USAID India Funding Controversy; Donald Trump Narendra Modi | BJP Congress | ट्रम्प बोले- मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ भेजे गए: 4 दिन में चौथी बार भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल; बांग्लादेश का भी जिक्र


वॉशिंगटन डीसी4 घंटे पहले

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शुक्रवार को वॉशिंगटन डीसी में रिपब्लिकन स्टेट गवर्नर्स के वर्किंग सेशन में ट्रम्प ने ये बात कही। - Dainik Bhaskar

शुक्रवार को वॉशिंगटन डीसी में रिपब्लिकन स्टेट गवर्नर्स के वर्किंग सेशन में ट्रम्प ने ये बात कही।

ट्रम्प ने चार दिन में चौथी बार भारत चुनाव में अमेरिकी फंडिंग पर सवाल उठाया है। इस बार उन्होंने कहा कि मेरे दोस्त मोदी को 182 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। ये दूसरी बार है जब ट्रम्प ने इस मामले में मोदी का नाम लिया है।

ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि ये फंड भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए दिए गए। और हमारा क्या? हमें भी अमेरिका में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए पैसा चाहिए।

इसके अलावा ट्रम्प ने बांग्लादेश में भेजे गए 250 करोड़ रुपए का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए ये फंड एक ऐसी संस्था को भेजा गया, जिसका नाम भी किसी ने नहीं सुना।

ट्रम्प ने कहा,

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ऐसी संस्था को इतना पैसा मिला जहां सिर्फ दो लोग काम करते हैं। वो यहां-वहां से 10-20 हजार रुपए जुटा रहे हैं, और अचानक उन्हें अमेरिकी सरकार से 250 करोड़ रुपए मिल गए। मुझे लगता है कि वे दोनों अमीर बनने से बहुत खुश होंगे। जल्दी ही उनकी तस्वीर किसी बिजनेस मैगजीन में छापी जाएगी।

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ट्रम्प के पिछले तीन बयान…

1. ट्रम्प बोले- ये फंडिंग रिश्वतखोरी करने के लिए थी गुरुवार को ट्रम्प ने कहा कि मैं हैरान हूं, इतना पैसा पाकर भारत क्या सोचता होगा। ये एक किक-बैक यानी रिश्वतखोरी की स्कीम है। जो लोग ये पैसा भारत को भेज रहे हैं, उसका कुछ हिस्सा लौटकर उन्हीं लोगों के पास आ रहा है।

ट्रम्प ने कहा कि मैं भारत में वोटर टर्नआउट की परवाह क्यों करूं? हमारी अपनी परेशानियां कम नहीं हैं। हमें अपने टर्नआउट पर ध्यान देना चाहिए। हमने ये सारी स्कीमें बंद कर दी हैं। अब हम सही रास्ते पर हैं।

2. बाइडेन भारत में किसी और को जिताना चाहते थे

बुधवार को ट्रम्प ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भारत के आम चुनाव में दखल देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- बाइडेन का प्लान भारत में किसी अन्य नेता (नरेंद्र मोदी के अलावा) को चुनाव जिताने का था।

इसके लिए बाइडेन प्रशासन ने भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपए का फंड मुहैया कराया। ये बड़ा खुलासा है, हम इस बारे में भारत सरकार को बताएंगे।

मियामी में फ्यूचर इंवेस्टमेंट इनिशिएटिव (FII) समिट में उन्होंने कहा,

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‘यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर भारत को 182 करोड़ रुपए का फंड दिया। अमेरिकी चुनाव में रूस ने सिर्फ 2 हजार डॉलर (1.73 लाख रुपए) का इंटरनेट विज्ञापन दिया तो मुद्दा बना था, जबकि अमेरिका भारत को बड़ी रकम दे रहा था।

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3. मोदी के लिए बहुत सम्मान पर 182 करोड़ क्यों दे रहे

मंगलवार को मीडिया से ट्रम्प ने कहा कि हम भारत को 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास बहुत ज्यादा पैसा है।

भारत दुनिया के सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक हैं, खासतौर पर हमारे लिए। मैं भारत और उनके PM का सम्मान करता हूं, पर 182 करोड़ क्यों?

भारतीय विदेश मंत्रालय बोला- ये जानकारी परेशान करने वाली

भारतीय चुनाव में दखल वाले ट्रम्प के बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि ये जानकारी काफी परेशान करने वाली है। इससे भारतीय चुनाव में विदेश दखल को लेकर चिंता बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। इस समय इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। उम्मीद है जल्द ही हमें इस पर कोई अपडेट मिलेगा।

अमेरिका से पैसा भारत आने के 4 स्टेप…

1. पैसा कहां से आया अमेरिकी एजेंसी USAID की तरफ से भारत को दिया गया फंड 4000 करोड़ रुपए के अंतरराष्ट्रीय फंड का हिस्सा था।

2. पैसा भारत तक कैसे पहुंचा यह पैसा कंसोर्टियम फॉर इलेक्शंस एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) नाम की संस्था को दिया गया था। इस संस्था के तीन NGO, IFES (चुनाव जागरूकता के लिए), NDI (लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए) व IRI (नागरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए) हैं। CEPPS ने यह पैसा एशिया में काम करने वाले एशियन नेटवर्क फॉर फ्री इलेक्शन (ANFREL) नाम के NGO को दिया। वहां से भारत में IFES को मिला।

3. भारत में पैसा किसे मिला इसके बाद यह पैसा मतदाता जागरूकता से जुड़े NGO, सिविल सोसाइटी समूह, राजनीतिक पार्टियों को दिया गया। इनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

4. पैसा कैसे खर्च हुआ इन पैसों से इस्तेमाल रैलियां, डोर-टु-डोर कैंपेन और वर्कशॉप चलाए गए। कुछ खास इलाकों में मतदान को बढ़ाने के लिए भी खर्च किया गया। मीडिया प्रचार और केंद्र सरकार के खिलाफ नरेटिव बढ़ाने के लिए प्रचार किया गया। वॉलंटियर्स ट्रेनिंग, रहने-खाने के साथ ट्रैवलिंग खर्च ​भी दिया गया।

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