एक जुलाई से नया कानून लागू होगा। उसमें किए गए बदलाव के मुताबिक मुकदमे दर्ज होंगे और मुख्य अपराधों की धाराएं बदल जाएंगी। इसके लिए अनुसंधान अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई है। तीन नए आपराधिक कानून एक जुलाई, 24 से लागू हो जाएंगे। यानी, इंडियन पीनल कोड (आईप
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आपराधिक मामलों में आईपीसी की जो धाराएं पुलिस, वकील, कोर्ट में आम हो चुकी थीं, उनमें बदलाव होगा। पुलिस की जांच प्रक्रिया और कोर्ट में ट्रायल में भी बदलाव आएगा। हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302 की जगह अब 103 बीएनएस और दुष्कर्म में 376 की जगह 64 बीनएस लगाई जाएगी। 30 जून की रात को 12 बजे के बाद कोई भी मुकदमा नए कानूनों के अनुसार ही दर्ज होगा। उससे पहले दर्ज सभी मुकदमों की जांच और कोर्ट में सुनवाई पुराने कानूनों के अनुसार ही होगी।
पुलिस महकमा अपने अनुसंधान अधिकारियों को लंबे समय से नए कानूनों की जानकारी और क्रियान्विति के लिए ट्रेनिंग दे रहा है। बीकानेर रेंज के चारों जिलों बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और अनूपगढ़ में हेड कांस्टेबल से एएसपी तक 90 प्रतिशत अनुसंधान अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। रविवार को राजस्थान पुलिस अकादमी में लेक्चर देने वाले एपीपी रमेश नए कानूनों के बारे में बताएंगे। गौरतलब है कि आईपीसी, 1960 में 511 धाराएं थी जिन्हें नए कानून बीएनएस में घटाकर 358 कर दिया गया है।
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भारतीय न्याय संहिता में मुख्य बदलाव
- 20 नए अपराध जोड़े गए हैं
- डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल होगा
- आईपीसी के 19 प्रावधानों को हटाया
- 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ाई
- 83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ाई
- 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया
नए कानूनों में खास
- नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को फांसी या उम्रकैद
- सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को 20 की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा होगी
- मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा
- सड़क दुर्घटना करने वाला ड्राइवर अगर पीड़ित को अस्पताल या पुलिस स्टेशन ले जाता है तो कम सजा होगी
- सिर पर लाठी मारने वाले पर अभी सामान्य झगड़े की धारा लगती है। लेकिन, अब विक्टिम के ब्रेन डेड पर दोषी को 10 साल की सजा मिलेगी
- किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी
- केस में 90 दिन में क्या हुआ, इसकी जानकारी पीड़ित को देनी होगी
- अब अगर आरोपी 90 दिन में कोर्ट में पेश नहीं होगा तो भी उसकी गैर मौजूदगी में ट्रायल चलेगी
- अब ट्रायल कोर्ट को तीन साल में फैसला देना होगा, फैसले के 7 दिन में सजा सुनानी होगी
कानून मंत्री ने कहा- जल्दी न्याय मिलेगा, टाइमलाइन तय है
कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल का कहना है कि नए कानून विशेषज्ञों से राय-मशविरा कर बहुत सोच-समझकर बनाए गए हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि टाइम लाइन तय है। पुलिस की जांच और ट्रायल कोर्ट में फैसले का समय निश्चित हैं जिससे आमजन को जल्दी न्याय मिलेगा। नए कानून में अब ऑनलाइन विटनेस हो सकता है। सशरीर मौजूदगी जरूरी नहीं। इसका बड़ा लाभ मिलेगा। समय खराब नहीं होगा और मामले पेंडिंग नहीं रहेंगे। अब पीड़ित कहीं भी जीरो नंबर एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। पहले क्षेत्राधिकार के कारण पीड़ितों को अलग-अलग थानों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब उन्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा। जैसे-जैसे प्रैक्टिस होगी, नए कानून सरल होते जाएंगे और आमजन को इसका लाभ मिलेगा।
“देश की अदालतों में करीब 6 करोड़ केस पेंडिंग हैं। आम आदमी को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। सरकार ने नए कानून बनाए। लेकिन, जल्दबाजी की। इन्हें लागू करने से पहले कानूनी ढांचे को सुधारकर मजबूत करना चाहिए था। पुलिस के अनुसंधान अधिकारी दक्ष नहीं हैं। ऐसे में अनुसंधान के दौरान खामियां रहेंगी जिसका सीधा फायदा अपराधियों को मिलेगा। तय समय सीमा में फैसले करना उनके लिए आसान नहीं होगा।”
– बिहारीसिंह राठौड़, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन बीकानेर
“नए कानूनों की क्रियान्वित के लिए रेंज के चारों जिलों के अनुसंधान अधिकारियों को ट्रेंड कर रहे हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की ओर से नियमित ट्रेनिंग दी जा रही है। एक जुलाई तक रेंज के सभी अनुसंधान अधिकारियों की ट्रेनिंग पूरी कर ली जाएगी। इसके अलावा भी समय-समय पर नए कानूनों की जानकारी दी जाती रहेगी जिससे कि अनुसंधान में कोई परेशानी ना हो।”
-ओमप्रकाश, आईजी बीकानेर रेंज