अंकाराकुछ ही क्षण पहले
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तुर्किये के इस्तांबुल में आज 6.2 तीव्रता का एक बड़ा भूकंप आया। इसका केंद्र इस्तांबुल के पास मरमारा सागर में था। तुर्किये की इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी ने बुधवार को बताया कि भूकंप से अभी तक किसी तरह के नुकसान या चोट की कोई खबर नहीं है।
जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज ने भी भूकंप की पुष्टि की है और कहा है कि भूकंप जमीन से 10 किलोमीटर की गहराई पर था। भूंकप से शहर और आसपास के इलाकों में बड़े झटके महसूस किए गए। लोकल मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक भूकंप का सेंटर सिलिवरी के नजदीक था, जो तटीय क्षेत्र है और भूकंपीय एक्टिविटी के लिए जाना जाता है।
1 घंटे में भूकंप के तीन बड़े झटके…
- पहला भूकंप: 3.9 तीव्रता, स्थानीय समयानुसार 12:13 बजे सिलिवरी जिले के तट पर आया।
- दूसरा भूकंप: 6.2 तीव्रता, स्थानीय समयानुसार 12:49 बजे उसी इलाके में आया।
- तीसरा भूकंप: 4.4 तीव्रता, स्थानीय समयानुसार 12:51 बजे इस्तांबुल के बुयुकचेकमेस जिले में आया ।

भूकंप की वजह से काला सागर को मरमरा सागर से जोड़ने वाली बोस्फोरस स्ट्रेट में में भी लहरें उठीं।

भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग इमारतों से बाहर निकल गए।


दो साल पहले इस्तांबुल के सिलिवरी में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे अस्पतालों और स्कूलों को भारी नुकसान हुआ था।
लोगों को चेतावनी- क्षतिग्रस्त इमारतों न जाएं इस्तांबुल के अधिकारियों ने लोगों को चेतावनी दी है कि वो भूकंप की वजह डैमेज हुई इमारतों में न जाएं। जब तक जरूरी न हो गाड़ी न चलाएं और मोबाइल न इस्तेमाल न करें। जल्द ही डिजास्टर मैनेजमेंट की टीमें नुकसान का आंकलन करेंगी।
लोग बोले- तुर्किये में रहना मतलब भूकंप के साथ जीना लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्तांबुल के इस इलाके में बीते 6 सालों में भूकंप के इतने शक्तिशाली झटके महसूस नहीं किए गए। लोगों का कहना है कि अचानक इमारतें हिलने लगीं, इसके बाद लोग घर छोड़कर बाहर की तरफ भाग निकले। तुर्किये में रहने का मतलब है भूकंप के साथ जीना।
दो साल पहले भूकंप से 53 हजार जाने गई थीं दो साल पहले तुर्किये और सीरिया में आए भूकंप से 60 हजार लोगों की मौत हुई थी, जबकि 75 हजार से ज्यादा घायल हुए थे। तुर्किये में 53 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी, जबकि 35 हजार से ज्यादा लोगों के घायल हुए थे।
3 बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स के बीच फंसा है तुर्किये तुर्किये में हमेशा भूकंप का खतरा बना रहता है, इसकी वजह समझने के लिए हमें धरती की डिजाइन को समझना होगा। दरअसल, धरती बड़ी-बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं।
टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
तुर्की का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट पर बसा है। ये प्लेट यूरोशियन, अफ्रीकन और अरबियन प्लेट के बीच में फंसी हुई है। जब अफ्रीकन और अरबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं तो तुर्की सैंडविच की तरह फंस जाता है। इससे धरती के अंदर से ऊर्जी निकलती है और भूकंप आते हैं।
धरती के कई मील भीतर जब टैक्टोनिक प्लेट हिलती हैं तो सैकड़ों परमाणु बम के बराबर एनर्जी निकलती है। ये एनर्जी दो स्टेप में चार तरह की तरंगों के जरिए धरती के बाकी हिस्सों में फैलकर तबाही मचाती है…
पहला स्टेप- ग्राउंड वेव्सः भूकंप के केंद्र से पृथ्वी की सतह तक ऊर्जा दो तरह की तरंगों से पहुंचती है। P वेव और S वेव। P वेव एक स्प्रिंग की तरह होती है, जिसमें एक रिंग अपने से आगे के रिंग को दबाते हैं। इसकी फ्रीक्वेंसी और स्पीड ज्यादा होती है यानी ये एनर्जी को धरती की सतह तक जल्दी पहुंचा देते हैं। S वेव अंग्रेजी के अल्फाबेट S के आकार में बढ़ती हैं। S वेव की स्पीड P वेव से कम होती है।

दूसरा स्टेप- सरफेस वेव्सः एक बार धरती की सतह पर पहुंच कर भूकंप से निकलने वाली बेतहाशा एनर्जी उस पॉइंट से दो तरीके से आगे फैलती है। पहली- रेली वेव (Rayleigh wave) के रूप में और दूसरी लव वेव (Love Wave) के रूप में।
रेली वेव्स समुद्र में उठने वाली लहरों की तरह आगे बढ़ती है। इसमें किसी ताकतवर वाहन के पहिए की तरह उसके चारों ओर एनर्जी निकलती है। यह शांत पानी में पत्थर मारने जैसी लहर होती है और उसी तरह आगे बढ़ती है।
यह एक तरह से जमीन को जोतती चली जाती है। इससे भयंकर तबाही मचती है। लव वेव सांप की तरह चलती है। इससे अपेक्षाकृत कम तबाही मचती है। तुर्की में इसी रेली लहर ने तबाही मचाई है।
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