बिहार में छठ पूजा के दौरान ही ठंड महसूस होने लगती है। हालांकि इस साल ठंड देर से आई है। इसका सबसे बड़ा असर गेहूं और दलहन की फसल पर पड़ा है। मौसम वैज्ञानिक की माने तो अगले चार दिनों तक मौसम ऐसा ही रहेगा। यानी 4-5 जनवरी तक मौसम का मिजाज बदलने वाला नहीं
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ठंड देर से आने की वजह बताते हुए मौसम विज्ञान केंद्र के मेट्रोलॉजिस्ट शैलेन्द्र कुमार पटेल कहते हैं कि ‘दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के बीच ज्यादा गैप की स्थिति रही। दिसंबर के फर्स्ट वीक और 26 दिसंबर को पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव पड़ा। दूसरा बड़ा कारण यह रहा कि बिहार में ज्यादा समय तक पुरवा हवा का प्रभाव रहा। ये हवा बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आई, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज नहीं की गई।

मजबूत स्थिति में है वेस्टर्न डिस्टरबेंस
बिहार में वेस्टर्न डिस्टरबेंस मजबूत है। इसकी वजह से कनकनी वाली ठंड महसूस की जा रही है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस से पछुआ हवा चलती है, जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी होते हुए बिहार-बंगाल तक बारिश लाती है। इस कारण खूब झमाझम बारिश की बजाय शीतकालीन बारिश होती है।
इस साल बिहार में शीतकालीन बारिश अक्टूबर से जनवरी तक कम हुई है। इसका असर खेतों में लगी गेहूं, सरसों, दलहन की फसल पर पड़ रहा है। अक्टूबर से 31 दिसंबर की स्थिति यह रही कि बारिश सामान्य से 71 फीसदी कम हुई है।
कोल्ड वेव की स्थिति नहीं
मेट्रोलॉजिस्ट शैलेन्द्र कुमार पटेल कहते हैं कि ‘भूमध्य सागर से नमी युक्त हवा इराक-ईरान होते हुए अफगानिस्तान होकर पाकिस्तान तक आती है। पाकिस्तान के बाद हिमालय की ऊंचाई आड़े आ जाती है, जिससे साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवातीय संचरण) बनता है। जिसका प्रभाव पंजाब, राजस्थान, हरियाणा पर पड़ता है।’
शैलेंद्र कुमार पटेल बताते हैं कि ‘ये घड़ी की विपरीत दिशा में घूमता है और ऊपर की तरफ उठता है। यही हवा पर्वतीय क्षेत्र में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश देती है। अभी की स्थिति यह है कि उत्तर-पश्चिमी सर्द हवा बिहार में आ रही है। इससे न्यूनतम तापमान गिर रहा है। न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हुई तो कोल्ड वेब की स्थिति हो सकती है। हालांकि, इसकी आशंका अभी नहीं है।’

धूप क्यों नहीं निकल रही
मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि ‘अभी पटना का तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है। फॉग ऊपर की तरफ जा रहा है। एक-दो हजार फीट पर जाकर जमा हो जा रहा है, जो सूर्य की रोशनी को रोक रहा है। इसलिए अधिकतम तापमान बढ़ नहीं पा रहा है। तापमान कम रहने से दिन के समय भी कनकनी महसूस होती है।
वहीं, कोहरा ऊपर की तरफ स्थिर है। ऐसी स्थिति आगे 48 घंटे तक रहने की संभावना है। तीन-चार दिनों के बाद ठंड घटने की उम्मीद है। हवा के रुख में बदलाव के कारण अगले दो से चार दिनों के बाद न्यूनतम तापमान में कुछ बढ़ोतरी की उम्मीद है।
आंकड़े बता रहे कि ठंड अब पहले की तरह नहीं पड़ रही
पटना में दिसंबर माह में 2019 से 2024 यानी छह सालों की स्थिति यह बताती है कि 2019 के दिसंबर से 2024 के बीच दिसंबर माह में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया। यानी ठंड पहले जितनी नहीं पड़ी। चार साल 2019, 2020, 2021 और 2022 के वर्ष में यह 11 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया। 2023 और 2024 में यह 13 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा पहुंच गया। यानी 2023 व 2024 के दिसंबर में ठंड कम और गर्मी अधिकर पड़ी।

ठंड बढ़ने पर वायु प्रेशर भी बढ़ जाता है
मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि ‘ठंड बढ़ेगी तो वायु का प्रेशर भी बढ़ेगा और तापमान घटेगा। इससे लोगों के ब्लड सर्कुलेशन में बाधा पड़ती है। हाई बीपी वाले लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ेगा। इस मौसम में पाइरालाइसिस की आशंका काफी बढ़ जाती है।



ठंड में हार्ट अटैक की समस्या बढ़ जाती है
सीनियर फिजिशियन डॉ. राजीव कुमार सिंह ने बताया कि ठंड में ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक की शिकायत बढ़ जाती है। इसलिए ठंड से बच कर रहें। जरूरी हो तभी घर से निकलें। ठीक से गर्म कपड़े पहनकर घर से बाहर निकलें। नहाने में भी सावधानी बरतें। बाथरुम से निकलने समय कोई शॉल आदि ओढ़कर निकलें। ठंड लगने पर शुरुआती लक्षण सिर में दर्द, उल्टी होना है। इसलिए खान-पान में भी सावधानी बरतें। खास तौर से रात के समय हल्का खाना खाएं और हल्का गर्म पानी पीएं।