The roads of Rajmahal coal project became deadly | राजमहल कोल परियोजना की सड़कें बनीं जानलेवा: साहिबगंज और पाकुड़ को गोड्‌डा से जोड़ती है सड़क, एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती – Godda News


गोड्डा में ईसीएल की राजमहल कोल परियोजना अंतर्गत ललमटिया क्षेत्र की सड़कें इन दिनों बुरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। परियोजना क्षेत्र के भीतर और आसपास की सड़कें अब खतरनाक बन गई हैं, जिससे आवागमन एक बड़ी चुनौती बन गया है।

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परियोजना के मेन रोड से लेकर ग्रामीण इलाकों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत इतनी खराब है कि आम लोगों के साथ-साथ मरीजों और गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल पहुंचने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। बांसडीहा से भेरंडा के बीच लगभग दो किलोमीटर सड़क इतनी क्षतिग्रस्त हो चुकी है कि एंबुलेंस तक यहां नहीं चल पा रही है।

साहिबगंज और पाकुड़ को गोड्‌डा से जोड़ती है सड़क

यह सड़क न केवल स्थानीय लोगों के लिए अहम है, बल्कि गोड्डा को साहिबगंज और पाकुड़ जैसे जिलों से जोड़ता है। इसके बावजूद ईसीएल की उदासीनता साफ नजर आती है। इन सड़कों की मरम्मत की जिम्मेदारी ईसीएल की है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

खनन क्षेत्र के पास की सड़कें, जैसे गंगा सागर मार्ग, जो एरिया ऑफिस को जोड़ती है, पूरी तरह टूट चुकी हैं। गड्ढों में पानी जमा रहता है, जिससे न केवल दोपहिया वाहन चालकों को दिक्कत होती है, बल्कि छोटी गाड़ियां भी फंस जाती हैं।

भारी वाहन चलने से बर्बाद हुई सड़क

ललमटिया से सीमड़ा और फिर सीमड़ा से मोहनपुर तक की सड़कें भी बदहाल हैं। इन मार्गों पर कोयला ढोने वाले भारी वाहनों से गिरने वाली मिट्टी और कोयले की धूल से सड़कें और भी फिसलन भरी हो गई हैं। आए दिन बाइक सवार गिरकर घायल हो रहे हैं।

एम्बुलेंस चालक नवीन कुमार बताते हैं कि भेरंडा मार्ग से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं। मरीजों को समय पर अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है, खासकर डिलीवरी केस में स्थिति गंभीर हो जाती है। कई बार गाड़ियां फंस जाती हैं और मदद के लिए इंतजार करना पड़ता है।

गड्ढों में भरा पानी, बन जाता है मुसीबत

ईसीएल के कई कर्मचारी भी इस स्थिति से परेशान हैं। कर्मचारी संपत का कहना है कि एरिया ऑफिस जाने वाली सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिनमें बारिश का पानी भर जाता है और रास्ता और खतरनाक हो जाता है। स्थानीय लोग अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जिन्होंने परियोजना के लिए अपनी जमीन दी थी, वे अब मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं।

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