Tigress rescued in Amarkantak, was hidden in dense bushes | अमरकंटक में बाघिन का रेस्क्यू, घनी झाड़ियों में थी छिपी: कपिलधारा के पास 5 दिन से डेरा जमाए बैठी थी, संजय टाइगर रिजर्व में भेजा – Gaurela News

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के अमरकंटक में बाघिन का रेस्क्यू। 

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के अमरकंटक में बाघिन को वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को आखिरकार रेस्क्यू कर लिया है। अमरकंटक में बाघिन के मूवमेंट से यहां के लोग दहशत में थे। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय टाइगर रिजर्व सीधी और अमरकंटक वन विभाग की टीम ने मिलकर

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बाघिन पिछले कई दिनों से अमरकंटक के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कपिलधारा के निकट बाबाघाट में, नर्मदा नदी के दक्षिणी किनारे पर अपना डेरा जमाए हुई थी। इससे पहले वह एक सप्ताह से अधिक समय तक जालेश्वर के जंगलों में रही, जहां से वो बाबाघाट क्षेत्र में आ गई। इस दौरान कई स्थानीय निवासियों और पर्यटकों ने न केवल बाघिन को देखा बल्कि उसके वीडियो भी बनाए।

अमरकंटक वन परिक्षेत्र अधिकारी वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बाघिन की मौजूदगी की जानकारी मिलते ही वन विभाग ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी। चिंता का विषय यह था कि यह क्षेत्र नर्मदा परिक्रमा मार्ग का हिस्सा है, जहां से रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुजरते हैं। साथ ही, आसपास आवासीय क्षेत्र भी है।

वन विभाग ने बाघिन के व्यवहार का विश्लेषण किया तो पाया कि वह केवल 40-50 मीटर के दायरे में ही सीमित थी, जिससे उसके बीमार होने या पैरों में किसी समस्या की आशंका जताई गई। इस स्थिति को देखते हुए डीएफओ विपिन पटेल के निर्देश पर रेस्क्यू टीमों को तुरंत कार्रवाई के लिए बुलाया गया। अब बाघिन को सुरक्षित रूप से संजय टाइगर रिजर्व भेज दिया गया है।

नर्मदा जन्मोत्सव के चलते कलेक्टर ने दिए रेस्क्यू के निर्देश

इस बीच जिला कलेक्टर हर्षल पंचोली ने निर्देश दिए कि अमरकंटक में आगामी नर्मदा जन्मोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने वाले हैं। ऐसे में बाघिन का जल्द से जल्द रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित स्थान पर भेजा जाए। कलेक्टर के निर्देश के बाद वन विभाग ने तेजी से ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी।

हाथी की मदद से बाघिन का किया गया सफल रेस्क्यू

शुक्रवार सुबह 9 बजे से 12 बजे तक तीन घंटे तक चले इस अभियान में सफलतापूर्वक बाघिन को रेस्क्यू किया गया। बाघिन लेंटाना की घनी झाड़ियों में छिपी हुई थी जिससे उसे पकड़ना मुश्किल हो रहा था। इस स्थिति को देखते हुए बांधवगढ़ से एक हाथी बुलवाया गया।

रेस्क्यू टीम ने हाथी पर बैठकर बाघिन को ट्रैंक्विलाइजर गन (बेहोशी का इंजेक्शन) से निशाना बनाया, जिससे वह बेहोश हो गई। इसके बाद टीम ने सुरक्षित तरीके से उसे पकड़ा और पिंजरे में डाल दिया।

संजय टाइगर रिजर्व में बाघिन को भेजा गया बाघिन को पकड़ने के बाद संजय टाइगर रिजर्व सीधी भेज दिया गया, जहां उसकी स्वास्थ्य जांच की जाएगी। इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन से क्षेत्र के लोग राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि बीते कई दिनों से बाघिन की मौजूदगी से भय और दहशत का माहौल बना हुआ था।

स्थानीय लोगों ने वन विभाग का किया धन्यवाद बाघिन के पकड़े जाने की खबर मिलते ही स्थानीय लोगों ने राहत महसूस की और वन विभाग की पूरी टीम का आभार जताया। अमरकंटक जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थल पर इस तरह की घटनाएं लोगों को भयभीत कर देती हैं, लेकिन वन विभाग और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से यह मामला सफलतापूर्वक हल हो गया।

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