Traditions about Kartik month in hindi, mythological tips about kartika month in hindi, diwali 2024, deepawali 2024 | कार्तिक मास से जुड़ी परंपराएं: 15 नवंबर तक रहेगा कार्तिक मास, नदी स्नान और दीपदान के साथ दान-पुण्य करने की है परंपरा

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46 मिनट पहले

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अभी उत्सवों का महीना कार्तिक चल रहा है। इस साल कार्तिक की अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को दो दिन रहेगी। इस वजह से दीपावली की तारीख को लेकर मतभेद हैं। इस महीने की पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी। जानिए कार्तिक मास से जुड़ी कुछ खास परंपराएं…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर की शाम से शुरू होगी और अगले दिन 1 नवंबर को करीब सूर्यास्त के समय ही खत्म हो जाएगी। दीपावली पर लक्ष्मी पूजा रात में करने की परंपरा है, इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर को मनानी चाहिए।

कार्तिक मास में सूर्य पूजा के साथ करें दिन की शुरुआत

ये समय ऋतु परिवर्तन का है। वर्षा ऋतु खत्म हो गई है और शीत ऋतु की शुरुआत हो रही है। इन दिनों में सुबह जल्दी जागना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य पूजा के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए। सुबह देर तक सोने से दिनभर आलस बना रहता है। ठंड के दिनों में सुबह जल्दी उठेंगे तो आलस दूर होगा। सुबह-सुबह की ताजी हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें चावल, कुमकुम, लाल फूल डालें। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जपते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। सुबह कुछ देर सूर्य की रोशनी में खड़े रहने से शरीर को विटामिन डी मिलती है।

कार्तिक मास में तीर्थ दर्शन और नदी स्नान की है परंपरा

हिन्दी पंचांग के आठवें महीने यानी कार्तिक में नदी स्नान, तीर्थ दर्शन का महत्व काफी अधिक है। इस महीने में गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए काफी अधिक भक्त पहुंचते हैं। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। अगर घर में गंगाजल भी नहीं है तो पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान कर सकते हैं।

कार्तिक में भगवान श्रीकृष्ण, शिव जी, विष्णु जी के पौराणिक मंदिरों में दर्शन-पूजन करना चाहिए। इस महीने में मथुरा, प्रयागराज, वाराणसी, उज्जैन, नासिक, देवघर जैसे पौराणिक महत्व वाले शहरों में दर्शन कर सकते हैं।

कार्तिक मास में रोज करना चाहिए दीपदान

कार्तिक मास में नदियों में दीपदान करने की परंपरा है। रोज शाम को भक्त पवित्र नदियों के किनारों पर दीपक जलाते हैं। इसके अलावा अपने घर के बाहर भी दीपक जलाना चाहिए। सूर्यास्त के घर के आंगन में तुलसी के पास भी दीपक जलाएं। घर के आसपास जो भी मंदिर हो, वहां दीपक जला सकते हैं।

जरूरतमंद लोगों की करें मदद

कार्तिक मास में जरूरतमंद लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार अनाज, ऊनी वस्त्र, जूते-चप्पल, खाना, धन का दान जरूर करें। इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं, ऐसे में जरूरतमंद लोगों की मदद करेंगे तो वे लोग भी त्योहारों का आनंद ले पाएंगे।

कार्तिक मास में करना चाहिए जीवन शैली में बदलाव

कार्तिक मास से शीत ऋतु का असर शुरू हो जाता है। इसलिए इस महीने से जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव करना चाहिए। इन दिनों में खान-पान को लेकर सर्तक रहें, ऐसी चीजें खाने से बचें, जिन्हें पचने में ज्यादा समय लगता है। सेहत बनाने के लिए ठंड का समय सबसे अच्छा माना जाता है, इसलिए कार्तिक मास में योग-प्राणायाम को अपनी डेली लाइफ का हिस्सा बनाएं। रोज सुबह कुछ देर घर के बाहर टहलें। सुबह जल्दी उठें और रात में जल्दी सोएं।

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