सना3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

यमन की राजधानी हूती में अमेरिकी एयरस्ट्राइक की तस्वीर।
अमेरिकी सेना ने शनिवार को यमन में हूती विद्रोहियों पर एयरस्ट्राइक की। इस हमले में 21 लोगों की जान गई है। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद यह अमेरिका की हूती विद्रोहियों पर पहली बड़ी कार्रवाई है।
इसके बारे में ट्रम्प ने सोशल मीडिया पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- हूती आतंकियों, तुम्हारा वक्त पूरा हो गया है। अमेरिका तुम पर आसमान से ऐसी तबाही बरसाएगा, जो पहले कभी नहीं देखी होगी।
दरअसल, यह कार्रवाई रेड सी में अमेरिकी जहाजों पर किए गए हूती हमलों के जवाब में की गई है। चार महीने पहले हूती विद्रोहियों ने रेड सी में अमेरिकी वॉरशिप पर कई हमले किए थे।
अमेरिकी एयरस्ट्राइक की तस्वीरें…

अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने वॉरशिप से मिसाइल लॉन्च होने का वीडियो जारी किया।
अमेरिकी सेना ने एयरक्राफ्ट से यमन के सना में एयरस्ट्राइक की।

सना शहर में ब्लास्ट की तस्वीरें। इन हमलों में 21 लोगों की मौत हुई है।
ईरान को ट्रम्प की चेतावनी- हम बर्दाश्त नहीं करेंगे
ट्रम्प ने कहा कि इन हूती आतंकियों को ईरान फंड कर रहा है। ये आतंकी अमेरिकी विमानों पर मिसाइलें दाग रहे हैं और हमारे सैनिकों और सहयोगियों को निशाना बना रहे हैं। इन हमलों से अमेरिका और ग्लोबल इकोनॉमी को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है और बेगुनाह लोगों की जान खतरे में पड़ी है।
ईरान को चेतावनी देते हुए ट्रम्प ने कहा कि हूती आतंकियों को समर्थन देना बंद करो। अमेरिका को, उसके राष्ट्रपति को धमकाने की कोशिश मत करो। अगर तुमने ऐसा किया तो अमेरिका तुम्हें पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराएगा और हम इसे हल्के में नहीं लेंगे!
ट्रम्प बोले- बाइडेन ने कभी शक्ति के साथ जवाब नहीं दिया
ट्रम्प ने कहा कि इन हमलों के खिलाफ जो बाइडेन ने कभी ताकत के साथ कार्रवाई नहीं की, इसलिए हूती बेखौफ होकर हमले करते। आखिरी बार किसी अमेरिकी जहाज को सुरक्षित तरीके से स्वेज नहर, रेड सी या अदन की खाड़ी से गुजरे हुए एक साल हो गया है। लेकिन अब अमेरिकी जहाजों पर हूती हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।

कौन हैं हूती विद्रोही
- साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडिल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
- इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
- अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी अरब भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का।
- देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।
- ईरान से मिल रहे समर्थन की बदौलत हूती विद्रोही एक ट्रेंड लड़ाका दल में बदल चुके हैं। हूती विद्रोहियों के पास आधुनिक हथियार और यहां तक कि अपने हेलिकॉप्टर भी हैं।