भारतीय क्रिकेट टीम टी20 विश्व कप 2024 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर विजेता बन गई है। आज हर कोई टीम इंडिया के खेल का मुरीद है। इस टूर्नामेंट से भारतीय गेंदबाज अर्शदीप सिंह को एक अलग पहचान मिली है। उन्होंने आठ मैचों में 17 विकेट लेकर रिकॉर्ड बना
.
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने की तैयारी कर ली थी। माता-पिता ने तो उसे कनाडा भेजकर वहीं सेटल करने का फैसला भी कर दिया था।
![](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/30/_1719745213.jpg)
परिवार ने कनाडा भेजने की कर ली थी तैयारी
अर्शदीप सिंह का पंजाब टीम में चयन नहीं हो रहा था। परिवार के लोग भी चिंतित थे। ऐसे में माता-पिता ने उसे कनाडा उसके भाई के पास भेजने का फैसला किया। उन्होंने इस बारे में उसके कोच से बात की। कोच ने जब अर्शदीप से इस बारे में चर्चा की तो उसने कहा कि वह खेलना चाहता है।
कोच की सलाह पर अर्शदीप ने यह बात अपने परिवार को बताई। परिवार के लोगों ने उसे एक साल का समय दिया। इसके बाद अर्शदीप ने ग्राउंड पर जमकर मेहनत की। फिर उसका चयन पंजाब की आयु वर्ग 19 की टीम में हो गया। इसके बाद उसने अंडर-19 विश्व कप खेला। इसके बाद यह सफर लगातार चलता रहा।
पिता ने पहचाना हुनर, मां ने लगाई ताकत
अर्शदीप सिंह का परिवार पंजाब के खरड़ से हैं। लेकिन उनके पिता एक निजी कंपनी में काम करते हैं, अर्शदीप का जन्म तब हुआ तो उस सम उनकी पोस्टिंग मध्य प्रदेश में थी। वह भी गेंदबाज है। उनके पिता ने क्रिकेट के प्रति उनके जुनून को पहचाना। उन्होंने उन्हें पार्क में बॉलिंग करते देखा। फिर वे उन्हें 13 साल की उम्र में चंडीगढ़ के सेक्टर-36 स्थित गुरु नानक देव स्कूल की क्रिकेट अकादमी में ले गए। जहां से उनकी कोचिंग शुरू हुई।
अर्शदीप के पिता बाहर पोस्टेड थे। ऐसे में सुबह छह बजे खरड़ से चंडीगढ़ ग्राउंड पहुंचना आसान नहीं था। क्योंकि यह 15 किलोमीटर का सफर था। ऐसे में अर्शदीप सिंह की मां उन्हें सुबह साइकिल पर लेकर आती थीं। फिर वहीं रुकती थीं। स्कूल के बाद उन्हें पार्क में बिठाती थीं और खाना आदि खिलाती थीं। इसके बाद फिर से अकादमी भेजती थीं। इसके बाद शाम को घर ले जाती थीं। शुरुआती दिनों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।
वैरिएशन को पहचान बने बादशाह
अर्शदीप सिंह जब वर्ल्ड कप U-19 खेल रहे थे, तब भी उनकी परेशानियां कम नहीं थीं। क्योंकि स्पीड के मामले में उनके सामने तीन गेंदबाज थे। इसलिए उन्होंने वैरिएशन पर काम करना शुरू किया।
डेथ ओवर में वह यॉर्कर अच्छी फेंकते थे, इसलिए उन्होंने यॉर्कर पर काम किया। स्लो ओवर और लाइन और लेंथ पर काम किया। वैरिएशन की वजह से ही उन्हें आईपीएल में चुना गया।
मानसिक रूप से बहुत मजबूत, भगवान में रखते हैं आस्था
अर्शदीप धार्मिक विचारों वाले हैं। वे ध्यान करते रहते हैं। उन्हें जानने वाले कहते हैं कि तेज गेंदबाज में आक्रामकता होती है। लेकिन वे इसे दिखाते नहीं। वे बहुत शांत रहते हैं। जब भी वे शहर आते हैं, तो सभी गुरुद्वारों में मत्था टेकने जाते हैं। वे मानसिक रूप से बहुत मजबूत हैं। उनके कोच जसवंत राय बताते हैं कि जब पाकिस्तान के खिलाफ मैच में कैच छोड़ने पर उन्हें ट्रोल किया गया, तो उन्होंने अर्शदीप को फोन करके सलाह दी कि आज सोशल मीडिया न देखें।
इस पर अर्शदीप का जवाब था कि वे सुबह से ही इसे देख रहे हैं। उन्हें लोग जो कह रहे हैं, वह उन्हें अच्छा लग रहा है। उन्होंने पूछा कि वे उदास क्यों लग रहे हो। इस पर अर्शदीप ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ मैच में उन्हें चौका लगा और अगर वे उसे रोक लेते, तो हम मैच जीत जाते। इसलिए वे उदास हैं।
क्रिकेट में उनका संघर्ष कुछ इस तरह रहा
अर्शदीप सिंह को 19 सितंबर 2018 को 2018-19 विजय हजारे ट्रॉफी में पंजाब के लिए खेलने के लिए चुना गया था। फिर उन्हें 2018 अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के लिए भारत की टीम में चुना गया। दिसंबर 2018 में, उन्हें 2019 इंडियन प्रीमियर लीग के लिए किंग्स इलेवन पंजाब द्वारा चुना गया।
वे टीम के दूसरे सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ रहे। उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए उनकी प्रशंसा की गई। नवंबर 2019 में, उन्हें बांग्लादेश में 2019 एसीसी इमर्जिंग टीम एशिया कप के लिए भारत की टीम में चुना गया। वह अब हर प्रारूप में खेल रहे हैं।
काउंटी खेलने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी बनेंगे
अर्शदीप की कुल संपत्ति दस करोड़ या 1.2 मिलियन डॉलर के करीब है। वह कई कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर हैं या उनके लिए विज्ञापन करते हैं। अर्शदीप सिंह इंग्लैंड के आगामी काउंटी सत्र में केंट टीम के लिए पांच प्रथम श्रेणी मैच खेलेंगे। केंट काउंटी टीम ने अपनी वेबसाइट पर इसकी घोषणा की। वह काउंटी खेलने वाले भारत के चौथे खिलाड़ी हैं।