Theft case registered against Super Natwarlal is closed | सुपर नटवरलाल पर दर्ज चोरी का केस हुआ बंद: चंडीगढ़ अदालत का फैसला, पांच महीने पहले हुई मौत, फर्जी जज भी बना था – Chandigarh News

सफेद कुर्ते में धनीराम मित्तल की फाइल फोटो। साथ में चार्ल्स शोभराज। धनीराम मित्तल इन्हीं की तरह चोरियां और जालसाजी करता था।

40 दिन का नकली जज बनकर 2700 अपराधियों को जमानत देने वाले हरियाणा भिवानी जिले के धनीराम मित्तल पर 20 साल पहले चंडीगढ़ में दर्ज चाेरी के मामले को जिला अदालत ने बंद कर दिया है। क्योंकि धनीराम की करीब पांच महीने पहले 18 अप्रैल 2024 को हार्ट अटैक से मौत हो

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2004 में चंडीगढ़ में दर्ज हुआ थ केस

धनी राम पर चंडीगढ़ के सेक्टर-3 थाना में 2004 में केस दर्ज हुआ था। आरोप था कि उसने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की पार्किंग से अशोक कुमार नाम के व्यक्ति की कार चुराई थी। तीन साल के बाद पुलिस ने कार को बरामद कर लिया था। तभी धनी राम का नाम सामने आया था। इसके बाद उस पर चोरी और ठगी का मामला चल रहा था। हालांकि बाद मे उसे पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। लेकिन वह बीमार रहता था। साथ ही उम्र ज्यादा हो गई थी। ऐसे में उसे जमानत मिल गई थी।

40 दिनों तक जज बनकर बैठा रहा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 से 1975 के बीच की बात है धनीराम ने एक अखबार में हरियाणा के झज्जर में एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश की खबर पढ़ी। इसके बाद उसने कोर्ट परिसर जाकर जानकारी ली और एक चिट्ठी टाइप कर सीलबंद लिफाफे में वहां रख दिया। उसने इस चिट्ठी पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की फर्जी स्टैंप लगाई, हूबहू साइन किए और विभागीय जांच वाले जज के नाम से इसे पोस्ट कर दिया।

इस लेटर में उस जज को 2 महीने की छुट्टी भेजने का आदेश था। इस फर्जी चिट्ठी और उस जज ने सही समझ लिया और छुट्टी पर चले गए। इसके अगले दिन झज्जर की उसी कोर्ट में हरियाणा हाईकोर्ट के नाम से एक और सीलबंद लिफाफा आया, जिसमें उस जज के 2 महीने छुट्टी पर रहने के दौरान उनका काम देखने के लिए नए जज की नियुक्ति का आदेश था। इसके बाद धनीराम खुद ही जज बनकर कोर्ट पहुंच गया।

सभी कोर्ट स्टाफ ने उन्हें सच में जज मान लिया। वह 40 दिन तक मामलों की सुनवाई करता रहा और हजारों केस का निपटारा कर दिया। धनीराम ने इस दौरान 2700 से ज्यादा आरोपियों को जमानत भी दे दी। बताया ये भी जाता है कि धनीराम मित्तल ने फर्जी जज बनकर अपने खिलाफ केस की खुद ही सुनवाई की और खुद को बरी भी कर दिया। इससे पहले कि अधिकारी समझ पाते कि क्या हो रहा है, मित्तल पहले ही भाग चुका था। इसके बाद जिन अपराधियों को उसने रिहा किया या जमानत दी थी, उन्हें फिर से खोजा गया और जेल में डाल दिया गया।

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