Upgradation of waiting ticket from sleeper class to first AC stopped | वेटिंग टिकट का स्लीपर क्लास से फर्स्ट-AC में अपग्रेड बंद: रेलवे के नए नियम जारी, वेटिंग टिकट अब सिर्फ दो क्लास ऊपर अपग्रेड होगा


नई दिल्ली3 घंटे पहले

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पहले स्लीपर क्लास के वेटिंग टिकट को सीट अवेलेबल होने पर फर्स्ट एसी में अपग्रेड कर दिया जाता था। - Dainik Bhaskar

पहले स्लीपर क्लास के वेटिंग टिकट को सीट अवेलेबल होने पर फर्स्ट एसी में अपग्रेड कर दिया जाता था।

भारतीय रेलवे ने वेटिंग लिस्ट टिकट से जुड़े ऑटो अपग्रेड प्रक्रिया में बदलाव किए हैं। IRCTC के अनुसार, स्लीपर क्लास के टिकट अब फर्स्ट AC में अपग्रेड नहीं किए जाएंगे, भले ही बर्थ खाली हों।

अब तक, वेटिंग लिस्ट वाले यात्री का टिकट सीट अवेलेबल न होने पर बुकिंग की गई कैटेगरी से ऊपर की कैटेगरी में अपग्रेड कर दिया जाता था, लेकिन इस नियम को बदल दिया गया है।

यह बदलाव ट्रेन में रिजर्व्ड कोचों में सीट बांटने को अधिक व्यवस्थित करने और हायर कैटेगिरी के कोचों में भीड़ को कंट्रोल करने के लिए किया गया है।

सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम (CRIS) इस नए नियम को लागू करने के लिए अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट कर रही है।

वेटिंग टिकट बर्थ खाली होने पर भी हायर क्लास में अपग्रेड नहीं होगा।

वेटिंग टिकट बर्थ खाली होने पर भी हायर क्लास में अपग्रेड नहीं होगा।

वेटिंग टिकट दो क्लास ऊपर तक ही अपग्रेड होगा

नए नियम के अनुसार, अब स्लीपर क्लास के टिकट को केवल दो श्रेणी ऊपर तक ही अपग्रेड किया जाएगा।

  • उदाहरण के लिए- स्लीपर क्लास (SL) टिकट को अधिकतम थर्ड AC (3A) या सेकेंड AC (2A) में अपग्रेड किया जा सकता है, लेकिन फर्स्ट एसी (1A) में नहीं।
  • इसी तरह, थर्ड AC (3A) के टिकट को अधिकतम फर्स्ट AC (1A) में अपग्रेड किया जा सकता है।

पहले, अगर स्लीपर क्लास या अन्य लोअर क्लास के टिकट वेटिंग लिस्ट पर होते थे और हायर क्लास (जैसे 3A, 2A या 1A) में सीटें उपलब्ध होती थीं, तो यात्रियों को ऑटोमेटिक फर्स्ट AC (1A) तक अपग्रेड किया जा सकता था।

ऑटो-अपग्रेड की शर्तें

  • ऑटो-अपग्रेड सुविधा सिर्फ तभी लागू होगी, जब पैसेंजर ने टिकट बुकिंग के समय ऑटो-अपग्रेड ऑप्शन को सिलेक्ट किया हो या इसे डिफॉल्ट रूप से ‘हां’ (Yes) पर छोड़ा हो।
  • यदि पैसेंजर ने स्पष्ट रूप से ‘नहीं’ (No) चुना है, तो उसका टिकट अपग्रेड नहीं होगा, भले ही हायर कैटेगरी में सीटें अवेलेबल हों।
  • यदि बुकिंग के समय कोई ऑप्शन नहीं सिलेक्ट किया जाता है, तो सिस्टम इसे डिफॉल्ट रूप से ‘हां’ मान लेता है।
  • सीनियर सिटीजन्स और लोअर बर्थ के लिए अप्लाई करने वाले यात्री भी ऑटो-अपग्रेड के लिए पात्र हैं।
  • अपग्रेड होने पर भी लोअर बर्थ की गारंटी नहीं दी जाएगी, भले ही पैसेंजर ने इसके लिए अप्लाई किया हो।

PNR और रिफंड के लिए नियम

  • अपग्रेड होने पर भी वेटिंग टिकट का PNR नंबर वही रहेगा, जिसका उपयोग यात्रा विवरण ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है।
  • यदि अपग्रेड किया गया टिकट कैंसिल किया जाता है, तो रिफंड मूल बुकिंग क्लास (जैसे स्लीपर) के किराए के आधार पर होगा, न कि अपग्रेडेड क्लास (जैसे 2A) के आधार पर।

वेटिंग टिकट पर स्लीपर-AC कोच में सफर नहीं कर सकेंगे

इससे पहले भारतीय रेलवे ने 1 मई से वेटिंग टिकट के लिए नए नियम लागू किए थे। इनके अनुसार, वेटिंग लिस्ट टिकट वाले यात्रियों को अब स्लीपर या AC कोच में यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।

जिन यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्ट में हैं, वे अब सिर्फ जनरल कोच में ही सफर कर सकेंगे। अगर कोई यात्री वेटिंग टिकट पर AC या स्लीपर कोच में यात्रा करता हुआ पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना लगेगा।

उल्लंघन के लिए जुर्माना:

  • AC के लिए जुर्माना: ₹440
  • स्लीपर के लिए जुर्माना: ₹250

इसके अलावा, आपको ट्रेन के शुरुआती स्टेशन से लेकर उस स्टेशन तक का किराया देना होगा, जहां आप पकड़े गए हैं।

टिकट कन्फर्म न होने पर अपने-आप रद्द हो जाएंगे

रेवले ने बताया कि IRCTC के जरिए बुक किए गए टिकट कन्फर्म न होने पर अपने आप रद्द हो जाते हैं, लेकिन काउंटर से बुक किए गए टिकट का इस्तेमाल लोग ट्रेन में चढ़ने के लिए करते हैं। इस वजह से कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को असुविधा होती है।

1 मई, 2025 से लागू होने वाला एक और नियम यह है कि IRCTC की वेबसाइट या ऐप से बुक की जाने वाली हर ट्रेन टिकट के लिए OTP-आधारित मोबाइल सत्यापन की आवश्यकता होगी। इस उपाय का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना और बुकिंग प्रणाली के दुरुपयोग को रोकना है।

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भारतीय रेलवे ने अपना नया एप स्वरेल (SwaRail) एंड्रॉएड यूजर्स के लिए रोलआउट कर दिया है। यह एप यात्रियों को टिकट बुकिंग से लेकर ट्रेन स्टेटस और खाना ऑर्डर करने तक की सभी सेवाएं एक ही जगह पर देगा।

इसके अलावा, इस एप का उपयोग करके यूजर्स अपनी यात्रा से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान आसानी से कर सकेंगे। इसे सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिम (CRIS) ने डेवलप किया है।

‘स्वरेल’ भारतीय रेलवे की अलग-अलग डिजिटल सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर इंटीग्रेट करता है, जिससे यात्रियों को अलग-अलग एप डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होगी। इसलिए इसे सुपर एप कहा जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

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