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शहर में सफाई व्यवस्था भले ही तीन-तीन एजेंसियों के जिम्मे है। इसके बावजूद हर गली-मोहल्ला कूड़े के ढेर पर हो गया है। इसके चलते आम लोग परेशान है। शहर के अधिकांश वार्डों के खाली प्लाट में गंदगी के अंबार लगे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि खाली प्लॉट से एजेंसियां कभी कचरे का उठान नहीं कराती है। जिससे आसपास के लोग बदबू के बीच रहने को मजबूर हैं।
यह स्थिति तब है जब नगर परिषद सफाई के नाम पर प्रति माह 36.44 लाख रुपए खर्च करती है। इसमें डोर-टू-डोर कचरा उठाव से लेकर गलियों, सड़कों की सफाई और झाड़ू लगाने वाले कर्मी भी शामिल है। यह राशि केवल 22 वार्डों की सफाई के लिए है। जबकि शेष 12 वार्डों की सफाई नगर परिषद अपने संसाधन और कर्मचारियों से कराती है।
नगर परिषद के अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने बताया कि नियमानुसार हर साल नालों की सफाई-उड़ाही कराई जाती है। बरसात से पूर्व यह काम सुनिश्चित कराया जाता है। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होना होगा। नाले में कूड़ा और पॉलीथिन फेंकने के कारण जाम हो रहा है। नप अध्यक्ष ने कहा कि वार्डों के खाली स्थानों, रोड किनारे कूड़ा-कचरा जमा होने की जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।