प्रदेश के ऑटोनॉमस मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी को मान्यता के लिए अब किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के रूप में ट्रांसफर नहीं कर सकेंगे। यदि ऐसा किया जाता है तो इसे हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना माना जाएगा। मप्र हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत
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ऑटोनॉमस मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी के ट्रांसफर पर दायर की गई अपील को डिवाइड ऑफ मेरिट (योग्यता का विभाजन) करार देते हुए खारिज कर दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसा कोई आदेश दिया गया तो इसे हाई कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
बता दें कि बीते दिनों सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की मान्यता के लिए इंदौर की ऑटोनॉमस फैकल्टी डॉ. शिवनारायण लहरिया, डॉ. रोहित मन्याल, डॉ. अजय भट्ट और डॉ. भारत सिंह एवं भोपाल से डॉ सुबोध पांडे, डॉ जूही अग्रवाल सहित कई चिकित्सकों को नेशनल मेडिकल कमीशन की मान्यता के लिए फैकल्टी के रूप में शासकीय मेडिकल कॉलेज नीमच एवं मंदसौर में स्थानांतरित किया था।
उस समय पर हाई कोर्ट इंदौर की सिंगल बैंच ने यह आदेश को खारिज किया था, लेकिन सरकार इस सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में पुनः याचिका लेकर गई कि हमने जो ट्रांसफर किए हैं वह सही है। इसके एवज में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपना निर्णय सुनाया कि दोबारा अगर स्वशासी चिकित्सा शिक्षकों के स्थानांतरण किए तो अधिकारियों पर उच्च न्यायालय की अवमानना की प्रोसिडिंग करेंगे।
स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के लिए अहम निर्णय हाई कोर्ट के इस फैसले ने स्वास्थ्य शिक्षा क्षेत्र में स्वशासी चिकित्सकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए एक स्पष्ट संदेश दिया है कि अब उन्हें मनमाने ट्रांसफर का सामना नहीं करना पड़ेगा। अधिकारियों की मनमानी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी। इसके साथ ही शिक्षकों को राहत मिलेगी। – डॉ. राकेश मालवीया, प्रदेशाध्यक्ष, प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर एसोसिएशन मप्र