There was a fraud of 100 crores in 272 plots, the main accused were saved and the smaller ones were implicated | 272 भूखंडों में 100 करोड़ का घपला हुआ, मुख्य आरोपी बचा लिए, छोटों को फंसा दिया – Udaipur News


शहर में यूडीए से निगम को दिए गए 272 खाली भूखंडों में फर्जीवाड़े पर शिकंजा कस रहा है। मामला यूं तो एसओजी में है, लेकिन इसे दबाया जाता रहा। शुक्रवार को शहर विधायक ताराचंद जैन ने इस मामले को 8 दिन में दूसरी बार ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए उठाया।

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यूडीएच मंत्री झाबरसिंह खर्रा ने जवाब देते हुए कहा कि यह 100 करोड़ का घोटाला है। तत्कालीन निगम आयुक्त हिम्मतसिंह बारहठ के खिलाफ कार्मिक विभाग से आरोप पत्र जारी कराएंगे और सख्त कार्रवाई होगी। मंत्री के जवाब के बाद विधायक जैन ने कहा कि ये 100 करोड़ नहीं, 400 करोड़ का घोटाला है।

मंत्री खर्रा ने कहा कि यह मामला 15वीं और 16वीं विधानसभा में मुद्दा उठा था। अब यह ध्यानाकर्षण के जरिए आया है। इसी सत्र में जवाब लेकर अधिकारी आए तो महसूस हुआ कि इसमें गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। वास्तविक आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, जबकि छोटे कार्मिकों को नोटिस जारी हुए। जांच पूरी होने के बाद निगम के तत्कालीन आयुक्त और अन्य कार्मिकों पर विधि अनुसार न्यायालय में कार्रवाई होगी।

विधायक ने एक और घपला खोला, करोड़ों की जमीन 40 रु. फीट में दी

विधायक ने रेलवे पटरी के पास 12 हजार फीट की बेशकीमती जमीन 40 रुपए फीट में देने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि जिस जमीन की डीएलसी रेट 1853 रुपए है, उसे आयुक्त ने सस्ते दामों में दे दिया। जैन ने नियम 131 के तहत सदन में इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया था। उधर, 272 प्लॉटों के मामले में मंत्री ने कहा कि यूआईटी से निगम को स्थानांतरित योजना के घोटाले को लेकर हिरणमगरी और सूरजपोल थाने में प्रकरण दर्ज हुए। इन सभी मामलों को 25 मई 2022 को जोधपुर एसओजी को सौंप दिया गया।

अनुसंधान के बाद 9 मई 23 को एसओजी उदयपुर के पास मामला आया। इसी साल 23 अप्रैल को अग्रिम अनुसंधान के लिए एसओजी अजमेर को सौंपा गया। वर्तमान में एएसपी की ओर से अनसुंधान जारी है। जांच के बाद 4 कर्मचारियों, एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 3 वरिष्ठ सहायक और सहायक को दोषी पाया गया। इसके बाद सभी को सीसीए नियम 16 के तहत आरोप पत्र भी जारी हुए।

मंत्री खर्रा ने कहा कि 2004 में यूआईटी (अब यूडीए) की ओर से निगम को 30 योजनाएं और 16 कच्ची बस्तियां स्थानांतरित की गई थीं। इन योजनाओं में 6,046 भूखंडों की पत्रावलियां और 16 कच्ची बस्तियों में 4,363 भूखंड सर्वेधारियों की पत्रावलियां प्राप्त हुईं।

निगम ने भी कराई थी जांच, पर रिपोर्ट आधी-अधूरी रही

निगम के मेयर के निर्देश पर 28 दिसंबर 2021 को जांच कमेटी बनाई थी। मंत्री ने सदन को बताया कि जांच प्रतिवेदन में 316 पत्रावलियों के संबंध में कोई उल्लेख नहीं था। संदिग्ध 40 खाली भूखंडों के संबंध में भी उल्लेख नहीं था। इस रिपोर्ट पर जांच कमेटी में शामिल जनप्रतिनिधियों ने भी हस्ताक्षर नहीं किए।

मंत्री ने कहा कि तत्कालीन आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ के खिलाफ अगले 10 दिन में राजस्थान सिविल सर्विसेज के नियमों के तहत आरोप पत्र तैयार कर कार्मिक विभाग को भेजा जाएगा।

परीक्षण के बाद आरोपी से 15 दिन में स्पष्टीकरण लेकर आगे की कार्रवाई होगी। मंत्री ने कहा कि एसओजी के अतिरिक्त महानिदेशक से अपेक्षा करूंगा कि इस मामले का अनुसंधान 2024 में ही पूरा कर संबंधितों के खिलाफ चालान पेश करें। इधर, कांग्रेस से पूर्व मनोनीत पार्षद रहे अजय पोरवाल का कहना है कि इस मामले को सबसे पहले उन्होंने उठाया था। इसके बाद यह केस एसओजी तक पहुंचा था।

पोरवाल का आरोप है कि हस्तांतरित कॉलोनियों से कई भूखंडों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर नामांतरण भी खुलवा लिए गए हैं। मामले की ढंग से जांच हुई तो सभी राजनीतिक दलों से जुड़े 150 से ज्यादा सफेदपोश इसमें शामिल मिलेंगे।

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