबह पीपल की खास पूजा करनी चाहिए। किसी ऐसे मंदिर जाएं, जहां पीपल हो। पीपल के पास आसन बिछाएं और पीपल की जड़ में जल, गाय का दूध चढ़ाएं। कुमकुम, चंदन अबीर, गुलाल, हार-फूल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद पीपल की परिक्रमा करें।
  • पूर्णिमा पर पितरों के लिए किए गए धूप-ध्यान से पितर देवता तृप्त होते हैं। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव माना जाता है। आज दोपहर 12 बजे के करीब पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और कंडे से जब धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। पितरों का ध्यान करते हैं। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं।
  • आज शाम सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जरूर जलाएं। तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है। इसी वजह से पूर्णिमा तिथि पर विष्णु जी के साथ ही तुलसी की भी पूजा करनी चाहिए।
  • वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। इसके लिए शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। चंदन का तिलक लगाएं। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
  • इस दिन गुरु ग्रह के लिए भी पूजन करना चाहिए। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा के साथ ही पीले फूल भी चढ़ाएं। बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
  • पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, जूते-चप्पल, छाते का दान करें। किसी गौशाला में गाय को घास खिलाएं और धन का दान करें।

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