The government had given a summer contingency plan of Rs 175 crore for drinking water supply, but still 80% of the work is pending | गर्मी से ये हाल: पेयजल सप्लाई के लिए सरकार ने दिया था 175 करोड़ रुपए का समर कंटींजेंसी प्लान, लेकिन अब भी 80% काम बाकी – Jaipur News


अरडावता में खाली मटके लेकर टंकी की सीढ़ियों पर बैठी महिलाएं।

प्रदेश में गर्मी का पीक है। जनता के हलक सूखे हैं और पानी के लिए लोग सड़कों पर धरना-प्रदर्शन व आंदोलन कर रहे हैं। गर्मियों में पेयजल सप्लाई के लिए सरकार ने जलदाय विभाग व कलेक्टरों को 175 करोड़ का समर कंटिंजेंसी प्लान दिया, लेकिन अभी तक कंटिंजेंसी के 630

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नतीजा, पाइपलाइनों के टेल एंड तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। प्रदेश में 1500 ट्यूबवेल बनाने में विभाग ने 70 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं होने से जनता को पानी नहीं मिल रहा है। विभाग में मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी व सचिव डॉ. समित शर्मा पर है। जेजेएम के एमडी बचनेश अग्रवाल, शहरी क्षेत्र के सीई राकेश लुहाडि़या और ग्रामीण क्षेत्र के सीई केडी गुप्ता हैं।

अब मानसून में ही जनता को नसीब होगा पानी
सरकार ने मार्च के पहले सप्ताह में जनता को पेयजल राहत के लिए 175 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। ये काम अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरे हो जाने चाहिए थे, लेकिन इंजीनियरों की लापरवाही के कारण अब यह काम अगस्त तक पूरे होने के आसार हैं। अब इस प्लान से मानसून आने के बाद ही जनता को पानी मिलेगा। जबकि अभी जनता पेयजल संकट का सामना कर रही है।

20% काम में 75 दिन लगे, 6 दिन में कैसे होगा 80% काम
समर कंटिंजेंसी प्लान व जेजेएम में जनता तक पानी पहुंचाने पर जलदाय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही पर मुख्य सचिव सुधांश पंत नाराजगी जता चुके हैं। विभाग के सचिव समित शर्मा ने कंटिंजेंसी के काम 31 मई तक पूरे करने की डेटलाइन दी है। आकस्मिक कार्यों को सरकार ने मार्च के पहले सप्ताह में मंजूरी दे दी थी, लेकिन 20 फीसदी काम होने में ही 75 दिन लग गए। अब अगले छह दिन में 80 फीसदी काम पूरे होने पर आश्चर्य जताया जा रहा है।

समर कंटिंजेंसी में कलेक्टर का रिपोर्ट कार्ड

सभी जिला कलेक्टर की अनुशंषा पर 358 आकस्मिक कार्यों के लिए सरकार ने 23.66 करोड़ मंजूर किए, लेकिन ढाई महीने बाद भी 123 काम बकाया हैं। सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, बांसवाड़ा, झालावाड़ व धौलपुर जिलों में सबसे कम प्रोग्रेस है। यहां जितने काम स्वीकृति हुए थे, वो सभी बकाया हैं।

इंजीनियरों के 90% काम बाकी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के लिए 138.33 करोड़ के 497 कार्य और शहरी क्षेत्र में 13 करोड़ के 21 कार्य स्वीकृत किए, लेकिन इसमें से 48 काम ही पूरे हो पाए हैं। नागौर, जालोर, डीडवाना व जैसलमेर जिलों में सबसे कम प्रोग्रेस है।

बजट तो दिया, पर हैंडपंप व ट्यूबवेल से पानी नहीं

सरकार ने 1825 हैंडपंप के लिए 23.26 करोड़ और 573 ट्यूबवेल के लिए 53.80 करोड़ रुपए बजट दिया था। ट्यूबवेल बनाने में नागौर, अजमेर, डीडवाना, टोंक व जालोर का काम बहुत कम है।

“कलेक्टर की स्वीकृति, हैंडपंप मरम्मत के काम 10-15 दिन में हो जाएंगे। आचार संहिता के कारण देरी हुई है।”

-केडी गुप्ता, चीफ इंजीनियर

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