Union Ministry of Road Transport and Highways Planning to build a 7 km tunnel to Kedarnath | केदारनाथ तक 7 किमी सुरंग बनाने की प्लानिंग: 11 KM रास्ता घटेगा, अभी गौरीकुंड से 16 KM पैदल मार्ग; मंदिर तक जाने के 2 रास्ते होंगे

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नई दिल्ली/रुद्रप्रयाग35 मिनट पहले

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तस्वीर 2 मई की है। जब केदरानाथ यात्रा की शुरुआत हुई थी। - Dainik Bhaskar

तस्वीर 2 मई की है। जब केदरानाथ यात्रा की शुरुआत हुई थी।

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय केदारनाथ तक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की तैयारी कर रहा है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले 4-5 साल में केदारनाथ मंदिर तक पहुंच के दो रास्ते हो जाएंगे।

इनमें से एक रास्ता हर मौसम में मंदिर तक सीधी पहुंच देगा। अभी गौरीकुंड से रामबाड़ा-लिंचोली होते हुए केदार धाम तक का पैदल मार्ग 16 KM लंबा है। लेकिन, टनल बनने के बाद यह 5 किमी ही बचेगा।

दरअसल, 2013 और जुलाई 2024 की त्रासदी से सबक लेते हुए केंद्र ने केदारनाथ मंदिर तक के नए सुरक्षित रास्ते को बनाने की योजना पर काम शुरू किया है। इसके लिए मंत्रालय ने कंसल्टेंट के जरिए पहाड़ का प्रारंभिक सर्वेक्षण करा लिया है।

टनल उत्तराखंड में 6562 फीट ऊपर कालीमठ घाटी के आखिरी गांव चौमासी से केदारनाथ मंदिर से पांच किमी पहले पड़ने वाले पड़ाव लिंचोली (10 हजार फीट) तक बनाने की योजना है। चौमासी तक पक्की रोड है। यहां कार से जा सकते हैं। फिर टनल होगी और लिंचोली से मंदिर तक 5 किमी का पैदल सफर करना होगा।

अभी ऐसा है रास्ता

  • अभी ट्रैक 16 किमी का है। गौरीकुंड से रामबाड़ा 9 किमी, रामबाड़ा से लिंचोली 2 किमी व लिंचोली से केदार मंदिर 5 किमी दूर है।

भविष्य का रूट

  • रुद्रप्रयाग गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड से चुन्नी बैंड होते हुए कालीमठ, कोटमा और फिर चौमासी पहुंचते हैं। कुंड से चौमासी 41 किमी दूर है।
  • चौमासी से 7 किमी लंबी टनल लिंचोली पहुंचाएगी। फिर लिंचोली से 5 किमी दूर मंदिर।

नए रास्ते पर लैंडस्लाइड जोन नहीं, पुराने से ज्यादा सुरक्षित

राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तराखंड के चीफ इंजीनियर मुकेश परमार के मुताबिक कंसल्टेंट ने सर्वेक्षण कर टनल की ड्राइंग दी है। केंद्रीय अफसरों की टीम इसे अंतिम रूप दे रही है। कालीमठ का रास्ता गुप्तकाशी से कटता है।

पिछले साल सितंबर में पांच सदस्यीय टीम ने चौमासी-खाम बुग्याल-केदारनाथ रूट का जमीनी सर्वेक्षण किया था। तब टीम ने कहा था कि इस पूरे मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन जोन नहीं हैं। कठोर चट्टानें हैं और बुग्यालों के ऊपर व नीचे से रास्ता बनाया जा सकता है। कई जगहों पर भूमिगत पानी रिस रहा है, जिसके उपाय कर सकते हैं।

पहले रामबाड़ा से बननी थी टनल, लेकिन क्षेत्र कमजोर

केदारनाथ की पूर्व विधायक स्व. शैलारानी रावत ने 21 अक्टूबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी से गौरीकुंड-रामबाड़ा-चौमासी मोटर मार्ग बनाने की मांग की थी, फिर रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने प्रस्ताव में रामबाड़ा तक सुरंग बनाने की बात रखी, पर सुरंग कहां से बनेगी, ये तय नहीं हुआ था। रामबाड़ा भूस्खलन जोन है, इसलिए यहां सड़क मुमकिन नहीं है।

सबसे मुश्किल पैदल यात्रा केदारनाथ की​​​​​​​

चार धामों में सबसे मुश्किल पैदल यात्रा केदारनाथ की है। यहां हमेशा खतरा बना रहता है। 16-17 जून 2013 की त्रासदी के बाद भी यहां समय-समय पर रुकावटें आती रही हैं। पिछले साल 31 जुलाई को केदारनाथ रूट पर भारी बारिश के कारण यात्रा रोक दी गई थी। इसके तुरंत बाद 4 अगस्त को यहां भयानक लैंडस्लाइड हुई, इसमें 15 हजार यात्री फंस गए और 5 यात्रियों की मौत हो गई थी।

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केंद्र ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोप-वे को मंजूरी दी: केदारनाथ में रोप-वे से 36 मिनट में होगी 9 घंटे की यात्रा, 36 लोग बैठ सकते हैं

केंद्र ने केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के लिए रोप-वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि अभी जो यात्रा 8-9 घंटे में पूरी होती है, वह घटकर 36 मिनट की हो जाएगी। इसमें 36 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक (12.9 किमी) और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक (12.4 किमी) का रोपवे बनेगा। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इसे बनाएगा। पूरी खबर पढ़ें…

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