नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने अपने नियमों में कुछ बदलाव करते हुए राज्य में कार्यरत नॉन टीचिंग डॉक्टर्स के लिए टीचिंग फेकल्टी बनने की राह आसान कर दी है। साथ ही एनाटोमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री के अलावा अब माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट
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एनएमसी की ओर से जारी नई गाइड लाइन के मुताबिक अब 220 से अधिक बैड वाले हॉस्पिटल में कार्यरत नॉन टीचिंग डॉक्टर्स (सीनियर मेडिकल ऑफिसर जिनकी पीजी पूरी हो गई और एसआर शिप कर ली) को 2 साल से ज्यादा का अनुभव होने पर मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर लगाया जा सकता है। इसके साथ ही 10 साल से ज्यादा अनुभव वाले डॉक्टर्स को एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्त दी जा सकेगी। इसके अलावा सीनियर कंसल्टेंट को NBE से मान्यता प्राप्त सरकारी मेडिकल कॉलेज में 3 वर्ष का टीचिंग एक्सपीरियंस होने पर प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा।
दो फेकल्टी पर 2 पीजी सीट के साथ कोर्स शुरू
अगर किसी मेडिकल कॉलेज में किसी डिपार्टमेंट में 2 फेकल्टी है तो वहां 2 पीजी सीट के साथ पीजी कोर्स शुरू किया जा सकेगा। इसके अलावा अभी एनाटोमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री में नॉन मेडिकल टीचिंग (MSc के साथ पीएचडी किए) स्टाफ की नियुक्ति का प्रावधान है। लेकिन अब इन विभागों के अलावा माइक्रोबायोलॉजी और फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट में भी इन नॉन मेडिकल टीचिंग स्टाफ को फेकल्टी नियुक्त किया जा सकेगा। साथ ही इन नॉन मेडिकल टीचिंग स्टाफ के कोटे को 15 से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है।
मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ की कमी होगी दूर
मेडिकल कॉलेज से जुड़ी टीचिंग फेकल्टी का कहना है, कि इससे राज्य में जो नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खुले है, उनमें टीचर्स की कमी दूर होगी। अभी कई मेडिकल कॉलेजों में टीचर्स की कमी है, जिसके कारण मेडिकल स्टूडेंट्स को समस्या आती है। वहीं कई कॉलेजों में यूजी कोर्स तो संचालित है, लेकिन पीजी कोर्स संचालित नहीं है। अब उन कॉलेजों में जब टीचर्स की संख्या पर्याप्त हो जाएगी, तो वहां भी पीजी कोर्स शुरू करने में आसानी होगी।