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- Traditions About Janmashtami In Hindi, Lord Krishna Puja Vidhi, Shri Krishna, Yashoda Mata, Balram, Radha, Govardhan Parvat And Gau Mata And Yamuna River
10 मिनट पहले
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कल (26 अगस्त) को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लिया था। उस दिन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, उस समय भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि का चंद्र था।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक के लिए दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा।
- भगवान के अभिषेक के लिए केसर मिश्रित दूध का इस्तेमाल करना चाहिए। पूजा के लिए कच्चे दूध का इस्तेमाल करें। दूध में केसर डालेंगे तो दूध केसरिया हो जाएगा।
- जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के साथ यशोदा मैया, बलराम, राधा, गौ माता, गोवर्धन पर्वत की भी पूजा करनी चाहिए। ये सभी श्रीकृष्ण से जुड़े हैं, श्रीकृष्ण इनसे अलग नहीं हैं।
- अगर संभव हो तो जन्माष्टमी पर यमुना नदी में स्नान करना चाहिए। यमुना नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में यमुना नदी का पानी या गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय गंगा-यमुना नदी का ध्यान करना चाहिए।
- इस दिन भगवान विष्णु, श्रीराम, महालक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख का इस्तेमाल करें। शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है, क्योंकि ये दोनों समुद्र से ही उत्पन्न हुए हैं। शंख में दूध भरकर भगवान का अभिषेक करें।
- भगवान को सुंदर पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक लगाएं। भगवान के मस्तक पर मुकुट पहनाएं, पूजा में मोरपंख भी रखें।
- श्रीकृष्ण, विष्णु जी को माखन-मिश्री, मिठाई का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- पूजा में कृं कृष्णाय नम:, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जप कम से कम 108 बार करेंगे तो शुभ रहेगा। इसके लिए तुलसी की माला का इस्तेमाल करें।
- जन्माष्टमी पर श्रीमद् भगवद् गीता के अध्यायों का, गीता सार का, हरिवंश पुराण का पाठ भी करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण की कथाएं पढ़नी-सुननी चाहिए।
- सोमवार और जन्माष्टमी के योग में भगवान शिव जी का भी विशेष अभिषेक करें। शिवलिंग पर दूध, जल चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब आदि से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
- इस दिन धन, अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े, छाता दान करें। किसी गोशाला में धन और अनाज का दान भी जरूर करें।
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