The story of identical twin brothers in Sagar | कांच पहले ने तोड़ा, डांट दूसरे भाई को पड़ी: दुकान पर विजय के बजाय चला गया अजय; MP में जुड़वा भाइयों की कहानी मूवी जैसी – Sagar News

आपने जुड़वा भाइयों से जुड़ी कई मूवीज देखी होंगी। इसमें एक व्यक्ति कोई काम कर जाता है, कुछ देर बाद उसका हमशक्ल भाई अनजान बन जाता है। इसमें सामने वाला कन्फ्यूज हो जाता है।

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कुछ ऐसी ही कहानी सागर के दो जुड़वा भाइयों की है। वैसे, ज्यादातर फिल्मों में दोनों के कैरेक्टर अलग-अलग होते हैं, लेकिन इसमें ऐसा नहीं है। नाम है अजय-विजय नामदेव। उम्र 41 साल। हमशक्ल होने के कारण अच्छे-अच्छे लोग आज भी पहचानने में कन्फ्यूज हो जाते हैं। दोनों के जन्म में सिर्फ एक घंटे का अंतर।

आज राष्ट्रीय बदर्स- डे के मौके पर दैनिक भास्कर आपको ऐसे ही जुड़वा भाइयों से रूबरू करवा रहा है।

साथ जन्मे, खेले अब प्रोफेशन भी एक जैसा

10 अक्टूबर 1982 में बड़ा बाजार की रहने वाली आशा नामदेव ने दो बेटों को जन्म दिया। दोनों में एक घंटे का अंतर है। बड़े बेटे का नाम अजय रखा और छोटे का विजय। दोनों की शक्ल एक जैसी है। समय के साथ दोनों बड़े हुए। बचपन में स्कूल में टीचर्स और फ्रेंड्स तक कन्फ्यूज हो जाते थे। लाेग पहचान नहीं पाते कि अजय कौन है और विजय कौन। खास है कि दोनों में प्यार ऐसा है कि वे भाई कम और दोस्त ज्यादा हैं। ज्यादातर जगह साथ ही जाते हैं। घर के हर निर्णय मिलकर लेते हैं।

अजय-विजय की ये बचपन की तस्वीर है, जिसमें लोग देखकर पहचान नहीं पाते थे।

अजय-विजय की ये बचपन की तस्वीर है, जिसमें लोग देखकर पहचान नहीं पाते थे।

अजय बोला- मैं जोर-जोर से पढ़ता था, विजय सुनता था

बड़े भाई अजय नामदेव ने बताया, ‘बचपन से विजय मेरा हाथ पकड़कर चलता है। जब मैं साइकिल चलाता था, तो विजय पीछे बैठता था। अब मैं बाइक चलाता हूं, तब भी वह पीछे की सीट पर ही बैठता है। घर से बाइक निकालते ही विजय बोलता है कि भैया आप ही बाइक चलाओगे। बचपन से पढ़ाई में मेरी ज्यादा रुचि रही है। दोनों एक ही क्लास पढ़ने के कारण बुक्स का एक ही सेट लेते थे। मैं जोर-जोर से किताबों को पढ़ता था, जबकि विजय सुनता था। अजय ने बताया कि भाई से बड़ा दोस्त नहीं होता। अजय के बगैर विजय अधूरा है और विजय के बगैर अजय अधूरा है।’

एग्जाम में समान मार्क्स, एक ही कंपनी में नौकरी

छोटे भाई विजय नामदेव ने बताया, ‘बचपन से ही हम हर काम साथ में करते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज तक एक जैसे मार्क्स हासिल किए। इसके बाद जहां भी नौकरी की, साथ में रहकर की। वर्तमान में प्राइवेट कंपनी में एक ही ऑफिस में, एक ही पद पर काम करते हैं। दोनों ही भाई पेशे से ग्राफिक्स व डिजाइनिंग में मास्टर हैं।’

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विजय बनकर अजय ने किया किराना दुकान पर काम

विजय नामदेव ने बताया, ‘करीब 18 साल की उम्र में मैं बड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित किराना दुकान पर काम करता था। दुकान मालिक रोज दुकान में रखे सामान के बारे में बताता था, लेकिन अक्सर मैं दुकान पर नहीं जाता था। मेरे बजाय बड़ा भाई अजय काम करने चला जाता था। दुकानदार को भी शक नहीं होता था। हां, दुकानदार कोई भी सामान उठाने का बोलता था, तो अजय को पता नहीं होता था। इस कारण वह चिल्लाता था कि कल ही तो बताया था। असल में हमशक्ल के बारे में दुकानदार को पता नहीं था। यह सिलसिला करीब एक महीने तक चला। फिर मैंने ही दुकानदार को असलियत बता दी। वह दोनों भाइयों को साथ देखकर दंग रह गया था। इसी तरह, अखबार डालने का काम भी दोनों मिलकर करते थे।

गिलास का सेट अजय से टूटा, डांट विजय को पड़ी

अजय नामदेव ने बताया कि हम करीब 5-6 साल की रही होगी। मुझसे घर में रखा कांच के गिलास का सेट गिरकर टूट गया। कमरे में कांच फैला था, तभी मां वहां आ गई। उन्होंने पिताजी से शिकायत कर दी। मैंने कह दिया विजय ने गिलास तोड़े हैं। मैं तो कमरे में था ही नहीं। इसके बाद पिताजी ने विजय को डांट दिया। दूसरे दिन मैंने हकीकत बता दी। कहा- गिलास मुझसे ही टूटे थे। डांट के डर से विजय का बोल दिया था।

खास बात है कि अजय की 6 जून 2020 को जुड़वा बेटियां भी पैदा हुई हैं। दोनों में 7 मिनट का अंतर है। यह दोनों बेटियां भी हमशक्ल हैं।

खास बात है कि अजय की 6 जून 2020 को जुड़वा बेटियां भी पैदा हुई हैं। दोनों में 7 मिनट का अंतर है। यह दोनों बेटियां भी हमशक्ल हैं।

मां बोलीं- बच्चों को पहचानने में धोखा नहीं खाया

उनकी मां आशा नामदेव ने बताया कि दो बेटे पैदा हुए, तो परिवार में खुशी का माहौल था। बड़े होने के साथ उनका चेहरा, कद-काठी एक जैसी दिखने लगी। हमशक्ल होने से लोग पहचानने में धोखा खा जाते थे, लेकिन मुझे कभी भी धोखा नहीं हुआ। कारण- अजय का चेहरा गोल है, वहीं विजय का चेहरा थोड़ा सा लंबा है। आखिर मैं तो मां हूं। बच्चों को कैसे नहीं पहचान पाऊंगी।

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