उदयपुर में 15 साल के एक छात्र की स्कूल के बाहर उसी की क्लास में पढ़ने वाले एक नाबालिग स्टूडेंट ने चाकू से हत्या कर दी।
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बच्चे की मौत के बाद पूरे प्रदेश के लोगों में गुस्सा और आक्रोश है। यही कारण है कि न केवल पुलिस के बड़े अधिकारी बल्कि सरकार के मंत्री भी हत्या के नाबालिग आरोपी को सख्त से सख्त सजा दिलाने का भरोसा दे रहे हैं।
भास्कर पड़ताल में सामने आया कि हत्या के नाबालिग आरोपी की उम्र 16 वर्ष से कम है। ऐसे में हमने एक्सपर्ट के जरिए यह जाना कि ऐसी स्थिति में कानून क्या कहता है? 16 वर्ष से कम उम्र के आरोपी को हत्या के मामले में क्या सजा हो सकती है? क्या मंत्री और पुलिस अधिकारी जो कह रहे हैं, वह उसे कर पाएंगे? पढ़िए- पूरी रिपोर्ट ….

उदयपुर का सरकारी स्कूल जहां नाबालिग पर चाकू से हमला हुआ।
उदयपुर एसपी योगेश गोयल ने हमें बताया कि फिलहाल इस मामले में मुख्य आरोपी नाबालिग स्टूडेंट को पकड़ा गया है। उससे पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट आदेशों के बाद उसे राज्य बाल संप्रेषण गृह में भेजा गया है। मामले में जांच अभी चल रही है। भास्कर रिपोर्टर ने नाबालिग आरोपी की जन्म तिथि पूछी तो उन्होंने बताया कि आरोपी का जन्म साल 2009 का है।
एसपी गोयल से हुई बातचीत में ये तो साफ हो गया था कि हत्या का मुख्य आरोपी नाबालिग है, लेकिन अभी भी उसकी सही उम्र का पता लगाना जरूरी था। नाबालिग की सही उम्र की पहचान के लिए हमने केस के जांच अधिकारी सीओ छगनसिंह राजपुरोहित से संपर्क किया। लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं मिला।
आखिरकार नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने हमें बताया कि मुख्य आरोपी की ऑन रिकॉर्ड जन्मतिथि 12 अप्रैल 2009 है। इस लिहाज से आरोपी की उम्र 16 अगस्त 2024 को (वारदात के दिन) 15 वर्ष 4 महीने और 4 दिन बनती है। अधिकारी ने हमें आरोपी की जन्मतिथि का डॉक्युमेंट भी दिखाया, लेकिन गोपनीयता के चलते फोटो लेने से मना कर दिया।

दावा किया जा रहा है कि दोनों स्टूडेंट के बीच तीन-चार दिन से झगड़ा चल रहा था, लेकिन स्कूल प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगी। (फोटो- मेटा एआई)
इसके बाद हमने इस केस की लीगल संभावनाओं को तलाशने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट के जाने-माने क्रिमिनल लॉयर अजय कुमार जैन से बात की।
एडवोकेट जैन ने बताया कि उदयपुर के इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस और प्रशासन बहुत ही विषम परिस्थितियों में फंसा हुआ है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट कहता है कि 16 साल से कम उम्र के बच्चे को अधिकतम 3 वर्ष की ही सजा दी जा सकती है। वो भी उसे जुवेनाइल होम (बाल सुधार गृह) में रहने और वहां सुधार करने की होती है। इसके अलावा उसे अन्य कोई सजा नहीं दी जा सकती है।
एडवोकेट जैन ने बताया कि अगर आरोपी की उम्र 16 साल से ज्यादा हो तो फिर कोर्ट ऐसे मामलों में आरोपी की मेंटल और फिजिकल कैपेबिलिटी को टेस्ट करने का आदेश दे सकता है। उस टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर उसके खिलाफ एडल्ट ट्रायल (18 साल से ज्यादा की उम्र के आरोपियों के लिए चलने वाला ट्रायल) की परमिशन दे सकता है। इसके बाद अगर आरोपी दोषी पाया जाता है तो कोर्ट उसे आजीवन कारावास और मृत्युदंड की सजा भी दे सकता है।

निर्भया रेपकांड के बाद एक्ट में हुआ संशोधन
एडवोकेट जैन ने बताया कि बहुचर्चित निर्भया रेप केस का एक मुख्य आरोपी नाबालिग था और उसे तीन साल बाल सुधार गृह में रखने के बाद छोड़ दिया गया था। इसके बाद ही एक्ट में संशोधन कर ये प्रावधान किया गया था कि 16 साल की उम्र के बाद के बच्चों पर भी एडल्ट ट्रायल चलाया जा सकेगा। हालांकि इसके लिए आरोपी 16 साल से ज्यादा की उम्र का होना जरुरी है।
एडवोकेट जैन ने बताया कि उदयपुर मामले में हत्या के आरोपी की उम्र 16 साल नहीं है, ऐसे में अब उसे सख्त सजा दिलाना कानूनी प्रावधानों में मुमकिन नहीं है। अगर पुलिस और प्रशासन ये आश्वासन दे रहा है कि वो आरोपी को सख्त सजा दिलाएंगे, तो ये उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वो ये कैसे कर सकते हैं।

19 अगस्त को इलाज के दौरान नाबालिग ने दम तोड़ दिया।
किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य मनोज सोनी ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 के तहत अगर 16 साल से ज्यादा की उम्र के किसी बालक ने कोई जघन्य अपराध किया है तो कोर्ट के आदेशों से उसकी मानसिक, शारीरिक और उसके सोचने समझने की क्षमता का आकलन किया जाएगा। अगर रिपोर्ट में ऐसा पाया जाता है तो कोर्ट उस केस को किशोर न्यायालय से ट्रांसफर कर एडल्ट की तरह उसका ट्रायल चलाये जाने के आदेश दिए जा सकते हैं।
जब जयपुर की पोक्सो कोर्ट ने 16 साल के रेपिस्ट को सुनाई उम्रकैद की सजा
जयपुर में एक वर्ष पूर्व रेप और हत्या के मामले में एक नाबालिग को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। नाबालिग ने 9 साल की बच्ची से रेप के बाद उसकी हत्या कर दी थी। घटना आमेर थाना क्षेत्र की थी। 4 जून 2022 को पीड़िता के पिता ने मामला दर्ज करवाया था। इस पर जयपुर महानगर सेकेंड की पॉक्सो कोर्ट-2 ने फैसला सुनाया।
नाबालिग के खिलाफ जुवेनाइल बोर्ड में चार्जशीट पेश की गई। ट्रायल के दौरान बोर्ड ने पाया कि नाबालिग वयस्क की तरह व्यवहार कर रहा है। उसमें वयस्क की तरह ही क्षमताएं हैं। ऐसे में बोर्ड ने 23 अगस्त 2022 को मामले को पॉक्सो कोर्ट में रेफर कर दिया। घटना के समय नाबालिग 16 साल 6 माह 16 दिन का था।

मामले में बनाए जा सकते हैं कई आरोपी
पुलिस जांच में ये सामने आया है कि नाबालिग आरोपी ने हत्या के लिए चाकू कपासन में उर्स के मेले में खरीदा था। ऐसे में जिस किसी ने भी आरोपी को ये चाकू बेचा है वो भी इस मामले में धारा 120 बी का आरोपी बनाता है। कानून के एक्सपर्ट बताते हैं कि पुलिस को उसे भी गिरफ्तार करना चाहिए।
क्योंकि उसने जो बटन वाला चाकू बेचा है, वो पहले से ही बैन है। धारदार हथियार बच्चों को बेचना भी अपराध है। इसके अलावा यदि मां और पिता को ये पता था कि उनके बेटे के पास चाकू है और उन्होंने उसे ये चाकू घर में रखने दिया, तो वे भी इस केस में सह आरोपी बन जाते हैं।
एडवोकेट एके जैन ने बताया कि निश्चित रूप से पुलिस को चाकू बेचने वाले और माता-पिता के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा ये न्याय की मांग सिर्फ एक शोर बनकर रह जाएगी।


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