The festival of Guru Pooja is on Thursday, Guru purnima on 10th July, Guru puja utsav, Guru purnima 2025 | गुरु पूजा का महापर्व गुरुवार को: गुरु पूजा के साथ ही जरूरतमंद लोगों को अनाज और छाते का दान करें, प्रवचन सुनें और ग्रंथों का पाठ करें

5 घंटे पहले

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गुरु पूजा का महापर्व गुरु पूर्णिमा गुरुवार, 10 जुलाई को है। गुरु पूर्णिमा पर शिष्य अपने शैक्षणिक और आध्यात्मिक गुरु और मार्गदर्शक की पूजा करते हैं। शास्त्रों में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर बताया गया है, क्योंकि ही अपने शिष्य को जीवन में सफलता पाने का और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।

गुरु का महत्व बताने वाला ये श्लोक बहुत चर्चित है। इस श्लोक का अर्थ ये है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरू ही विष्णु हैं, गुरु ही शिव हैं। गुरु साक्षात परब्रह्म हैं, गुरु को हम प्रणाम करते हैं। गुरु शब्द में गु का अर्थ है अंधकार और रु का अर्थ है नाश करने वाला, यानी जो अज्ञान के अंधकार का नाश करता है और ज्ञान का प्रकाश देता है, वही गुरु है।

आषाढ़ पूर्णिमा पर हुआ था वेदव्यास का जन्म

महाभारत भीष्म पर्व में वेदव्यास को गुरु मानते हुए, पांडवों ने उनसे शिक्षा प्राप्त की थी। वेदव्यास को आदिगुरु के रूप में स्मरण किया जाता है। वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा पर ही हुआ था, इनकी जन्म तिथि होने की वजह से ही इस दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। उन्होंने वेदों का संपादन किया, 18 पुराण, महाभारत और श्रीमद् भगवद् गीता की रचना की।

मान्यता है कि भगवान शिव ने सप्तर्षियों को योग का ज्ञान आषाढ़ पूर्णिमा पर ही दिया था। इसीलिए भगवान शिव को आदि योगी और आदि गुरु कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा पर क्या करें?

  • गुरु का पूजन: यदि आपने किसी को गुरु माना हैं तो उनके दर्शन करें और उनके चरण स्पर्श करें, कोई उपहार दें। अन्यथा प्रतीक रूप में वेदव्यास, भगवान शिव, श्रीकृष्ण, श्रीराम, विष्णु जी, हनुमान का पूजन कर सकते हैं।
  • व्रत व ध्यान: इस दिन व्रत रखकर ध्यान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता, धन, खाना दान करना चाहिए।
  • स्वाध्याय और सेवा: ग्रंथों का पाठ करें, गुरु द्वारा बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें। इस दिन किसी योग व्यक्ति को गुरु माने और गुरु दीक्षा लें। गुरु को गुरु दक्षिणा अर्पित करें।
  • गुरुवाणी श्रवण: संतों और गुरुओं के प्रवचन सुनना चाहिए। प्रवचन नहीं सुन पा रहे हों तो ग्रंथों का पाठ कर सकते हैं।
  • गुरु पूर्णिमा केवल एक दिन का उत्सव नहीं, जीवन भर की साधना की दिशा है। ये दिन हमें ये स्मरण कराता है कि ज्ञान, आत्मबोध और मोक्ष की यात्रा में गुरु की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।

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