The former Chief Minister had said that Jyotiraditya had put pressure to give the Transport Department to Rajput | एक कदम और आगे बढ़ी जुबानी जंग: पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था-राजपूत को परिवहन विभाग देने का दबाव बनाया था ज्योतिरादित्य ने – Bhopal News


पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जुबानी जंग अब एक कदम और आगे बढ़ गई है। सोमवार को दिग्विजय ने भोपाल में ज्योतिरादित्य को बच्चा कहते हुए दावा किया कि उनके पिता माधवराव सिंधिया की कांग्रेस में एंट्री उन्हों

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दिग्विजय ने सोमवार को विधानसभा के मानसरोवर सभागृह में ‘जंगल सत्याग्रह’ फिल्म के प्रीमियर शो का आयोजन किया। इसके बाद उन्होंने प्रेस से बात की। गौरतलब है कि हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर में कहा था कि दिग्विजय सिंह मेरे पिता को भी टारगेट करते थे और मुझे भी टारगेट कर रहे हैं। उनकी सारी जिंदगी इसी में निकल गई।

इसी बात को लेकर पूछे गए सवाल पर दिग्विजय ने कहा कि मैं और अर्जुन सिंह, हम लोग ही माधवराव सिंधिया को सन 1979-80 में कांग्रेस में लाए थे। संजय गांधी, इंदिरा जी से मिलवाया था। माधवराव महाराज को खूब सम्मान मिला। केंद्र में मंत्री बने, पार्टी में महामंत्री बने। उनको पूरी इज्जत दी, वो कांग्रेस ने दी। मेरा उनसे कोई विवाद न कभी था, न कभी रहा। क्योंकि मैं खुद ही उनको कांग्रेस में लाया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया तो बच्चे हैं।

इससे पहले 9 जनवरी ज्योतिरादित्य ने ग्वालियर में दिग्विजय की 26 दिसंबर की प्रेस कांग्रेस में लगाए आरोपों के जबाव में कहा था कि – दिग्विजय मुझे कब टारगेट नहीं करते? ये कोई नई बात है क्या? दिग्विजय की जिंदगी चली गई है, मुझे और मेरे पूज्य पिताजी को टारगेट करते-करते। मैंने कभी राजा साहब को टारगेट नहीं किया।

आज भी मिलता हूं तो मैं प्रणाम ही करता हूं। जिसकी विचारधारा जो हो, वह उसी आधार पर अपनी लाइन खींचे। मेरी विचारधारा जनता की सेवा करने की है। वो मेरा टारगेट है। 26 दिसंबर को दिग्विजय सिंह ने परिवहन घोटाले पर भोपाल में प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा था कि जब मप्र में कमलनाथ सरकार थी, तब ज्योतिरादित्य ने गोविंद राजपूत को परिवहन और राजस्व विभाग देने का दबाव बनाया था। वे ऐसा क्यों चाहते थे, ये सिंधिया जी ही बता सकते हैं।

सीएम मोहन यादव के मौलान लिखने पर पेन अटकने वाले बयान पर दिग्विजय ने तंज कसते हुए कहा इसी मानसिकता ने देश और समाज का सत्यानाश किया है। मुख्यमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं थी। मुझे न पंडित लिखने में ऐतराज है न मौलाना लिखने में। मेरा पेन तो आर्कबिशप या फादर लिखने में भी नहीं अटकता है।

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