Tula Sankranti on 17th October, surya ka rashi parivartan, surya tula rashi me, surya and hanuman story | आज तुला संक्रांति पर गुड़ का दान करें: सूर्य का तुला राशि में प्रवेश; नौ ग्रहों के राजा, भगवान हनुमान के गुरु और शनि के पिता हैं सूर्य

9 मिनट पहले

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आज (17 अक्टूबर) सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो इसे संक्रांति कहते हैं। संक्रांति पर पूजा-पाठ, नदी स्नान, दान-पुण्य के साथ ही मंत्र जप और ध्यान करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, तुला संक्रांति पर दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ्य देकर करनी चाहिए। सूर्य पंचदेवों में शामिल हैं, इस वजह से हर एक शुभ काम की शुरुआत में सूर्य पूजा खासतौर पर की जाती है। जानिए तुला संक्रांति पर कौन-कौन से शुभ काम करें और सूर्य देव से जुड़ी खास बातें…

तुला संक्रांति पर कर सकते हैं ये शुभ काम

  • संक्रांति में नदी स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • आज सूर्य को अर्घ्य चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, चावल, लाल फूल डालें और ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।
  • संक्रांति पर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, जूते-चप्पल, ऊनी कपड़ों का दान करें। आज सूर्य देव के नाम पर गुड़ का दान जरूर करें। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य से जुड़े ग्रह दोष शांत हो सकते हैं।
  • किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, गुलाल, हार-फूल, अबीर, चंदन, तेल, घी, रूई, धूप बत्ती का दान करें।
  • किसी तालाब या नदी में मछिलयों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। चींटियों के लिए किसी पेड़ के नीचे शकर और आटा डालें।

अब जानिए सूर्य देव से जुड़ी खास बातें

  • ज्योतिष में सूर्य को नौ ग्रहों का राजा माना जाता है। ये ग्रह सिंह राशि का स्वामी है। सूर्य एक राशि में करीब 30 दिन रुकता है और इसके राशि बदलने की घटना को संक्रांति कहते हैं।
  • सूर्य देव का विवाह संज्ञा नाम की देव कन्या से हुआ था। यमराज और यमुना संज्ञा और सूर्य की संतान हैं। संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पा रही थीं, तब उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा में लगा दिया और खुद पिता के यहां चली गई थीं। बाद में सूर्य और छाया की संतान के रूप में शनि देव का जन्म हुआ।
  • हनुमान जी ने सूर्य को अपना गुरु बनाया था। जब हनुमान जी सूर्य को अपना गुरु बनाने के लिए उनके पास पहुंचे तो सूर्य ने उनका गुरु बनने में असमर्थता जताई थी। सूर्य ने कहा था कि वे उन्हें ज्ञान नहीं दे सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगातार चलते रहना पड़ता है, एक क्षण के लिए भी कहीं ठहर नहीं सकते हैं। तब हनुमान जी ने सूर्य से कहा था कि मैं आपके साथ चलते-चलते ही शिक्षा ग्रहण कर लूंगा, आप बोलते जाना मैं श्रद्धा पूर्वक आपसे ज्ञान हासिल कर लूंगा। सूर्य इस बात के लिए तैयार हो गए और उन्होंने हनुमान जी को दिव्य ज्ञान दिया।

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