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माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 10वीं बोर्ड परीक्षा बुधवार शाम को जारी किया। इस बार जिले का परीक्षा परिणाम 92.03 प्रतिशत रहा, जो पिछली बार से 5.99 फीसदी ज्यादा रहा। पिछली बार की तरह इस बार भी छात्राओं ने छात्रों को पीछे छोड़ दिया। छात्रों से छात्राओं का परीक्षा परिणाम 3.06 प्रतिशत ज्यादा रहा। अलोद के बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की बालिका निधि जैन ने प्रदेश में सबसे ज्यादा 99.67 प्रतिशत अंक प्राप्त कर टॉप किया।
इस बार परीक्षा परिणाम पिछले सालों की अपेक्षा में बेहतर रहा। साल 2022 में 10वीं बोर्ड का परिणाम 72.05% था, इसके बाद साल 2023 में परिणाम बढ़कर 86.04 फीसदी हो गया। अब 2024 में परिणाम बढ़कर 92.03% हो गया, यानी पिछले तीन सालों से परीक्षा परिणाम बेहतर होता जा रहा है। तीनों बार छात्राओं का परिणाम छात्रों से अच्छा रहा। छात्रों का इस बार का परिणाम 90.61% रहा, जबकि छात्राओं का परिणाम 93.67% रहा। जिले में इस बार 15153 परीक्षार्थी शामिल हुए, जिनमें 13946 स्टूडेंट्स पास हुए।
बूंदी जिले के अलोद की छात्रा निधि जैन ने प्रदेश में सर्वाधिक 99.67% अंक प्राप्त किए हैं। राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय अलोद, बूंदी में पढ़ने वाली निधि ने 600 में से 598 अंक प्राप्त कर रिकॉर्ड कायम कर दिया। पूरे गांव में खुशियां मनाई जा रही हैं और छात्रा का विजयी जुलूस निकाला गया। छात्रा के पिता मुकेश जैन अलोद में कपड़े की दुकान लगाते हैं। उनका कहना है कि हमें अपनी बेटी पर नाज है, जिसने हमारा और जिले का नाम पूरे प्रदेश में रोशन कर दिया। निधि ने बताया कि उसने रोजाना 10 से 12 घंटे घर पर रहकर पढ़ाई की। परिवार व गुरुजनों का सपोर्ट मिला तो यह कामयाबी हासिल की। आगे के कॅरियर के बारे में मैं मार्गदर्शन लूंगी, इसके बाद तय करूंगी कि किस फील्ड में जाना है। परिणाम घोषित होने के बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने छात्रा और उनके परिवार के सदस्यों को बधाई दी। छात्रा के पिता मुकेश जैन ने बताया कि उनकी बेटी निधि ने दीवार पर एक लकड़ी से बोर्ड बनाकर लगाया है। इसमें पीली मिट्टी और फ्लाई के साथ फेविकल का प्रयोग किया। बेटी इसी बोर्ड पर लिखकर नियमित पढ़ाई करती रही। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का परीक्षा परिणाम इस बार पिछले साल से काफी बेहतर रहा। परिणाम ज्यादा रहने के कुछ मुख्य कारण सामने आए हैं। इस बार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा पैटर्न बदल दिया, साथ ही ऑब्जेक्टिव प्रकार के सवाल ज्यादा होने से छात्र-छात्राओं को पेपर में आसानी हुई। परीक्षार्थी जैसा पैटर्न चाहते थे, वैसा पैटर्न आया तो बच्चों ने कामयाबी हासिल कर ली। पिछली बार परीक्षा परिणाम 82 प्रतिशत के करीब रहा था। यानी परिणाम बोर्ड की नजर में आशानुकूल नहीं रहा। इसके बाद सरकार व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इसका एनालिसिस किया तो पाया कि परीक्षा पैटर्न को सुधारा जाना चाहिए। इसके बाद सरकारी स्कूलों से फीडबैक लिया गया। बोर्ड ने इस बार परीक्षा पैटर्न बदल दिया, इसके बाद सभी परीक्षा परिणाम बेहतर रहे। 12वीं बोर्ड परीक्षा के कला, विज्ञान और वाणिज्य संकाय का परिणाम भी पिछले सालों से बेहतर रहा था। उसको देखकर ही लग गया था कि 10वीं बोर्ड में भी परिणाम बेहतर रहेगा और ऐसा ही हुआ, इस बार 92 प्रतिशत से ज्यादा जिले का परीक्षा परिणाम रहा। 99.67% ( 598/600 )
बूंदी समेत हाड़ौती के सभी जिलों के सरकारी स्कूलों में टीचर्स के पद रिक्त चल रहे हैं, लेकिन हमें तो बच्चों को पढ़ाई करवानी थी, इसी बीच सरकार ने स्मार्ट क्लास के जरिए ऑनलाइन क्लासेज के जरिए बच्चों को पढ़ाने पर जोर दिया। इस पैटर्न का इतना असर हुआ कि बच्चों का पढ़ाई में मन लगने लगा। क्लासरूम के अलावा स्मार्ट क्लासेज में छात्र-छात्राओं की रुचि बढ़ने लगी और उनकी पढ़ाई स्मार्ट होने लगी। इस बार परीक्षा परिणाम ज्यादा रहने में स्मार्ट क्लासेज का अहम योगदान है। बेटियों के आगे रहने का कारण यह है कि वे काफी सिंसियर होती हैं और घर पर ज्यादा समय तक रहकर पढ़ाई करती हैं।