गांधी सागर सेंचुरी में अफ्रीकन चीतों को बसाने की तैयारियां पूरी हैं। अक्टूबर से दिसंबर के बीच चीतों की शिफ्टिंग भी शुरू होगी। इस बीच, सेंचुरी की सुरक्षा के लिए 64 वर्ग किलोमीटर के एनक्लोजर (बाड़े) की मेटल फेंसिंग नालों में आए तेज बहाव को भी नहीं सह सक
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30 करोड़ की लागत आई। बाड़ा बनाने वाली उज्जैन की फर्म वाइल्ड सेंचुरी एंड फारेस्ट्री सर्विसेज ने माना-यह सामान्य बहाव सह सकती है, पर बाढ़ के तेज बहाव को नहीं। कुछ स्थानों पर फेंसिंग का डिजाइन व तकनीक दोनों बदलना होगी। वन विभाग के अफसरों ने कहा कि बारिश के पानी के साथ कचरा, झाड़ियां, पत्ते बहकर आए, जो फेंसिंग में उलझ गए। जलभराव हो गया। पानी का बहाव तेज था, इस कारण फंेसिंग जमीन पर गिर गई।
फर्म करेगी मेंटेनेंस, बोमा को क्षति नहीं, चीतों के आने से पहले दुरुस्त कर लेंगे
गांधी सागर सेंचुरी के अधीक्षक संजय रायखेरे ने कहा कि क्वारंटीन बोमा को कोई नुकसान नहीं हुआ। 27 नालों में से 3 नालों पर ही फेंसिंग गिरी। डिजाइन बदलने के लिए जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों से सुझाव मांगे हैं। फेंसिंग बनाने वाली कंपनी ही 3 साल तक इसका मेंटेनेंस करेगी। चीते आने से पहले इसे पूरी तरह ठीक कर लिया जाएगा।
डेढ़ साल से हो रही तैयारियां
मंदसौर-नीमच जिलों के बीच गांधी सागर सेंचुरी में मानसून के बाद अक्टूबर से दिसंबर के बीच दक्षिण अफ्रीका से चीतों की दूसरी खेप भारत आने वाली है। पिछले डेढ़ साल से यहां तैयारी चल रही है। इसके लिए 64 किलोमीटर का बाड़ा बनाया गया। इसमें 35.5 किलोमीटर की नेचुरल बाउंड्री गांधी सागर बांध के बेकवाटर से बनाई गई है। 28.5 किलोमीटर लंबी स्टील फेसिंग की गई थी।
पूर्व विधायक ने वन मंत्री को पत्र लिखा- गुणवत्ता की जांच कराएं
फेंसिंग निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। मंदसौर के पूर्व विधायक व भाजपा नेता यशपाल सिसोदिया ने वन मंत्री रामनिवास रावत को पत्र लिखकर फेंसिंग की गुणवत्ता की जांच कराने व जंगली जानवरों से नागरिकों की सुरक्षा को पैदा हुए खतरे पर संज्ञान लेने की मांग की है।