There has been no delivery in the only maternity and child care hospital for 3 years, only vaccines are given | इकलौते मेटरनिटी एंड चाइल्ड केयर अस्पताल में 3 साल से नहीं हुआ कोई प्रसव, केवल लगते हैं टीके – Dhanbad News


जोड़ाफाटक रोड स्थित एसएसएलएनटी अस्पताल हाई कोर्ट के आदेश पुन: हुआ चालू। तब इस अस्पताल को मेटरनिटी एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल के रूप में संचालित करने का निर्णय लिया गया। उद्देश्य था जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना। लेकिन यह अस्पताल अब सरकारी

.

एक-एक कर सुविधाएं बंद होती जा रही हैं। गर्भवती महिलाओं को यहां अब सिर्फ ओपीडी की सुविधा ही मिल पाती है। जबकि चाइल्ड केयर के नाम पर ओपीडी के अतिरिक्त सिर्फ इम्युनाइजेशन की ही सुविधा बची है। सुविधाएं नहीं होने के बावजूद अस्पताल के ओपीडी में रोज 50 से अधिक गर्भवती प्रसव पूर्व चिकित्सकीय परामर्श के लिए पहुंचती हैं। टीकाकरण के लिए भी निर्धारित तिथि पर अच्छी-खासी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को लेकर पहुंचते हैं।

फिलहाल 3 चिकित्सक हैं पदस्थापित

अस्पताल में फिलहाल शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जीतेश रंजन बतौर अधीक्षक, स्त्री एवं प्रसव रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिता कुमार और मेडिकल ऑफिसर डॉ. जलेश पदस्थापित हैं। दो चिकित्सक डॉ. अनुपमा प्रसाद को एसएनएमएमसीएच और डॉ. संध्या तिवारी को यहां से सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त किया गया है। 3 नर्सिंग स्टाफ और गिने-चुने पारा मेडिकल स्टाफ और हाउसकीपिंग स्टाफ ही हैं अस्पताल में।

अस्पताल के लिए स्वीकृत हैं 124 पद

अस्पताल के लिए स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की आेर से 2017 में चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, पारा मेडिकल स्टाफ के 124 पद स्वीकृत किए गए। लेकिन आजतक न तो चिकित्सकों की पदस्थापना की गई आैर ना ही कर्मचारियों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां की गई। अस्पताल के कर्मियों का पीएमसीएच तबादले के बाद इसे बंद कर दिया गया था।

अस्पताल भवन और स्टाफ क्वार्टर्स जर्जर

अस्पताल परिसर में बने अधिकतर भवन जर्जर हो चुके हैं। इस कारण इनडोर सुविधा 2021 में बंद कर दी गई। वहीं कैंपस में बने स्टाफ क्वार्टर्स की हालत दयनीय है। भवन जर्जर हो चुके हैं और भवनों पर उगे पौधे बड़े पेड़ बन चुके हैं। अधिकतर क्वार्टर खाली है और जिन क्वार्टरों में कर्मचारी रहते हैं उसकी खुद से मरम्मत कराते हैं। सफाई कर्मचारियों की कमी के कारण परिसर की सफाई भी कामचलाऊ है।

अभी यह हालत है अस्पताल की

अस्पताल के इनडोर में कभी दिन-रात मरीजों की गहमागहमी रहती थी। अब वार्ड यानी इनडोर में ताले बंद हैं। दो मंजिला भवन का अधिकांश हिस्सा जर्जर हो चुका है। कामोबोस हर कमरे की छत से पानी टपकता है। ड्रेनेज इतना खराब है कि नाले का पानी वार्डों में घुसता है। तीनों शिफ्ट में अस्पताल संचालित हो इसके लिए पर्याप्त विशेषज्ञ चिकित्सक आैर नर्सिंग स्टाफ भी नहीं हैं।

विभाग को पत्र लिख चुका है प्रबंधन

कोविड के दौरान कराया गया अंतिम प्रसव

एसएसएलएनटी अस्पताल को मातृत्व एवं शिशु देखभाल केंद्र के रूप में वर्ष 2017 में शुरू किया गया। प्रारंभ में यहां मरीजों के लिए 100 बेड की व्यवस्था की गई। लेकिन 2021 में कोविड के दौरान इस अस्पताल में अंतिम बार प्रसव कराया गया। इसके बाद भवन की जर्जर हालत, चिकित्सकों की कमी के कारण इनडोर सुविधा बंद कर दी गई। जबकि 2021 से पूर्व यहां रोज 10-12 प्रसव कराए जाते थे। नवजात बच्चों की देखभाल के लिए भी अलग से वार्ड और सुविधाएं थी। इससे पूर्व मेडिकल कॉलेज व अस्पताल गायनी डिपार्टमेंट भी बखूबी संचालित था।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *