11 घंटे पहले
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आज (1 अक्टूबर) नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी सिद्धिदात्री की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की आराधना करने के बाद अंतिम दिन सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव को सिद्धिदात्री ने ही सभी सिद्धियां दी थीं। देवी लाल वस्त्र धारण करती हैं। देवी पूजा करने वाले भक्त दिनभर व्रत रखते हैं। देवी के मंत्रों का जप करते हैं। आज छोटी कन्याओं की भी पूजा करनी चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए।


देवी सिद्धिदात्री की खास बातें
देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव को देवी सिद्धिदात्री ने ही सिद्धियां प्रदान की थी। सिद्धियां पाने के लिए शिव जी ने भी तप किया था। देवी दुर्गा के इस स्वरूप की कृपा से शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए। मार्कंडेय पुराण में कुल आठ सिद्धियां बताई गई हैं- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशत्व और वशित्व।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कुल 18 सिद्धियों का जिक्र है। अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, प्राप्ति, ईशत्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरप्रवेशन, परकायप्रवेशन, वाक् सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व, भावना और सिद्धि।
ये सभी सिद्धियां देवी सिद्धिदात्री अपने सच्चे भक्तों को प्रदान करती हैं।
जीवन प्रबंधन की सीख
भगवान शिव को भी तप करने के बाद ही देवी सिद्धिदात्री ने सिद्धियां दी थीं। देवी संदेश दे रही हैं कि जब तक हम मेहनत नहीं करते हैं, तब तक सिद्धि यानी सफलता नहीं मिलती है। सिद्धि का अर्थ है किसी काम में पारंगत होना। पारंगत होने के लिए लगातार अभ्यास करना चाहिए।